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आखिर 1951 के चुनाव में प्रतापगढ़ की पट्टी विधानसभा से क्यों चुने गए थे 2 विधायक?

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर मचे घमासान के बीच प्रदेश में कुछ ऐसी विधानसभाएं हैं. जिनका राजनीतिक इतिहास रहा है. उनमें से एक प्रतापगढ़ जिले की पट्टी विधानसभा है. जहां से 1951 के चुनाव में एक नहीं बल्कि 2 विधायक चुनकर आए थे. जानिए आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक सीट से 2 विधायक चुन लिए गए.

प्रतिकात्मक चित्र.
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Published : Dec 5, 2021, 12:10 PM IST

प्रतापगढ़: विधानसभा चुनाव 2022 की सुगबुगाहट के बीच राजनीतिक दल जहां अपना सियासी तिकड़म और सियासी चाल चलने के लिए तत्पर दिखाई दे रहे हैं. वहीं, जनता के बीच भी हलचल तेज होती दिख रही है. लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के चुनाव में प्रतापगढ़ जिले की पट्टी विधानसभा से 2 विधायक बने थे.

गौरतलब है कि यह सुनकर लोगों को आश्चर्य होगा कि आखिर एक विधानसभा से 2 विधायक कैसे हो सकते हैं. दरअसल, देश की आजादी के बाद आरक्षण के लिए 1 सीट SC कैटेगरी की थी तो दूसरी सामान्य कैटेगरी की. जिसे 1957 के चुनाव में समाप्त कर दिया गया.

एक साथ दिए जाते थे 2 बैलट पेपर

1951-52 में जब चुनाव हुए तो मतदाताओं को 2 बैलट पेपर दिया जाता था. एक जनरल सीट के उम्मीदवारों के लिए तो दूसरा रिजर्व सीटी के उम्मीदवार के लिए.


पट्टी साउथ से गिरिजा रमण तो पट्टी ईस्ट से जीते थे रामराज शुक्ला

विधानसभा पट्टी में पहले चुनाव में पट्टी साउथ से गिरिजा रमण कांग्रेस के उम्मीदवार थे. जिन्हें कुल 17,900 मत मिले थे. वहीं, उनके खिलाफ लड़े आईएनडी के पशुपति सिंह को 3,351 मत मिले थे. गिरिजारमण ने उन्हें 14,549 मतों से हराया तो पट्टी ईस्ट से रामराज शुक्ला कांग्रेस के उम्मीदवार थे जिन्होंने हरि मंगल सिंह को 14,949 मतों से पराजित किया था.

कांग्रेस की आंधी में दूसरे दल हुए थे लापता

उस समय जिले में 7 के बजाय 6 विधानसभा सीटे थीं और कुल मतदाता 5,67,582 थे. जिले की सभी सीटों पर कांग्रेस ने जीत का झंडा गाड़ा था.

कुछ जानकारी यूपी विधानसभा और विधानपरिषद के बारे में ?

उत्‍तर प्रदेश विधान सभा द्विसदनीय विधान मंडल का निचला स्तर है. इसमें 403 निर्वाचित सदस्‍य और राज्‍यपाल द्वारा मनोनीत एक आंग्‍ल इंडियन सदस्य होते हैं. उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्‍य होते हैं. वर्ष 1967 तक एक आंग्‍ल भारतीय सदस्‍य को सम्मिलित करते हुए विधान सभा की कुल सदस्‍य संख्या 431 थी. वर्ष 1967 के पश्चात् विधान सभा की कुल सदस्‍य संख्‍या 426 हो गई. 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश राज्य के पुनर्गठन एवं उत्तराखण्ड के गठन के पश्चात् विधान सभा की सदस्‍य संख्‍या 403 निर्वाचित एवं 1 आंग्‍ल इंडियन समुदाय के मनोनीत सदस्‍य को सम्मिलित करते हुए कुल 404 हो गई है.

यूपी विधानसभा का कार्यकाल कुल 5 वर्ष का होता है. प्रथम विधानसभा का गठन 8 मार्च, 1952 को हुआ था. तब से इसका गठन 17 बार हो चुका है. वर्तमान सत्रहवीं विधान सभा का गठन 14 मार्च, 2017 को हुआ.

इसे भी पढे़ं- नरैनी विधानसभा: कांग्रेस, सीपीआई और बीएसपी ने किया बराबर राज, बीजेपी शासन में भी समस्याओं से जनता है दो-चार

प्रतापगढ़: विधानसभा चुनाव 2022 की सुगबुगाहट के बीच राजनीतिक दल जहां अपना सियासी तिकड़म और सियासी चाल चलने के लिए तत्पर दिखाई दे रहे हैं. वहीं, जनता के बीच भी हलचल तेज होती दिख रही है. लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के चुनाव में प्रतापगढ़ जिले की पट्टी विधानसभा से 2 विधायक बने थे.

गौरतलब है कि यह सुनकर लोगों को आश्चर्य होगा कि आखिर एक विधानसभा से 2 विधायक कैसे हो सकते हैं. दरअसल, देश की आजादी के बाद आरक्षण के लिए 1 सीट SC कैटेगरी की थी तो दूसरी सामान्य कैटेगरी की. जिसे 1957 के चुनाव में समाप्त कर दिया गया.

एक साथ दिए जाते थे 2 बैलट पेपर

1951-52 में जब चुनाव हुए तो मतदाताओं को 2 बैलट पेपर दिया जाता था. एक जनरल सीट के उम्मीदवारों के लिए तो दूसरा रिजर्व सीटी के उम्मीदवार के लिए.


पट्टी साउथ से गिरिजा रमण तो पट्टी ईस्ट से जीते थे रामराज शुक्ला

विधानसभा पट्टी में पहले चुनाव में पट्टी साउथ से गिरिजा रमण कांग्रेस के उम्मीदवार थे. जिन्हें कुल 17,900 मत मिले थे. वहीं, उनके खिलाफ लड़े आईएनडी के पशुपति सिंह को 3,351 मत मिले थे. गिरिजारमण ने उन्हें 14,549 मतों से हराया तो पट्टी ईस्ट से रामराज शुक्ला कांग्रेस के उम्मीदवार थे जिन्होंने हरि मंगल सिंह को 14,949 मतों से पराजित किया था.

कांग्रेस की आंधी में दूसरे दल हुए थे लापता

उस समय जिले में 7 के बजाय 6 विधानसभा सीटे थीं और कुल मतदाता 5,67,582 थे. जिले की सभी सीटों पर कांग्रेस ने जीत का झंडा गाड़ा था.

कुछ जानकारी यूपी विधानसभा और विधानपरिषद के बारे में ?

उत्‍तर प्रदेश विधान सभा द्विसदनीय विधान मंडल का निचला स्तर है. इसमें 403 निर्वाचित सदस्‍य और राज्‍यपाल द्वारा मनोनीत एक आंग्‍ल इंडियन सदस्य होते हैं. उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्‍य होते हैं. वर्ष 1967 तक एक आंग्‍ल भारतीय सदस्‍य को सम्मिलित करते हुए विधान सभा की कुल सदस्‍य संख्या 431 थी. वर्ष 1967 के पश्चात् विधान सभा की कुल सदस्‍य संख्‍या 426 हो गई. 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश राज्य के पुनर्गठन एवं उत्तराखण्ड के गठन के पश्चात् विधान सभा की सदस्‍य संख्‍या 403 निर्वाचित एवं 1 आंग्‍ल इंडियन समुदाय के मनोनीत सदस्‍य को सम्मिलित करते हुए कुल 404 हो गई है.

यूपी विधानसभा का कार्यकाल कुल 5 वर्ष का होता है. प्रथम विधानसभा का गठन 8 मार्च, 1952 को हुआ था. तब से इसका गठन 17 बार हो चुका है. वर्तमान सत्रहवीं विधान सभा का गठन 14 मार्च, 2017 को हुआ.

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