प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई का प्रशासनिक कुप्रबंध वकीलों के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है. समय से लिंक नहीं मिलने और टाइम स्लॉट न भेजने के कारण असमंजस की स्थिति बनी रहती है. इस कारण अधिवक्ताओं को शाम तक लिंक का इंतजार करना पड़ता है. 25 जून को ऐसी ही एक घटना हुई थी. इसके चलते लिंक का इंतजार न करने वाले वकील को फजीहत झेलनी पड़ी थी.
हाईकोर्ट ने स्कूटर चलाते हुए केस की बहस करने वाले अधिवक्ता को न केवल सुनने से इनकार कर दिया, बल्कि भविष्य में ऐसा न करने की नसीहत भी दी. हाईकोर्ट ने केस की सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए टाल दी है. न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत में खुशबू देवी का केस लगा था. जब सुनवाई का वीडियो लिंक याची अधिवक्ता को दिया गया तो उस समय वह स्कूटर से कहीं जा रहे थे. उन्होंने स्कूटर पर ही लिंक जोड़कर बहस शुरू कर दी. इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई और केस सुनने से इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि भविष्य में सावधानी बरते.
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अक्सर हाईकोर्ट प्रशासन लिंक के समय की सूचना नहीं देता है. इससे वकील घंटों इंतजार करने के बाद निराश हो जाते हैं. एक अधिवक्ता गांव गए हुए थे. हाईकोर्ट ने लिंक भेज दिया. वकील ने खेत से माफी मानते हुए बहस की और कोर्ट ने सुनकर आदेश भी दिया. वकील न्यायालय प्रशासन द्वारा केस लिंक और टाइम स्लॉट न भेजने की शिकायत करते रहते हैं, लेकिन न्यायालय प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता.
केस की वर्चुअल सुनवाई का कोर्ट कार्यालय से एसएमएस आता है. टाइम स्लॉट सुनवाई के आधे घंटे पहले दे दिया जाता है. कोर्ट में काम अधिक होने पर टाइम स्लॉट नहीं भेजा जाता. कोर्ट का काम जल्द खत्म होने पर टाइम स्लॉट दिए बिना ही लिंक भेज दिया जाता है. यही पर चूक हो जाती है. इन्हीं दिक्कतों के कारण वकील खुली अदालत में सुनवाई के लिए प्रदर्शन भी कर रहे हैं.