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इन दो मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए ये फैसले, जानिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सचिव उ.प्र. लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) प्रयागराज को कनिष्ठ अभियंता भर्ती (junior engineer recruitment ) में शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया है. वहीं, एक दूसरे मामले में भी हाईकोर्ट ने कहा है कि बिना सुने अधिक वेतन भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती है. हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jul 24, 2021, 8:52 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव उ.प्र. लोक सेवा आयोग प्रयागराज को 2013 की कनिष्ठ अभियंता भर्ती में याची के प्रत्यावेदन पर यथाशीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने याची को एक हफ्ते में नए सिरे से प्रत्यावेदन देने को कहा है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने लोकेश कुमार पाठक की याचिका पर दिया.

याचिका पर अधिवक्ता एमए सिद्दीकी ने बहस की. इनका कहना था कि आयोग के नियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत पद के सापेक्ष तीन गुना अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना चाहिए. पद खाली हैं और तीन गुना अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में परीक्षा में सफल याची को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाय.

पढ़ें: Pornography Case: कानपुर तक फैला है शिल्पा के पति राज कुंद्रा का पोर्नोग्राफी कनेक्शन

एक दूसरे मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना सुनवाई का मौका दिए अधिक वेतन भुगतान की वसूली के आदेश को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि यह नैसर्गिक न्याय के विपरीत है. विभाग नियमानुसार कार्यवाही कर सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने महाजगंज के हेड जेल वार्डरों सरोज राम, रामनाथ सिंह और रमेश राय की याचिका पर दिया. याचिका पर अधिवक्ता धनंजय कुमार मिश्र ने बहस की. इनका कहना था कि बिना उन्हें सुने 12 दिसंबर 2020 के आदेश से वसूली आदेश जारी कर दिया गया, जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव उ.प्र. लोक सेवा आयोग प्रयागराज को 2013 की कनिष्ठ अभियंता भर्ती में याची के प्रत्यावेदन पर यथाशीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने याची को एक हफ्ते में नए सिरे से प्रत्यावेदन देने को कहा है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने लोकेश कुमार पाठक की याचिका पर दिया.

याचिका पर अधिवक्ता एमए सिद्दीकी ने बहस की. इनका कहना था कि आयोग के नियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत पद के सापेक्ष तीन गुना अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना चाहिए. पद खाली हैं और तीन गुना अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में परीक्षा में सफल याची को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाय.

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एक दूसरे मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना सुनवाई का मौका दिए अधिक वेतन भुगतान की वसूली के आदेश को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि यह नैसर्गिक न्याय के विपरीत है. विभाग नियमानुसार कार्यवाही कर सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने महाजगंज के हेड जेल वार्डरों सरोज राम, रामनाथ सिंह और रमेश राय की याचिका पर दिया. याचिका पर अधिवक्ता धनंजय कुमार मिश्र ने बहस की. इनका कहना था कि बिना उन्हें सुने 12 दिसंबर 2020 के आदेश से वसूली आदेश जारी कर दिया गया, जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है.

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