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हवलदार को हेड कांस्टेबल के समान वेतनमान देने का मामला, HC ने यूपी के प्रमुख सचिव होमगार्ड को दिए निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव होमगार्ड उत्तर प्रदेश को प्रशिक्षण केंद्रों में तैनात हवलदार अनुदेशकों को तीन महीने के भीतर हेड कांस्टेबल का वेतनमान और सेवा लाभ देने का निर्णय लेने का निर्देश दिया है.

HC ने यूपी के प्रमुख सचिव होमगार्ड को दिए निर्देश
HC ने यूपी के प्रमुख सचिव होमगार्ड को दिए निर्देश
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Published : Jul 14, 2021, 4:49 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव होमगार्ड उत्तर प्रदेश को तीन महीने में फैसला लेने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने ये निर्देश हवलदार अनुदेशकों को हेड कांस्टेबल के समान वेतमान देने के मामले में दिया है. कोर्ट ने कहा है कि समान वेतनमान देने की कमेटी ने दो बार संस्तुति की है. अनिश्चितकाल तक ढिलाई बरतने की अनुमति नहीं दी जा सकती. शिकायत का निराकरण किया जाए.

ये आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी ने अंजन कुमार भगत और 118 अन्य हवलदार अनुदेशकों की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता के एस कुशवाहा और अभय कुमार कुशवाहा ने बहस की. इनका कहना था कि याचीगण होमगार्ड विभाग में दवलदार अनुदेशक के पद पर कार्यरत हैं. 31 मार्च 77 के शासनादेश में राज्य सरकार ने कहा है कि हेड कांस्टेबल और हवलदार अनुदेशक समान पद है. अब बिना प्रभावित पक्ष को सुने सरकार अपना फैसला वापस नहीं ले सकती. 9 दिसंबर 2017 को 5 सदस्यीय कमेटी ने याचियों के पक्ष में समान वेतनमान देने की संस्तुति की है. सरकार द्वारा फैसला न लेने से याचियों को आर्थिक नुकसान के साथ सेवा परिलाभों से वंचित किया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव होमगार्ड को निर्णय लेने का निर्देश दिया है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव होमगार्ड उत्तर प्रदेश को तीन महीने में फैसला लेने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने ये निर्देश हवलदार अनुदेशकों को हेड कांस्टेबल के समान वेतमान देने के मामले में दिया है. कोर्ट ने कहा है कि समान वेतनमान देने की कमेटी ने दो बार संस्तुति की है. अनिश्चितकाल तक ढिलाई बरतने की अनुमति नहीं दी जा सकती. शिकायत का निराकरण किया जाए.

ये आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी ने अंजन कुमार भगत और 118 अन्य हवलदार अनुदेशकों की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता के एस कुशवाहा और अभय कुमार कुशवाहा ने बहस की. इनका कहना था कि याचीगण होमगार्ड विभाग में दवलदार अनुदेशक के पद पर कार्यरत हैं. 31 मार्च 77 के शासनादेश में राज्य सरकार ने कहा है कि हेड कांस्टेबल और हवलदार अनुदेशक समान पद है. अब बिना प्रभावित पक्ष को सुने सरकार अपना फैसला वापस नहीं ले सकती. 9 दिसंबर 2017 को 5 सदस्यीय कमेटी ने याचियों के पक्ष में समान वेतनमान देने की संस्तुति की है. सरकार द्वारा फैसला न लेने से याचियों को आर्थिक नुकसान के साथ सेवा परिलाभों से वंचित किया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव होमगार्ड को निर्णय लेने का निर्देश दिया है.

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