प्रयागराज: प्रयागराज में कुछ दशक पहले तक शहरी सीमा क्षेत्र में कुल 184 कुएं (Wells) थे, जो लोगों की प्यास बुझाया करते थे. साथ ही मांगलिक कार्यों में भी इनकी पूजा की जाती थी. दिन पर दिन शहर की आबादी बढ़ने और पानी के अन्य साधन होने के कारण आधे से ज्यादा कुएं लोगों की उपेक्षा का शिकार बन गए. कुएं को पाटकर मकान बना लिया गया, जिसके चलते 113 कुओं का नामोनिशान मिट चुका है, वहीं अब शेष बचे 71 कुओं को पुनर्जीवित करने का फैसला जलकल विभाग (Water Department) ने लिया है.
आम तौर पर नगर वासियों को आए दिन लाइट के कट जाने से भी पानी की समस्या से दो चार होना पड़ता है क्योंकि लाइट के कट जाने से पानी की सप्लाई भी थम जाती है, जिसके चलते आम जनमानस के पास पानी नहीं पहुंच पाता है. वहीं कुओं के पुनर्जीवित होने से कुछ हद तक पानी की समस्या दूर होगी. वहीं लो प्रेशर की वजह से भी स्थानीय लोग पेयजल संकट (Drinking Water Crisis) झेल रहे हैं.
जलकल विभाग का कहना है कि शहर में कुल 184 कुएं हैं, जिसमें केवल 71 दोबारा पेयजल आपूर्ति करने की स्थिति में हैं. ऐसे में इन 71 कुओं को समरसेबल के जरिए जोड़कर इनसे उन इलाकों में पेयजल की आपूर्ति की जा सकती है, जो लो प्रेशर की वजह से पेयजल संकट झेल रहे हैं. नगर निगम और जलकल विभाग ने इसे लेकर अपना सर्वे भी शुरू कर दिया है. शहर के अंदर ऐसे इलाकों को चिन्हित किया जा रहा है, जहां-जहां ये कुएं मौजूद हैं.
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि कुएं को फिर से पुनर्जीवित करने के फैसले से काफी हद तक पानी की समस्या का समाधान हो सकेगा. साथ ही वाटर लेवल भी बढ़ेगा. देर से ही सही, जलकल विभाग और नगर निगम की इस पहल से आने वाले दिनों में शहर के कई मोहल्लों को पानी की समस्या से छुटकारा मिल पाएगा.
इसे भी पढ़ें: गंभीर भू-जल संकट के मुहाने पर उत्तर प्रदेश, जानिए...क्या कहते हैं वैज्ञानिक
बता दें कि उत्तर प्रदेश गंभीर भू-जल संकट (Ground Water Crisis) के मुहाने पर खड़ा है. प्रदेश में लगातार अंधाधुंध तरीके से भूगर्भ जल का दोहन किया जा रहा है. तालाबों और पोखरों पर लगातार कब्जे हो रहे हैं. ऐसे में वर्षा जल संचयन की सरकार की योजना भी हवा हवाई साबित हो रही है.
इसे भी पढ़ें: बारिश की एक-एक बूंद सहेजने की कवायद, नई टाउनशिप परियोजनाओं में होगी जल संरक्षण की व्यवस्था