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प्रतापगढ़: सीवर लाइन घोटाले को लेकर NGT गंभीर, 36 करोड़ के जुर्माने की चेतावनी - NGT की गंभीर चेतावनी

करीब 21 करोड़ खर्च करने के बाद भी प्रतापगढ़ में सीवर लाइन नहीं बन सकी. शहर का गंदा पानी सई नदी में बदस्तूर गिर रहा है, अब एनजीटी ने इस मामले में सख्त कदम उठाए हैं और ईओ नगर पालिका को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि आपके खिलाफ 36 करोड़ रुपये का जुर्माना क्यों न लगाया जाए.

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सीवर लाइन घोटाले को लेकर NGT गंभीर
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Published : Oct 14, 2020, 8:13 AM IST

प्रतापगढ़: यूपी के प्रतापगढ़ में सीवर लाइन घोटाले को लेकर एनजीटी ने शख्त कार्यवाही का इशारा किया है. करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी सीवर पाइपलाइन नहीं बन सकी. करीब 21 करोड़ खर्च करने के बाद यह प्रोजेक्ट भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ गया था, जिसमें जल निगम के अधिशासी अभियंता और ठेकेदार जेल भी गए. उसके बाद भी सई नदी में शहर का गंदा पानी गिर रहा है. एनजीटी ने इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए ईओ नगर पालिका को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि क्यों न आपके खिलाफ 36 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाए? वहीं करोड़ों के प्रोजेक्ट को बंद कर जल निगम ने दोबारा सीवर लाइन बनाने के लिए नमामी गंगे योजना के तहत एक सौ बीस करोड़ के बजट की मांग की है.

शहर के अष्टभुजानगर निवासी अधिवक्ता टीएस सिंह ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में वाद दायर कर सई नदी में नालों का गंदा पानी गिरने से रोकने की मांग की थी. शहर में लगभग दस साल से सीवर पाइपलाइन बिछाने का काम अधूरा पड़ा हुआ है. करोड़ों रुपये खर्च करके सई नदी पर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित हुआ, मगर नालों को नहीं जोड़े जाने से गंदा पानी सई नदी में गिर रहा है.
नगर क्षेत्र में होने के चलते नगर पालिका और जल निगम को सीवर ट्रीटमेंट और सीवर लाइन बिछाने में एक साथ सहयोग करने का आदेश था. हालांकि पाइप डालने का ठेका जिस फार्म को मिला था वह ब्लैकलिस्टेड हो गई है. मामले में जांच के बाद तत्कालीन अधिशासी अधिकारी जल निगम राजेश खरे और ठेकेदार पर तत्कालीन जिलाधिकारी के आदेश पर केस दर्ज किया गया था. जिसमें उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. हालांकि जल निगम के अधिशासी अधिकारी राजेश खरे रिटायर हो गए हैं. इतने लंबे समय के बाद भी सीवर पाइपलाइन न बिछाने और ट्रीटमेंट प्लांट नहीं प्रारम्भ होने को एनजीटी ने गंभीरता से लिया है. एनजीटी ने नगर पालिका के ईओ को नोटिस भेजते हुए चेतावनी दी है कि क्यों न आपके खिलाफ 36 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाए?


हालांकि कार्यदायी संस्था जल निगम ने यह कहते हुए अपना बचाव कर लिया है कि प्राकलन बनाकर शासन में पूरे कार्य की रिपोर्ट भेजी गयी है. नमामि गंगे के तहत अब सीवर को हर घर से जोड़ा जाएगा, जिसमे 120 करोड़ के करीब खर्च आएगा. बजट मिलते ही निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा. जल निगम ने एनजीटी में अपना पक्ष रख दिया है.

प्रतापगढ़ शहर में तमाम बड़ी योजनाएं भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं. सीवर लाइन न बनने से आदि गंगा कही जाने वाली सई नदी प्रदूषित हो गई है. शहर भर का कूड़ा कचरा नदी में आकर गिर रहा है. अब चार प्रमुख नालों से इन्हें जोड़े जाने की बात सामने आ रही है. सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही के बाद अब देखना यह होगा कि इस मुसीबत से कब मुक्ति मिलती है और सरकार इस मामले को कितना गंभीरता से लेती है. लाखों लोगों को सीवर से जोड़ने की योजना का सभी को इंतजार है.

प्रतापगढ़: यूपी के प्रतापगढ़ में सीवर लाइन घोटाले को लेकर एनजीटी ने शख्त कार्यवाही का इशारा किया है. करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी सीवर पाइपलाइन नहीं बन सकी. करीब 21 करोड़ खर्च करने के बाद यह प्रोजेक्ट भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ गया था, जिसमें जल निगम के अधिशासी अभियंता और ठेकेदार जेल भी गए. उसके बाद भी सई नदी में शहर का गंदा पानी गिर रहा है. एनजीटी ने इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए ईओ नगर पालिका को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि क्यों न आपके खिलाफ 36 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाए? वहीं करोड़ों के प्रोजेक्ट को बंद कर जल निगम ने दोबारा सीवर लाइन बनाने के लिए नमामी गंगे योजना के तहत एक सौ बीस करोड़ के बजट की मांग की है.

शहर के अष्टभुजानगर निवासी अधिवक्ता टीएस सिंह ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में वाद दायर कर सई नदी में नालों का गंदा पानी गिरने से रोकने की मांग की थी. शहर में लगभग दस साल से सीवर पाइपलाइन बिछाने का काम अधूरा पड़ा हुआ है. करोड़ों रुपये खर्च करके सई नदी पर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित हुआ, मगर नालों को नहीं जोड़े जाने से गंदा पानी सई नदी में गिर रहा है.
नगर क्षेत्र में होने के चलते नगर पालिका और जल निगम को सीवर ट्रीटमेंट और सीवर लाइन बिछाने में एक साथ सहयोग करने का आदेश था. हालांकि पाइप डालने का ठेका जिस फार्म को मिला था वह ब्लैकलिस्टेड हो गई है. मामले में जांच के बाद तत्कालीन अधिशासी अधिकारी जल निगम राजेश खरे और ठेकेदार पर तत्कालीन जिलाधिकारी के आदेश पर केस दर्ज किया गया था. जिसमें उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. हालांकि जल निगम के अधिशासी अधिकारी राजेश खरे रिटायर हो गए हैं. इतने लंबे समय के बाद भी सीवर पाइपलाइन न बिछाने और ट्रीटमेंट प्लांट नहीं प्रारम्भ होने को एनजीटी ने गंभीरता से लिया है. एनजीटी ने नगर पालिका के ईओ को नोटिस भेजते हुए चेतावनी दी है कि क्यों न आपके खिलाफ 36 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाए?


हालांकि कार्यदायी संस्था जल निगम ने यह कहते हुए अपना बचाव कर लिया है कि प्राकलन बनाकर शासन में पूरे कार्य की रिपोर्ट भेजी गयी है. नमामि गंगे के तहत अब सीवर को हर घर से जोड़ा जाएगा, जिसमे 120 करोड़ के करीब खर्च आएगा. बजट मिलते ही निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा. जल निगम ने एनजीटी में अपना पक्ष रख दिया है.

प्रतापगढ़ शहर में तमाम बड़ी योजनाएं भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं. सीवर लाइन न बनने से आदि गंगा कही जाने वाली सई नदी प्रदूषित हो गई है. शहर भर का कूड़ा कचरा नदी में आकर गिर रहा है. अब चार प्रमुख नालों से इन्हें जोड़े जाने की बात सामने आ रही है. सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही के बाद अब देखना यह होगा कि इस मुसीबत से कब मुक्ति मिलती है और सरकार इस मामले को कितना गंभीरता से लेती है. लाखों लोगों को सीवर से जोड़ने की योजना का सभी को इंतजार है.

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