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किसान बोले, साहब! एमएसपी तो छोड़ो 1500 रुपये में भी नहीं बिक रहा धान - उत्तर प्रदेश में धान खरीद शुरू

पीलीभीत की मंडियों में कम कीमत पर धान खरीदने को लेकर किसानों ने जमकर हंगामा किया. सूचना पर पहुंचे अधिकारियों के सामने भी धान की बोली 1350 रुपये लगाई गई, जिसके बाद किसानों ने सरकार के खिलाफ विरोध जताया.

किसानों ने किया हंगामा.
किसानों ने किया हंगामा.
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Published : Oct 9, 2021, 7:17 PM IST

पीलीभीतः एक अक्टूबर से पूरे उत्तर प्रदेश में धान खरीद शुरू हो चुकी है. ऐसे में पीलीभीत में भी जिला प्रशासन ने धान खरीद के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था का दावा किया था लेकिन शनिवार को मंडी परिसर में किसानों द्वारा किए गए हंगामे के दावे की पोल खुल गई.

दरअसल, सरकार द्वारा जारी की गई नई नीति के अनुसार 1 दिन में रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसान का अधिकतम 50 क्विंटल धान ही तौल जा सकता है. वहीं, बीते दिनों लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद पीलीभीत में नेट बंद होने के कारण धान खरीद का काम प्रभावित हुआ. शनिवार को किसान जब नवीन मंडी परिसर में अपना धान लेकर पहुंचे तो सेंटर पर बहाने बनाकर धान तौल करने से इनकार कर दिया गया. जिसके बाद जब किसानों ने मंडी में मौजूद आढ़तियों से बोली लगवाई तो भी खरीद से इनकार कर दिया. इसके बाद मंडी परिसर में किसानों ने हंगामा शुरू कर दिया.

किसानों ने किया हंगामा.
मंडी सचिव के घेराव की सूचना मिलने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट अरुण कुमार, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नूपुर गोयल मंडी परिसर पहुंचकर किसानों की समस्याओं को सुना. जिसके बाद दोनों अफसरों ने अपने सामने ही मिल मालिकों और आढ़तियों से धान की बोली लगवाई. इसके बाद किसानों द्वारा बयां की गई हकीकत सामने आ गई. किसी भी व्यक्ति ने 1350 रुपये से ऊपर की बोली नहीं लगाई. बोली की शुरुआत 12 सो रुपये से की गई थी जो कभी 10 कभी 20 कभी 25 तो कभी 1 या 2 बढ़कर बमुश्किल 1350 पहुंच पाई.

इसे भी पढ़ें-मायावती ने आप के वादों को बताया हवा-हवाई तो संजय सिंह बोले 'बहनजी' दिल्ली आकर देख जाएं केजरीवाल का विकास मॉडल


जब अफसरों के सामने धान की बोली के दौरान दाम निकल कर सामने आए तो किसानों ने कहा कि साहब वाजिब दाम तो छोड़िए लागत भी नहीं मिल रही है. ऐसे में हम कैसे अपना धान बेच दें. एक तरफ सरकार एमएसपी पर धान खरीद का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ न मंडी में किसान मारा-मारा घूम रहा है. धान का कोई खरीददार नहीं है और सरकारी सेंटरों पर भी खर्चा मांगा जा रहा है. पूरे मामले में आढ़तियों ने भी अपनी शिकायतों का ठीकरा आला अधिकारियों के सामने फोड़ दिया. आढ़तियों का आरोप था कि पीलीभीत जिले में मिलों की बहुतायत है लेकिन इसके बावजूद मिल मालिक बोली लगाने के लिए मंडी परिषद नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में किसान लूटा जा रहा है और आढ़तियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. औने-पौने दामों में अपनी मिलों पर ही धान खरीद कर रहे हैं.

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान एक तरफ जहां सरकारी धान खरीद के सेंटरों पर सन्नाटा पसरा नजर आया. ऐसे में जब मंडी परिसर में पल्लेदारी करने वाले मजदूरों कहा कि कमाई की बात तो छोड़िए रोटी तक के लाले पड़ गए हैं. मजदूरों ने यह कह दिया कि पहले सीजन अच्छे हुआ करते थे लेकिन अब धान कम रेट में बिकने के कारण मंडी में धान नहीं पहुंच रहा है.

पीलीभीतः एक अक्टूबर से पूरे उत्तर प्रदेश में धान खरीद शुरू हो चुकी है. ऐसे में पीलीभीत में भी जिला प्रशासन ने धान खरीद के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था का दावा किया था लेकिन शनिवार को मंडी परिसर में किसानों द्वारा किए गए हंगामे के दावे की पोल खुल गई.

दरअसल, सरकार द्वारा जारी की गई नई नीति के अनुसार 1 दिन में रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसान का अधिकतम 50 क्विंटल धान ही तौल जा सकता है. वहीं, बीते दिनों लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद पीलीभीत में नेट बंद होने के कारण धान खरीद का काम प्रभावित हुआ. शनिवार को किसान जब नवीन मंडी परिसर में अपना धान लेकर पहुंचे तो सेंटर पर बहाने बनाकर धान तौल करने से इनकार कर दिया गया. जिसके बाद जब किसानों ने मंडी में मौजूद आढ़तियों से बोली लगवाई तो भी खरीद से इनकार कर दिया. इसके बाद मंडी परिसर में किसानों ने हंगामा शुरू कर दिया.

किसानों ने किया हंगामा.
मंडी सचिव के घेराव की सूचना मिलने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट अरुण कुमार, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नूपुर गोयल मंडी परिसर पहुंचकर किसानों की समस्याओं को सुना. जिसके बाद दोनों अफसरों ने अपने सामने ही मिल मालिकों और आढ़तियों से धान की बोली लगवाई. इसके बाद किसानों द्वारा बयां की गई हकीकत सामने आ गई. किसी भी व्यक्ति ने 1350 रुपये से ऊपर की बोली नहीं लगाई. बोली की शुरुआत 12 सो रुपये से की गई थी जो कभी 10 कभी 20 कभी 25 तो कभी 1 या 2 बढ़कर बमुश्किल 1350 पहुंच पाई.

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जब अफसरों के सामने धान की बोली के दौरान दाम निकल कर सामने आए तो किसानों ने कहा कि साहब वाजिब दाम तो छोड़िए लागत भी नहीं मिल रही है. ऐसे में हम कैसे अपना धान बेच दें. एक तरफ सरकार एमएसपी पर धान खरीद का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ न मंडी में किसान मारा-मारा घूम रहा है. धान का कोई खरीददार नहीं है और सरकारी सेंटरों पर भी खर्चा मांगा जा रहा है. पूरे मामले में आढ़तियों ने भी अपनी शिकायतों का ठीकरा आला अधिकारियों के सामने फोड़ दिया. आढ़तियों का आरोप था कि पीलीभीत जिले में मिलों की बहुतायत है लेकिन इसके बावजूद मिल मालिक बोली लगाने के लिए मंडी परिषद नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में किसान लूटा जा रहा है और आढ़तियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. औने-पौने दामों में अपनी मिलों पर ही धान खरीद कर रहे हैं.

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान एक तरफ जहां सरकारी धान खरीद के सेंटरों पर सन्नाटा पसरा नजर आया. ऐसे में जब मंडी परिसर में पल्लेदारी करने वाले मजदूरों कहा कि कमाई की बात तो छोड़िए रोटी तक के लाले पड़ गए हैं. मजदूरों ने यह कह दिया कि पहले सीजन अच्छे हुआ करते थे लेकिन अब धान कम रेट में बिकने के कारण मंडी में धान नहीं पहुंच रहा है.

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