प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट सेवा के अंतिम पड़ाव में जन्मतिथि सुधार की मांग में दाखिल याचिका सुनने से इनकार कर न्याय के दरवाजे बंद नहीं किए जा सकते. कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया है और याची को जन्मतिथि सुधार की मांग उचित फोरम में उठाने की छूट दी है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने बदायूं के रणवीर की विशेष अपील पर दिया है.
याची 25 जनवरी 1987 को बेलदार पद पर नियुक्त हुआ. नवंबर 2011 में उसकी सेवा नियमित कर दी गई. इसी समय सेवा पंजिका में जन्मतिथि दर्ज की गई. याची का कहना है कि उसकी जन्मतिथि 19 जनवरी 1965 है और गलती से सेवा पुस्तिका में 19 जनवरी 1960 दर्ज है.
जन्मतिथि सुधार की मांग में याचिका दायर की. एकलपीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि सेवा के अंतिम दिनों में जन्मतिथि सुधारने का आदेश नहीं दिया जा सकता, जिसे विशेष अपील में चुनौती दी गई थी. याची का कहना था कि सीएमओ बदायूं की रिपोर्ट एवं पैन कार्ड उसके कथन की पुष्टि करते हैं. कोर्ट ने कहा कि याची 2011 में नियमित हुआ है. इसलिए जन्मतिथि को चुनौती देने में देरी नहीं की है. खंडपीठ ने अपील मंजूर कर ली है.