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इस अनोखी खेती से किसान कमा रहे मोटा मुनाफा, डीएम ने भी किया निरीक्षण

यूपी के पीलीभीत में उद्यान विभाग की एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना किसानों की किस्मत बदलने का काम कर रही है. इस योजना के माध्यम से किसान अपने खेतों पर पाली हाउस बना रहे हैं. इस हाईटेक तकनीक से खासकर बेमौसमी ऑर्गेनिक सब्जियां तैयार होती हैं.

बागवानी.बागवानी.
बागवानी.
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Published : Mar 17, 2021, 10:47 AM IST

पीलीभीत: जनपद में उद्यान विभाग की एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना किसानों की किस्मत बदल रही है. योजना के माध्यम से किसान अपने खेतों पर पाली हाउस बना रहे हैं. इस हाईटेक तकनीक से खासकर बेमौसमी ऑर्गेनिक सब्जियां तैयार होती हैं. किसान परंपरा खेती को छोड़कर पाली हाउस के माध्यम से बेमौसम सब्जियों का उत्पादन कर महानगरों में सप्लाई भी कर रहे हैं. खास बात यह है कि सरकार किसानों को लागत का 50 फीसदी अनुदान भी दे रही है. पीलीभीत के कई किसानों ने सब्जियों व फूलो को अपने पाली हाउस में लगा रखा है और सालाना लाखो रुपये मुनाफा कमा रहे है.

पीलीभीत के किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. उद्यान विभाग का एकीकृत बागवानी विकास मिशन किसानों के लिए यह अफसर लेकर आया है जो किसानों को लागत का 50 प्रतिशत अनुदान भी दे रहा है. इस योजना के तहत पीलीभीत के किसान भूपेन्द्र ने जहां फूलों की खेती लगाई है तो वहीं रमेश ने सरकारी अनुदान से खीरे की खेती शुरू की है. भूपेंद्र का कहना है कि उसने अपनी 1 एकड़ भूमि पर 59 लाख रुपए से फूलों की खेती लगा रखी है. जिसमें सरकार ने उसको 50% अनुदान दिया है अब वह हर साल 7 से ₹8 लाख खर्च निकाल कर बचा रहा है तो वही रमेश भी खीरे की खेती कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.

पाली हाउस में रमेश व भूपेंद्र जैसे कई किसान मौसमी बेसब्जियों व फूलों की खेती कर रहे हैं. इसमें हाईटेक तकनीक से खासकर मौसमी ऑर्गेनिक सब्जियां तैयार होती हैं इसकी खासियत यह है कि इसमें पौधे और फसल को नुकसान नहीं होता और पौधे रोग मुक्त होते हैं. उद्यान विभाग की इस योजना का लाभ उठाकर जिले के इन जैसे अन्य किसान भी अब आधुनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. पॉलीहाउस में उगाई गई सब्जियां न सिर्फ बिना फ्रिज के लंबे समय तक सुरक्षित रखी जा सकती हैं बल्कि खाने में भी स्वादिष्ट होती हैं. पाली हाउस में किसान लाल-पीला शिमला मिर्खी, खीरा, टमाटर, हरी धनिया, लौकी तुरई के साथ ही जरबेरा गुलाब लिलियम जैसे महंगे फूलों की फसल कर रहे हैं. पीलीभीत के जिलाधिकारी पुलकित खरे ने भी भूपेंद्र के पाली हाउस का निरीक्षण किया था जिसके बाद डीएम ने भी लोगो से इस योजना का लाभ उठाने की बात की है.

क्या होता है पाली हाउस
पाली हाउस एक फ्रेम नुमा उभरा हुआ ढांचा होता है, जो पारदर्शी पॉलिथीन या शीट से ढका होता है. फसलों को नियंत्रित या आंशिक नियंत्रित पर्यावरण में उगाया जाता है. इसमें पानी की भी कम आवश्यकता होती है. क्योंकि इसकी खेती ड्रिप सिंचाई से होती है. पालीहाउस प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग विपरीत मौसम की स्थिति में फसल उगाने व अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है.

इसे भी पढे़ं- कासगंज: जमीन के विवाद को लेकर हुई मारपीट, एक युवक की मौत

पीलीभीत: जनपद में उद्यान विभाग की एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना किसानों की किस्मत बदल रही है. योजना के माध्यम से किसान अपने खेतों पर पाली हाउस बना रहे हैं. इस हाईटेक तकनीक से खासकर बेमौसमी ऑर्गेनिक सब्जियां तैयार होती हैं. किसान परंपरा खेती को छोड़कर पाली हाउस के माध्यम से बेमौसम सब्जियों का उत्पादन कर महानगरों में सप्लाई भी कर रहे हैं. खास बात यह है कि सरकार किसानों को लागत का 50 फीसदी अनुदान भी दे रही है. पीलीभीत के कई किसानों ने सब्जियों व फूलो को अपने पाली हाउस में लगा रखा है और सालाना लाखो रुपये मुनाफा कमा रहे है.

पीलीभीत के किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. उद्यान विभाग का एकीकृत बागवानी विकास मिशन किसानों के लिए यह अफसर लेकर आया है जो किसानों को लागत का 50 प्रतिशत अनुदान भी दे रहा है. इस योजना के तहत पीलीभीत के किसान भूपेन्द्र ने जहां फूलों की खेती लगाई है तो वहीं रमेश ने सरकारी अनुदान से खीरे की खेती शुरू की है. भूपेंद्र का कहना है कि उसने अपनी 1 एकड़ भूमि पर 59 लाख रुपए से फूलों की खेती लगा रखी है. जिसमें सरकार ने उसको 50% अनुदान दिया है अब वह हर साल 7 से ₹8 लाख खर्च निकाल कर बचा रहा है तो वही रमेश भी खीरे की खेती कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.

पाली हाउस में रमेश व भूपेंद्र जैसे कई किसान मौसमी बेसब्जियों व फूलों की खेती कर रहे हैं. इसमें हाईटेक तकनीक से खासकर मौसमी ऑर्गेनिक सब्जियां तैयार होती हैं इसकी खासियत यह है कि इसमें पौधे और फसल को नुकसान नहीं होता और पौधे रोग मुक्त होते हैं. उद्यान विभाग की इस योजना का लाभ उठाकर जिले के इन जैसे अन्य किसान भी अब आधुनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. पॉलीहाउस में उगाई गई सब्जियां न सिर्फ बिना फ्रिज के लंबे समय तक सुरक्षित रखी जा सकती हैं बल्कि खाने में भी स्वादिष्ट होती हैं. पाली हाउस में किसान लाल-पीला शिमला मिर्खी, खीरा, टमाटर, हरी धनिया, लौकी तुरई के साथ ही जरबेरा गुलाब लिलियम जैसे महंगे फूलों की फसल कर रहे हैं. पीलीभीत के जिलाधिकारी पुलकित खरे ने भी भूपेंद्र के पाली हाउस का निरीक्षण किया था जिसके बाद डीएम ने भी लोगो से इस योजना का लाभ उठाने की बात की है.

क्या होता है पाली हाउस
पाली हाउस एक फ्रेम नुमा उभरा हुआ ढांचा होता है, जो पारदर्शी पॉलिथीन या शीट से ढका होता है. फसलों को नियंत्रित या आंशिक नियंत्रित पर्यावरण में उगाया जाता है. इसमें पानी की भी कम आवश्यकता होती है. क्योंकि इसकी खेती ड्रिप सिंचाई से होती है. पालीहाउस प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग विपरीत मौसम की स्थिति में फसल उगाने व अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है.

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