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21 दिनों में कोर्ट ने सुनाया फैसला, दुष्कर्म के दोषी को उम्रकैद

दुष्कर्म के एक मामले में कोर्ट ने त्वरित सुनवाई करते हुए महज 21 दिनों में ही अपना फैसला सुना दिया. कोर्ट ने दुष्कर्म के दोषी को मृत्यु होने तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

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महज इक्कीस दिन की सुनवाई में दुष्कर्म के आरोपी को मृत्यु होने तक आजीवन कारावास की सजा
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Published : Aug 25, 2022, 9:59 PM IST

प्रतापगढ़ः जिले में महज 21 दिनों की सुनवाई में दुष्कर्म के दोषी को कोर्ट (court) ने मृत्यु तक उम्रकैद (life imprisonment till death) की सजा सुनाई है. विशेष न्यायाधीश पॉस्को (POSCO) पंकज श्रीवास्तव ने विशेष सहायक लोक अभियोजक देवेश चन्द्र त्रिपाठी की पैरवी पर यह सजा सुनाई. इस ऐतिहासिक फैसले में न्यायालय के साथ ही पुलिस की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही.

इस बारे में देवेश चन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि घटना तीन जून को घटित हुई थी. राजकुमार मौर्य उर्फ खुटानी नगर कोतवाली इलाके में रहने वाले अपने मुकदमे की पैरवी के लिए एक अधिवक्ता के घर पहुंचा था. यहां अधिवक्ता की 11 वर्षीय बेटी और छोटा बेटा घर पर था. अधिवक्ता और उनकी पत्नी घर पर नहीं थे. राजकुमार मौर्य ने बेटे को किचन में बंद कर मासूम बेटी को अपनी हवस का शिकार बनाया था.

परिजनों के घर पहुचने पर मासूम ने अपनी आपबीती सुनाई थी. इसके बाद मुकदमा दर्ज कराया गया था. पुलिस ने मासूम का मेडिकल कराकर दुष्कर्मी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. पुलिस ने इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए गवाह और साक्ष्य पेश किए. 24 तारीखों में पुलिस दोष सिद्ध करने में कामयाब रही. पच्चीसवीं तारीख पर कोर्ट ने यह फैसला सुना दिया. इस मामले में मासूम ने भी आरोपी के खिलाफ गवाही दी थी. इस वजह से कोर्ट को फैसला सुनाने में आसानी हुई.

प्रतापगढ़ः जिले में महज 21 दिनों की सुनवाई में दुष्कर्म के दोषी को कोर्ट (court) ने मृत्यु तक उम्रकैद (life imprisonment till death) की सजा सुनाई है. विशेष न्यायाधीश पॉस्को (POSCO) पंकज श्रीवास्तव ने विशेष सहायक लोक अभियोजक देवेश चन्द्र त्रिपाठी की पैरवी पर यह सजा सुनाई. इस ऐतिहासिक फैसले में न्यायालय के साथ ही पुलिस की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही.

इस बारे में देवेश चन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि घटना तीन जून को घटित हुई थी. राजकुमार मौर्य उर्फ खुटानी नगर कोतवाली इलाके में रहने वाले अपने मुकदमे की पैरवी के लिए एक अधिवक्ता के घर पहुंचा था. यहां अधिवक्ता की 11 वर्षीय बेटी और छोटा बेटा घर पर था. अधिवक्ता और उनकी पत्नी घर पर नहीं थे. राजकुमार मौर्य ने बेटे को किचन में बंद कर मासूम बेटी को अपनी हवस का शिकार बनाया था.

परिजनों के घर पहुचने पर मासूम ने अपनी आपबीती सुनाई थी. इसके बाद मुकदमा दर्ज कराया गया था. पुलिस ने मासूम का मेडिकल कराकर दुष्कर्मी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. पुलिस ने इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए गवाह और साक्ष्य पेश किए. 24 तारीखों में पुलिस दोष सिद्ध करने में कामयाब रही. पच्चीसवीं तारीख पर कोर्ट ने यह फैसला सुना दिया. इस मामले में मासूम ने भी आरोपी के खिलाफ गवाही दी थी. इस वजह से कोर्ट को फैसला सुनाने में आसानी हुई.

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