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दुर्गा पूजा, रामलीला मंचन का रास्ता साफ, पंडितों और मूर्तिकारों के चेहरे पर लौटी रौनक

कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे पंडितों और मूर्तिकारों के लिए नवरात्र खुशखबरी लेकर आई है. दरअसल सरकार द्वारा नवरात्र में दुर्गा पूजा पंडाल और राम लीला मंचन को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है, जिसके बाद निराश हो चुके मूर्तिकारों में खुशी की लहर है. प्रतापगढ़ में जारी गाइडलाइन के बाद पूजा समितियों ने मूर्ति के लिए आर्डर देना शुरू कर दिया है. मूर्तिकारों का कहना है कि ऑर्डर मिलने के बाद वे अब दिन रात प्रतिमाएं तैयार करने में लगे हैं.

पंडितों और मूर्तिकारों के चेहरे पर लौटी रौनक
पंडितों और मूर्तिकारों के चेहरे पर लौटी रौनक
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Published : Oct 18, 2020, 1:34 PM IST

प्रतापगढ़: जिले में हर वर्ष एक हजार से अधिक दुर्गा पूजा पंडाल स्थापित होते हैं. शहर से गांव तक दुर्गा पूजा का उल्लास देखने को मिलता है. रंग बिरंगी लाइटों से सजे पंडालों में एक से बढ़कर एक आकर्षक प्रतिमाएं स्थापित होती हैं. शहर में लाखों रुपये की मूर्तियों और पंडाल सजते हैं. वहीं अब नवरात्रि में दुर्गा पूजा पंडाल और राम लीला मंचन को लेकर गाइडलाइन जारी हुई है. गाइडलाइन जारी होने के बाद समितियों ने मूर्तिकारों के शिविरों में संपर्क शुरू कर दिया है. इससे शिविरों में मूर्ति निर्माण का कार्य शुरू हो गया है. इस बार हर बार की तरह भव्यता का अभाव तो रहेगा. साथ ही साथ करीब 30 से 40 प्रतिशत मूर्तियां ही लग सकेंगी.

जानकारी देते संवाददाता.


कोरोना संकट को देखते हुए पंडित, पुरोहित भी निराश थे कि इस बार देवी की स्थापना नहीं हो सकेगी. वहीं मूर्तिकारों ने भी उम्मीद छोड़ दी थी. लेकिन सरकार के आदेश के बाद रामलीला समितियों और दुर्गा पूजा समितियों में तैयारियां तेज हो गई हैं. इस बार कम ही मूर्तिकार लौटे हैं, जिससे मूर्तियों का निर्माण भी कम हो गया. इनका मूल्य भी अधिक हो गया. जिन मूर्तियों की कीमत दस हजार रुपये थी, वे अब 15 हजार में मिल रहे हैं.

प्रतापगढ़: जिले में हर वर्ष एक हजार से अधिक दुर्गा पूजा पंडाल स्थापित होते हैं. शहर से गांव तक दुर्गा पूजा का उल्लास देखने को मिलता है. रंग बिरंगी लाइटों से सजे पंडालों में एक से बढ़कर एक आकर्षक प्रतिमाएं स्थापित होती हैं. शहर में लाखों रुपये की मूर्तियों और पंडाल सजते हैं. वहीं अब नवरात्रि में दुर्गा पूजा पंडाल और राम लीला मंचन को लेकर गाइडलाइन जारी हुई है. गाइडलाइन जारी होने के बाद समितियों ने मूर्तिकारों के शिविरों में संपर्क शुरू कर दिया है. इससे शिविरों में मूर्ति निर्माण का कार्य शुरू हो गया है. इस बार हर बार की तरह भव्यता का अभाव तो रहेगा. साथ ही साथ करीब 30 से 40 प्रतिशत मूर्तियां ही लग सकेंगी.

जानकारी देते संवाददाता.


कोरोना संकट को देखते हुए पंडित, पुरोहित भी निराश थे कि इस बार देवी की स्थापना नहीं हो सकेगी. वहीं मूर्तिकारों ने भी उम्मीद छोड़ दी थी. लेकिन सरकार के आदेश के बाद रामलीला समितियों और दुर्गा पूजा समितियों में तैयारियां तेज हो गई हैं. इस बार कम ही मूर्तिकार लौटे हैं, जिससे मूर्तियों का निर्माण भी कम हो गया. इनका मूल्य भी अधिक हो गया. जिन मूर्तियों की कीमत दस हजार रुपये थी, वे अब 15 हजार में मिल रहे हैं.

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