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प्रतापगढ़ : शौचालय निर्माण में 20 लाख का घोटाला, ग्रामीणों ने विकास भवन में दिया धरना

यूपी के प्रतापगढ़ जिले के एक गांव के ग्रामीण विकास भवन में धरने पर बैठ गए. ग्रामीणों का आरोप है कि उनके गांव के ग्राम प्रधान ने शौचालय निर्माण में 20 लाख रुपये का गबन किया है. आरोप है कि ग्रामीणों ने इसकी पहले भी शिकायत की थी, लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

ग्रामीणों ने विकास भवन में दिया धरना.
ग्रामीणों ने विकास भवन में दिया धरना.
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Published : Oct 1, 2020, 6:03 PM IST

प्रतापगढ़ : भारी संख्या में जिले के लक्षमणपुर ब्लॉक के सड़वाखास गांव के ग्रामीण बुधवार को विकास भवन में धरने पर बैठ गए. ग्रामीण डीपीआरओ की गाड़ी के सामने भी बैठ गए और नारा लगाते हुए उन्हें जाने नहीं दिया. करीब दो घंटे तक विकास भवन परिसर में धरना-प्रदर्शन चलता रहा. मामले की सूचना जैसे ही पुलिस को मिली, पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची. किसी तरह से ग्रामीणों को वहां से हटाया गया. तब जाकर जिला पंचायती राज अधिकारी अपनी गाड़ी लेकर फील्ड की तरफ जा सके.

ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और सचिव की मिलीभगत से ग्रामसभा में 20 लाख रुपये के शौचालय का घोटाला किया गया है. 226 शौचालय का पैसा निकाल कर सिर्फ 30 शौचालय का ही निर्माण गांव में कराया गया है. लोगों का कहना है कि ग्रामसभा की तमाम योजनाओं में जमकर धांधली हुई है. ग्रामीणों ने सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष के बेटे व ग्राम प्रधान संजीव पटेल पर ग्राम सभा की तमाम योजनाओ में जमकर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया है. इसके बाद मामले पर संज्ञान लेते हुए डीएम ने जांच के लिए तीन अफसरों की टीम गठित की है.

ग्रामीणों का कहना था कि दो महीने से शिकायत के बाद ग्रामसभा की डीपीआरओ ने जांच की थी. शौचालय के धन के बंदरबाट का मामला सही पाया गया था, लेकिन ग्राम प्रधान संजीव पटेल, सपा नेता और उनके पिता समाजवादी पार्टी प्रतापगढ़ के पूर्व जिलाध्यक्ष हैं. नेता होने के रसूक के चलते आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. सीडीओ और डीपीआरओ द्वारा मामले की जांच के लिए दबाब जा रहा है. वहीं पूरे मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी रवि शंकर दूबे का कहना है कि सड़वा खास ग्रामीणों की शिकायत पर डीएम ने तीन अफसरों की जांच कमेटी बनाई है. अफसरों की जांच रिपोर्ट मिलने पर दोषी ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव के विरुद्ध मामले में कठोर कार्रवाई की जाएगी.

दरअसल, जिले के गांवों के काफी लोगों का कहना है कि जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बड़े पैमाने पर ग्राम सभाओं में खेल हुआ है. सत्ता के रसूख के चलते ग्राम प्रधानों ने जमकर सरकारी धन का बंदरबांट किया है. पूरे जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था, जबकि ग्राम सभाओं में मानक के हिसाब से काम नहीं हुआ है. प्रतापगढ़ में कागजों पर ही हजारों शौचालय बना दिए गए हैं. ऐसे में इस तरह के भ्रष्टाचार को लेकर अब तक कभी कोई गंभीर कार्रवाई नहीं हुई है.

प्रतापगढ़ : भारी संख्या में जिले के लक्षमणपुर ब्लॉक के सड़वाखास गांव के ग्रामीण बुधवार को विकास भवन में धरने पर बैठ गए. ग्रामीण डीपीआरओ की गाड़ी के सामने भी बैठ गए और नारा लगाते हुए उन्हें जाने नहीं दिया. करीब दो घंटे तक विकास भवन परिसर में धरना-प्रदर्शन चलता रहा. मामले की सूचना जैसे ही पुलिस को मिली, पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची. किसी तरह से ग्रामीणों को वहां से हटाया गया. तब जाकर जिला पंचायती राज अधिकारी अपनी गाड़ी लेकर फील्ड की तरफ जा सके.

ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और सचिव की मिलीभगत से ग्रामसभा में 20 लाख रुपये के शौचालय का घोटाला किया गया है. 226 शौचालय का पैसा निकाल कर सिर्फ 30 शौचालय का ही निर्माण गांव में कराया गया है. लोगों का कहना है कि ग्रामसभा की तमाम योजनाओं में जमकर धांधली हुई है. ग्रामीणों ने सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष के बेटे व ग्राम प्रधान संजीव पटेल पर ग्राम सभा की तमाम योजनाओ में जमकर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया है. इसके बाद मामले पर संज्ञान लेते हुए डीएम ने जांच के लिए तीन अफसरों की टीम गठित की है.

ग्रामीणों का कहना था कि दो महीने से शिकायत के बाद ग्रामसभा की डीपीआरओ ने जांच की थी. शौचालय के धन के बंदरबाट का मामला सही पाया गया था, लेकिन ग्राम प्रधान संजीव पटेल, सपा नेता और उनके पिता समाजवादी पार्टी प्रतापगढ़ के पूर्व जिलाध्यक्ष हैं. नेता होने के रसूक के चलते आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. सीडीओ और डीपीआरओ द्वारा मामले की जांच के लिए दबाब जा रहा है. वहीं पूरे मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी रवि शंकर दूबे का कहना है कि सड़वा खास ग्रामीणों की शिकायत पर डीएम ने तीन अफसरों की जांच कमेटी बनाई है. अफसरों की जांच रिपोर्ट मिलने पर दोषी ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव के विरुद्ध मामले में कठोर कार्रवाई की जाएगी.

दरअसल, जिले के गांवों के काफी लोगों का कहना है कि जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बड़े पैमाने पर ग्राम सभाओं में खेल हुआ है. सत्ता के रसूख के चलते ग्राम प्रधानों ने जमकर सरकारी धन का बंदरबांट किया है. पूरे जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था, जबकि ग्राम सभाओं में मानक के हिसाब से काम नहीं हुआ है. प्रतापगढ़ में कागजों पर ही हजारों शौचालय बना दिए गए हैं. ऐसे में इस तरह के भ्रष्टाचार को लेकर अब तक कभी कोई गंभीर कार्रवाई नहीं हुई है.

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