पीलीभीतः एक अक्टूबर से पूरे उत्तर प्रदेश में धान खरीद शुरू हो चुकी है. ऐसे में पीलीभीत में भी जिला प्रशासन ने धान खरीद के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था का दावा किया था लेकिन शनिवार को मंडी परिसर में किसानों द्वारा किए गए हंगामे के दावे की पोल खुल गई.
दरअसल, सरकार द्वारा जारी की गई नई नीति के अनुसार 1 दिन में रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसान का अधिकतम 50 क्विंटल धान ही तौल जा सकता है. वहीं, बीते दिनों लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद पीलीभीत में नेट बंद होने के कारण धान खरीद का काम प्रभावित हुआ. शनिवार को किसान जब नवीन मंडी परिसर में अपना धान लेकर पहुंचे तो सेंटर पर बहाने बनाकर धान तौल करने से इनकार कर दिया गया. जिसके बाद जब किसानों ने मंडी में मौजूद आढ़तियों से बोली लगवाई तो भी खरीद से इनकार कर दिया. इसके बाद मंडी परिसर में किसानों ने हंगामा शुरू कर दिया.
जब अफसरों के सामने धान की बोली के दौरान दाम निकल कर सामने आए तो किसानों ने कहा कि साहब वाजिब दाम तो छोड़िए लागत भी नहीं मिल रही है. ऐसे में हम कैसे अपना धान बेच दें. एक तरफ सरकार एमएसपी पर धान खरीद का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ न मंडी में किसान मारा-मारा घूम रहा है. धान का कोई खरीददार नहीं है और सरकारी सेंटरों पर भी खर्चा मांगा जा रहा है. पूरे मामले में आढ़तियों ने भी अपनी शिकायतों का ठीकरा आला अधिकारियों के सामने फोड़ दिया. आढ़तियों का आरोप था कि पीलीभीत जिले में मिलों की बहुतायत है लेकिन इसके बावजूद मिल मालिक बोली लगाने के लिए मंडी परिषद नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में किसान लूटा जा रहा है और आढ़तियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. औने-पौने दामों में अपनी मिलों पर ही धान खरीद कर रहे हैं.
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान एक तरफ जहां सरकारी धान खरीद के सेंटरों पर सन्नाटा पसरा नजर आया. ऐसे में जब मंडी परिसर में पल्लेदारी करने वाले मजदूरों कहा कि कमाई की बात तो छोड़िए रोटी तक के लाले पड़ गए हैं. मजदूरों ने यह कह दिया कि पहले सीजन अच्छे हुआ करते थे लेकिन अब धान कम रेट में बिकने के कारण मंडी में धान नहीं पहुंच रहा है.