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दो वयस्कों के निजी जीवन में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप सही नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि दो बालिगों के निजी जीवन में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप सही नहीं है. यह आदेश हाईकोर्ट ने संदीप कुमार और अन्य की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Oct 20, 2022, 1:10 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि दो वयस्कों के निजी जीवन में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप उचित नहीं है. यह उनका निजी मामला है. इसी के साथ हाईकोर्ट ने बागपत के दो याचियों को साथ रहने का आदेश दिया. साथ ही रजिस्ट्रार से कहा कि याची की ओर से जमा कराए गए 40 हजार रुपये उसे वापस कर दिए जाएं. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने संदीप कुमार और अन्य की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए दिया.

याची ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर अपनी पत्नी को उसके घरवालों से मुक्त कराकर उसे वापस दिलाने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने विपक्षियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. इसके बाद विपक्षियों की ओर से दिल्ली के गोकुल थाने में रेप सहित पॉक्सो की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज करा दी गई. जबकि, पत्नी ने कोर्ट के समक्ष बयान में पति के साथ रहने की इच्छा जताई. इस पर कोर्ट ने कहा कि दो वयस्कों के निजी जीवन में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप सही नहीं है. हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए पत्नी को उसकी सहमति के बाद पति के साथ रहने का आदेश किया.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि दो वयस्कों के निजी जीवन में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप उचित नहीं है. यह उनका निजी मामला है. इसी के साथ हाईकोर्ट ने बागपत के दो याचियों को साथ रहने का आदेश दिया. साथ ही रजिस्ट्रार से कहा कि याची की ओर से जमा कराए गए 40 हजार रुपये उसे वापस कर दिए जाएं. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने संदीप कुमार और अन्य की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए दिया.

याची ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर अपनी पत्नी को उसके घरवालों से मुक्त कराकर उसे वापस दिलाने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने विपक्षियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. इसके बाद विपक्षियों की ओर से दिल्ली के गोकुल थाने में रेप सहित पॉक्सो की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज करा दी गई. जबकि, पत्नी ने कोर्ट के समक्ष बयान में पति के साथ रहने की इच्छा जताई. इस पर कोर्ट ने कहा कि दो वयस्कों के निजी जीवन में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप सही नहीं है. हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए पत्नी को उसकी सहमति के बाद पति के साथ रहने का आदेश किया.

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