प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले की गलत विवेचना करने के आरोपी डिप्टी एसपी अभिषेक यादव के खिलाफ चल रही विभागीय कार्रवाई को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने उनको दी गई चार्जशीट भी खारिज कर दी है. अभिषेक यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर 3 अप्रैल 2023 को उनके विरुद्ध की जा रही दीर्घ दंड की कार्रवाई और चार्ज शीट को चुनौती दी थी.
याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और अधिवक्ता विभू राय का कहना था कि संभल में चंदौली के क्षेत्र अधिकारी के पद पर कार्य करते समय याची अभिषेक यादव को मुरादाबाद की एक महिला की शिकायत पर कायम दुष्कर्म और एससी एसटी एक्ट के मुकदमे की विवेचना सौंपी गई थी. याची ने जांच के बाद उस मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी. लेकिन, बाद में डिप्टी डायरेक्टर जनरल मुरादाबाद के आदेश से इस मामले की अग्रिम विवेचना दूसरे डिप्टी एसपी को दी गई. जिन्होंने जांच के बाद मामले में चार्जशीट दाखिल की. हालांकि, मुकदमे के विचारण के बाद अभियुक्त गण को अदालत ने बरी कर दिया.
याची के खिलाफ इस मामले में सही तरीके से विवेचना नहीं करने का आरोप लगाया गया है. जिसके फलस्वरूप विभागीय जांच में उसे प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है. जिसे उसने राज्य लोक सेवा प्राधिकरण में चुनौती दी थी. राज्य लोक सेवा प्राधिकरण ने याची के खिलाफ की गई कार्रवाई का आदेश रद्द कर दिया था. विभाग को निर्देश दिया कि वह यह याची से प्रत्यावेदन लेकर उसके पक्ष पर विचार करने के बाद यदि जरूरी समझे तो नए सिरे से कार्रवाई प्रारंभ कर सकते हैं. आदेश के बाद विभाग ने याची के विरुद्ध दीर्घ दंड की कार्रवाई शुरू कर दी. साथ ही उसे 3 अप्रैल 2023 को दूसरी चार्ज शीट दे दी गई. इस दौरान यांची को निलंबित भी कर दिया गया और उसकी प्रोन्नति रोक दी गई.
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वरिष्ठ अधिवक्ता की दलील थी कि एक बार जब राज्य सेवा प्राधिकरण से लघु दंड की कार्रवाई को रद्द कर दिया, तो विभाग के पास उन्हीं आरोपी को लेकर दीर्घ दंड की प्रक्रिया शुरू करने का विकल्प नहीं है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि यह स्पष्ट है कि दोबारा शुरू की गई विभागीय प्रक्रिया में कोई नया आरोप नहीं लगाया गया है और न ही आरंभिक जांच में कोई नया तथ्य सामने आया है. जिससे कि इस मामले में आगे की विवेचना या जांच की आवश्यकता हो. जबकि अभियुक्त को पीड़िता के बयान के बाद अदालत ने बरी किया है.
इस स्थिति में यांची को अब गलत विवेचना का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. याची पर पूर्व में लगाए गए आरोप और बाद में लगाए गए आरोप एक समान है. दोनों में कोई अंतर नहीं है, इसलिए उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है. कोर्ट ने 3 अप्रैल 2023 को दी गई चार्जशीट और आदेश रद्द कर दिया है. साथ ही यांची को नियमानुसार प्रमोशन देने का भी आदेश दिया है.
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