मुजफ्फरनगर : इतिहास के पन्नों में ऐसे तमाम महापुरुषों और योद्धाओं के नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हैं, जिन्होंने देश की खातिर अपना सर्वश्व लुटा दिया. लेकिन आज भी ऐसे लोग हैं जो देश हित में अपना ही नहीं बल्कि अपने पुरे परिवार का जीवन समर्पित कर दिया है. जी हां, हम बात कर रहे हैं मुजफ्फरनगर जिले के राजपाल सिंह की, जिन्हें लोग कलयुग का दधीचि के नाम से भी जानते हैं.
दरअसल मुजफ्फरनगर के थाना मंसूरपुर क्षेत्र में स्थित चीनी मिल में मामूली सी मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं. राजपाल सिंह कोई और नहीं बल्कि कलियुग का दधीचि हैं, जिसने अपनी देह का ही दान नहीं किया बल्कि मरणोपरांत अपनी पत्नी और बेटा की आंखे और किडनी भी दान कर चुके हैं. बड़ी बात ये है कि इतना सब कुछ करने के बाद भी देश भक्त राजपाल सिंह को तक किसी भी तरह का सरकारी सम्मान या मदद नहीं मिली है. हालांकि इसके बावजूद आज भी वह अपने शरीर के अंगों को दान करने का जज्बा अपने अंदर जिंदा रखे हैं.
घायल सैनिक को दान की थी किडनी
प्राचीन काल में महर्षि दधीचि ने राक्षसों का संहार करने के लिए वज्र बनाने के लिए अपने प्राणों का त्याग कर अपनी अस्थियां दान की थी. जिससे देवताओं ने मानव कल्याण के लिए राक्षसों का संहार किया था. वहीं मंसूरपुर के डीसीएम शुगर मिल में मामूली कर्मचारी के पद पर कार्यरत राजपाल सिंह चौहान ने बेगराजपुर स्थित मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को शपथ पत्र के माध्यम से छात्रों के लिए 14 जून 2009 को मरणोपरांत अपने शरीर (देह दान) कर एक मिसाल कायम की है. इतना ही नहीं इससे पूर्व राजपाल की पत्नी इन्दु चौहान ने भी सन 2007 में मरणोपरांत कारगिल युद्ध के घायल जांबाज को अपनी किडनी दान कर देश भक्ति का परिचय दिया था.
24 वर्षीय बेटे हिमांशु ने भी आंखें कर दी थी दान
राजपाल सिंह के 24 वर्षीय बड़े बेटे हिमांशु की मौत के बाद चार जनवरी 2020 को मेडिकल कॉलेज में उसकी आंखे दान की गयीं. इससे पूर्व राजपाल सिंह की चाची चम्पा देवी ने भी सन 2011 में मरणोपरांत अपनी किडनी दान कर दी थी.
छोटे बेटे ने भी किया देह दान का एलान
राजपाल सिंह का छोटा बेटा दीपांशु भी आज बुखार की बीमारी से ग्रस्त है, उसका मानसिक संतुलन भी ठीक नहीं है. लेकिन उसका भी जज्बा है की वह भी अपने पुरे परिवार के पद चिन्हों पर चलकर मरणोपरांत अपने पुरे शरीर का दान करे.
न सम्मान और न ही आर्थिक मदद
अपने पुरे परिवार को देश के लिए समर्पित कर चुके राजपाल सिंह के पास जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री समेत अन्य मंत्रालयों में भेजे गए पत्रों का एक बड़ा संकलन है. इतना ही नहीं राजपाल के कमरे में दीवारों पर लटकी धुल से सनी तस्वीरों में जिलाधिकारी, पुलिस अधिकारीयों के अलावा प्रमुख नेताओं और मंत्रियों के साथ राजपाल के साथ खींची फोटो भी गवाही दे रही है कि इनको आर्थिक मदद और राजकीय सम्मान का भरोसा तो सबने दिलाया लेकिन खरा कोई नहीं उतरा. राजपाल सिंह आज भी अपनी गरीबी के चलते साधारण जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं. लेकिन आज भी देश भक्ति का जज्बा लिए राजपाल अपने शरीर के अंगों का दान देने के लिए पूर्ण रूप से देश के प्रति समर्पित हैं.