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दैनिक या तय वेतन पर दशकों तक काम नहीं लिया जा सकता : हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी विभाग किसी से दैनिक या तय वेतन पर दशकों तक काम लेते नहीं रह सकते. कोर्ट ने नियमित करने से इनकार करने के आदेश को रद्द करते हुए सेवा नियमित करने पर विचार करने का निर्देश दिया है.

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Published : Feb 23, 2021, 7:35 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी विभाग किसी से दैनिक या तय वेतन पर दशकों तक काम लेते नहीं रह सकते. कोर्ट ने नियमित करने से इनकार करने के आदेश को रद्द करते हुए सेवा नियमित करने पर विचार करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एस के मिश्र ने चंद्रमणि की याचिका पर दिया.

यह है मामला

याची अधिवक्ता आर एन यादव व अभिषेक कुमार यादव का कहना था कि याची जिला विकास कार्यालय जौनपुर में 1992 से इलेक्ट्रीशियन के रूप में कार्यरत है. नियमित वेतन भुगतान किया जा रहा है. सेवा के 29 साल बाद सेवा नियमित करने की मांग की, जो 22 मार्च 18 को अस्वीकार कर दी गई, जिसे चुनौती दी गई है.

नियमावली का पालन करने का निर्देश

याची अधिवक्ता का कहना था कि 2016 में सेवा नियमितीकरण नियमावली बनी. नियम 6(1) में व्यवस्था दी गयी कि सरकारी विभाग में 31 दिसम्बर 2001 तक जितने भी तृतीय व चतुर्थ अस्थायी कर्मी हैं, नियमित किये जाने के हकदार हैं. इन्हें खाली पदों या काल्पनिक पदों पर समायोजित किया जाए. यह छूट किसी योजना या प्रोजेक्ट कर्मियों को नहीं होगी. याची सरकारी कार्यालय मे कार्यरत हैं. कोर्ट ने राम अजहर केस में कहा है कि दैनिक या तय वेतन पर तीन दशक तक काम नहीं लिया जा सकता. नियमावली का पालन किया जाये. इस पर कोर्ट ने याची को नियमित करने का आदेश दिया.

पढ़ें - किशोरों के साथ संवेदनशील व्यवहार रखें: न्यायमूर्ति संजय यादव

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी विभाग किसी से दैनिक या तय वेतन पर दशकों तक काम लेते नहीं रह सकते. कोर्ट ने नियमित करने से इनकार करने के आदेश को रद्द करते हुए सेवा नियमित करने पर विचार करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एस के मिश्र ने चंद्रमणि की याचिका पर दिया.

यह है मामला

याची अधिवक्ता आर एन यादव व अभिषेक कुमार यादव का कहना था कि याची जिला विकास कार्यालय जौनपुर में 1992 से इलेक्ट्रीशियन के रूप में कार्यरत है. नियमित वेतन भुगतान किया जा रहा है. सेवा के 29 साल बाद सेवा नियमित करने की मांग की, जो 22 मार्च 18 को अस्वीकार कर दी गई, जिसे चुनौती दी गई है.

नियमावली का पालन करने का निर्देश

याची अधिवक्ता का कहना था कि 2016 में सेवा नियमितीकरण नियमावली बनी. नियम 6(1) में व्यवस्था दी गयी कि सरकारी विभाग में 31 दिसम्बर 2001 तक जितने भी तृतीय व चतुर्थ अस्थायी कर्मी हैं, नियमित किये जाने के हकदार हैं. इन्हें खाली पदों या काल्पनिक पदों पर समायोजित किया जाए. यह छूट किसी योजना या प्रोजेक्ट कर्मियों को नहीं होगी. याची सरकारी कार्यालय मे कार्यरत हैं. कोर्ट ने राम अजहर केस में कहा है कि दैनिक या तय वेतन पर तीन दशक तक काम नहीं लिया जा सकता. नियमावली का पालन किया जाये. इस पर कोर्ट ने याची को नियमित करने का आदेश दिया.

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