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Allahabad High Court: अब्बास अंसारी के विवादित बयान के मामले में निर्णय सुरक्षित - एडवोकेट उपेंद्र उपाध्याय

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित बयान मामले में बाहुबली मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी को लेकर दाखिल याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है.

अब्बास अंसारी
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Published : Jan 17, 2023, 10:15 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी के विवादित बयान को लेकर दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने अब्बास अंसारी की याचिका पर उसके अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय व अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी को सुनकर दिया है.

एडवोकेट उपेंद्र उपाध्याय का कहना था कि धारा 153 के तहत याची के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता. यह धारा विवादित बयान से दो समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने पर लागू होती है. याची पर अधिकारियों को लेकर बयान देने का आरोप है. शेष धाराएं जमानती हैं, जो अपराध की राजनीति से प्रेरित होकर दर्ज कराई गई हैं. इसलिए इसकी कार्यवाही रद्द की जाए.

राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी का कहना था कि याची के बयान कानून व्यवस्था को बिगाड़ने वाले व समुदाय को धमकाने वाले हैं. इसमें राहत नहीं दी जा सकती. दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया और कहा कि चाहें तो लिखित बहस भी दाखिल कर सकते हैं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई प्रक्रिया पर लगी रोक निर्णय आने तक बढ़ा दी है. याचिका के अनुसार सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी ने बीते विधानसभा चुनाव के दौरान मऊ में आयोजित रैली में प्रदेश में उनकी सरकार बनने पर अधिकारियों से हिसाब किताब करने का विवादित बयान दिया था. इस पर उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. याचिका में इस मुकदमे की कार्यवाही रद्द करने की मांग की गई है.

वायरल वीडियो के अनुसार सपा-सुभासपा गठबंधन के प्रत्याशी अब्बास अंसारी यह कहते नजर आ रहे हैं कि "जिस नेता के साथ लाखों-करोड़ों बाहों का बल हो वह बाहुबली नहीं होगा तो कौन होगा. हम हैं, हमें इससे कोई गुरेज नहीं है. अगर मेरे लोगों की इज्जत, आन, बान, शान और आबरू पर कोई आंच डालने की कोशिश करेगा तो उस आंच को बुझाना हम जानते हैं. आज तक बुझाया है, आगे भी बुझाएंगे, हमें कोई रोक नहीं सकता. जिस दिन लखनऊ से आ रहा था उस दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिला और लंबी बातचीत हुई. मैं उनसे कहकर आया हूं कि छह महीने तक किसी की ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं होगी. पहले जिन्होंने लोगों के कैरियर बर्बाद किए हैं. जिन्होंने जिनके ऊपर मुकदमे लगाए हैं, पहले उन अधिकारियों का हिसाब-किताब होगा."

ये भी पढ़ेंः Akhileshs media panellist में 58 नाम, शिवपाल के करीबियों को जगह नहीं, इन्हें मिली जिम्मेदारी

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी के विवादित बयान को लेकर दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने अब्बास अंसारी की याचिका पर उसके अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय व अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी को सुनकर दिया है.

एडवोकेट उपेंद्र उपाध्याय का कहना था कि धारा 153 के तहत याची के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता. यह धारा विवादित बयान से दो समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने पर लागू होती है. याची पर अधिकारियों को लेकर बयान देने का आरोप है. शेष धाराएं जमानती हैं, जो अपराध की राजनीति से प्रेरित होकर दर्ज कराई गई हैं. इसलिए इसकी कार्यवाही रद्द की जाए.

राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी का कहना था कि याची के बयान कानून व्यवस्था को बिगाड़ने वाले व समुदाय को धमकाने वाले हैं. इसमें राहत नहीं दी जा सकती. दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया और कहा कि चाहें तो लिखित बहस भी दाखिल कर सकते हैं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई प्रक्रिया पर लगी रोक निर्णय आने तक बढ़ा दी है. याचिका के अनुसार सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी ने बीते विधानसभा चुनाव के दौरान मऊ में आयोजित रैली में प्रदेश में उनकी सरकार बनने पर अधिकारियों से हिसाब किताब करने का विवादित बयान दिया था. इस पर उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. याचिका में इस मुकदमे की कार्यवाही रद्द करने की मांग की गई है.

वायरल वीडियो के अनुसार सपा-सुभासपा गठबंधन के प्रत्याशी अब्बास अंसारी यह कहते नजर आ रहे हैं कि "जिस नेता के साथ लाखों-करोड़ों बाहों का बल हो वह बाहुबली नहीं होगा तो कौन होगा. हम हैं, हमें इससे कोई गुरेज नहीं है. अगर मेरे लोगों की इज्जत, आन, बान, शान और आबरू पर कोई आंच डालने की कोशिश करेगा तो उस आंच को बुझाना हम जानते हैं. आज तक बुझाया है, आगे भी बुझाएंगे, हमें कोई रोक नहीं सकता. जिस दिन लखनऊ से आ रहा था उस दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिला और लंबी बातचीत हुई. मैं उनसे कहकर आया हूं कि छह महीने तक किसी की ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं होगी. पहले जिन्होंने लोगों के कैरियर बर्बाद किए हैं. जिन्होंने जिनके ऊपर मुकदमे लगाए हैं, पहले उन अधिकारियों का हिसाब-किताब होगा."

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