प्रतापगढ़: कोरोना वायरस संकट के बीच घर की चारदीवारी में रहने को मजबूर लोगों के बीच बेजुबान बंदरों का हाल बेहाल है. मंदिर के कपाट बंद होने से चढ़ावा मंदिर तक नहीं पहुंच रहा है. इससे इन बंदरों की भूख शांत करने का रास्ता भी बंद हो गया है. बेल्हा की धरती पावन स्थलों और मंदिरों के लिए जानी जाती है. उसी के साथ मंदिर परिसर में रहने वाले बेजुबान बंदरों का जमावड़ा भी इन मंदिरों की एक मुख्य विशेषता है.
पिछले एक महीने से कोरोना महामारी से सरकार ने देश के सभी धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए रोक लगा दी है. यही कारण है कि हमेशा भक्तों से गुलजार रहने वाले ये मंदिर वीरान नजर आ रहे हैं. ऐसे में मंदिर परिसर के आसपास रहने वाले इन बंदरों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. इस दौरान जब कुछ स्थानीय लोगों ने इन बेजुबानों की ऐसी दयनीय दशा देखी, तो बेल्हा के मंदिरों में पहुंचकर फल और अन्य खाद्य सामग्री बंदरों को खिलाई.
प्रतापगढ़: लॉकडाउन के कारण मंदिर बंद, बंदरों के लिए भी भोजन का संकट - प्रतापगढ़ खबर
कोरोना महामारी के कारण मंदिरों में ताले लटके हैं. ऐसे में प्रतापगढ़ जिले के बेल्हा की धरती पर बने पावन स्थलों और मंदिरों परिसर में रहने वाले बंदरों का बुरा हाल है. चढ़ावे से भूख शांत करने वाले बंदरों की सुध लेने वाला अब कोई नहींं है.
प्रतापगढ़: कोरोना वायरस संकट के बीच घर की चारदीवारी में रहने को मजबूर लोगों के बीच बेजुबान बंदरों का हाल बेहाल है. मंदिर के कपाट बंद होने से चढ़ावा मंदिर तक नहीं पहुंच रहा है. इससे इन बंदरों की भूख शांत करने का रास्ता भी बंद हो गया है. बेल्हा की धरती पावन स्थलों और मंदिरों के लिए जानी जाती है. उसी के साथ मंदिर परिसर में रहने वाले बेजुबान बंदरों का जमावड़ा भी इन मंदिरों की एक मुख्य विशेषता है.
पिछले एक महीने से कोरोना महामारी से सरकार ने देश के सभी धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए रोक लगा दी है. यही कारण है कि हमेशा भक्तों से गुलजार रहने वाले ये मंदिर वीरान नजर आ रहे हैं. ऐसे में मंदिर परिसर के आसपास रहने वाले इन बंदरों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. इस दौरान जब कुछ स्थानीय लोगों ने इन बेजुबानों की ऐसी दयनीय दशा देखी, तो बेल्हा के मंदिरों में पहुंचकर फल और अन्य खाद्य सामग्री बंदरों को खिलाई.