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कोल्हू और मिलों से निकल रहा जहरीला धुंआ, प्रदूषण विभाग अलर्ट - pollution department alert

दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में इन दिनों प्रदूषण की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है. इसको लेकर प्रदूषण विभाग अलर्ट है. प्रदूषण विभाग का कहना है कि जिले में स्थिति सामान्य है जबकि किसानों का कहना है कि यहां फैक्ट्रियों के नाम पर आतंक फैलाया जा रहा है.

कचरा
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Published : Oct 8, 2020, 10:21 AM IST

मुजफ्फरनगर: बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार भले ही जिला प्रसाशन को अलर्ट कर दिया हो, लेकिन दिल्ली के साथ-साथ मुजफ्फरनगर भी प्रदूषण की चपेट में है. जनपद के सभी कोल्हुओं की भट्टियां गन्ने की खोई या लकड़ियों से न जलाकर उन्हें पेपर मिलों के बॉयलर से रीसायकल होकर निकलने वाली पन्नियों के स्क्रेप के साथ प्लास्टिक और रबड़ के जूते चप्पलों के स्क्रेप से जलाया जा रहा है. वहीं कोल्हुओं की चिमनियों से निकलने वाले जहरीले धुंए और पेपर मिलों से निकलने वाली काली राख उड़कर वायुमंडल को प्रदूषित कर रही है.

क्षेत्रवासी वायुमंडल में फैल रहे प्रदूषण से किसी गंभीर बीमारी होने और खेतों में खड़ी फसलों के नष्ट होने को लेकर चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं. कोल्हू मालिक कोल्हू की भट्टियों में जलने वाले गन्ने की खोई, पेपर मिलों में अच्छे दामों पर बिक्री कर मोटा मुनाफा कमाने में लगे हैं. वहीं भट्टियों में प्लास्टिक का कचरा फूंक कर अपना मोटा मुनाफा कमाकर क्षेत्रवासियों को जहरीला वायु प्रदूषण भी परोस रहे हैं. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से निरंतर प्रदूषण फैलाने वाली उद्योग इकाइयों पर शिकंजा कसा जा रहा है और जुर्माने की कार्रवाई भी अमल में लाई जा रही है. मुजफ्फरनगर के वायुमंडल में अब तक की गई प्रदूषण की जांच में तीसरे स्थान पर पाया गया है, जो की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI ) के अनुसार 179 प्रदूषण पाया गया गया है, जो की Moderate की श्रेणी में आता है.

मुजफ्फरनगर में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक.

उत्तर प्रदेश के आगरा, बागपत, बुलंदशहर, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़, मेरठ, मुरादाबाद और वाराणसी समेत अन्य शहरों की आब ओ-हवा अब जहरीली हो चुकी है. मुजफ्फरनगर शहर की वायु गुणवत्ता अच्छी नहीं है. लॉकडाउन हटने के बाद इंडस्ट्री, ट्रांसपोर्ट, कोल्हू इत्यादि सभी व्यवसाय पटरी पर आ चुके हैं, जिसके चलते इंडस्ट्री और कोल्हुओं की चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुंआ आब-ओ-हवा में जहर घोल रहा है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंतरण बोर्ड मुजफ्फरनगर लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उद्योग बंधुओं को मीटिंग कर चेतावनी दे रहा है. किसी भी प्रकार की अनियमतता पाए जाने पर फेक्ट्रियों पर जुर्माने की कार्रवाई करते हुए फेक्ट्रियों को सील कर जुर्माने की रकम भी वसूली जा रही है.

कैसे फैल रहा प्रदूषण

वायुमंडल में प्रदूषण फैलाने के मुख्य रूप से जिम्मेदार पेपर इंडस्ट्री के अलावा जनपद में चल रहे गुड बनाने के लगभग 1600 कोल्हू भी हैं. जनपद के सभी कोल्हुओं की भट्टियों को गन्ने की खोई या लकड़ियों से न जलाकर उन्हें पेपर मिलों के बॉयलर से रीसायकल होकर निकलने वाली पन्नियों के स्क्रेप के साथ प्लास्टिक और रबड़ के जूते चप्पलों के स्क्रेप से जलाया जा रहा है. वहीं पेपर इंडस्ट्री की भट्टियों में भी सुखी पन्नियों और प्लास्टिक के कचरे को चोरी छिपे जलाया जा रहा है. पेपर मिल की भट्टियों से निकलने वाली काली राख को भी ठेकेदारों के माध्यम से खुले स्थानों पर सड़कों के किनारे भण्डारण किया जा रहा है, जो कि तेज हवा चलने के कारण किसान की फसलों के साथ मानव जन जीवन को भयानक बिमारियां परोसकर प्रभावित करती हैं.

स्थानीय किसान प्रेमपाल का कहना है कि राख, चुने वालों ने यहां पर आतंक मचा रखा है. इन फैक्ट्रियों से यही मिल रहा है. यहां के लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. रोजगार कमाने वाले तो दो-चार आदमी हैं. यह लोगों को मारने के चक्कर में लग रहे हैं. यह राख ले जाकर नहर में भी गिरा देते हैं.

सरकारी अस्पताल के चिकित्साधिकारी डॉ. मश्कूर आलम का कहना है कि जिस तरीके से अभी प्रदूषण बढ़ना शुरू हुआ है. सर्दियों के टाइम में और ज्यादा बढ़ जाता है. लोग जो लकड़ी जलाते हैं, कोई भी जहरीली हवा होती है तो उसका फेफड़ों में निगेटिव इफेक्ट आता है. कोरोना में भी फेफड़ों के इफेक्ट आते हैं. इससे ज्यादा गंभीर मरीज आने की संभावना हो सकती है. इस तरीके से प्रदूषण अगर बढ़ता रहा तो कोरोना के भी मरीजों में यह गंभीरता बढ़ती चली जाएगी.

मुजफ्फरनगर में प्रदूषण का स्तर

National Green Tribunal (NGT) के Air Quality Index के मानकों के अनुसार वायु मण्डल में प्रदूषण को 0-50 को GOOD, 51-100 को Satisfactory,101- 200 को Moderate, 201-300 को Poor, 301- 400 को Very Poor और 401- 500 Severe कैटेगरी के माध्यम से आंका जाता है. जनपद के वायु मंडल में AQI 179 पाया गया है, जो कि Moderate की श्रेणी में आता है.

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह का कहना है कि वर्तमान में मुजफ्फरनगर में ज्यादा प्रदूषण की स्थिति नहीं आई है. हमारे यहां मॉनिटरिंग स्टेशन लगा हुआ है जो ऑनलाइन डाटा बताता है कि आज की डेट में मुजफ्फरनगर Moderate कैटेगरी में है, जो कि बाकी जनपदों से कम है. साथ ही मुजफ्फरनगर अभी नॉन एटेनमेंट सिटी में नहीं आया है. हम इसकी निगरानी नियमित रूप से कर रहे हैं. अगले 15 तारीख से हमारे यहां रिस्पांस एक्शन प्लान ग्राफ्ट चालू होगा, जिसमें विभिन्न तरीके की काम कार्य किए जाएंगे.

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए इसमें इंडस्ट्रीज की चिमनियों की मॉनीटरिंग की जाएगी. वायु प्रदूषण उद्योगों की चिमनी की मॉनिटरिंग की जाएगी. नेशनल हाईवे को भी निर्देशित कर दिया गया है. उद्योगों को भी निर्देश दे दिए गए हैं कि किसी भी चिमनी से मानकों से अधिक अगर धुंआ निकलता नजर आएगा तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

मुजफ्फरनगर: बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार भले ही जिला प्रसाशन को अलर्ट कर दिया हो, लेकिन दिल्ली के साथ-साथ मुजफ्फरनगर भी प्रदूषण की चपेट में है. जनपद के सभी कोल्हुओं की भट्टियां गन्ने की खोई या लकड़ियों से न जलाकर उन्हें पेपर मिलों के बॉयलर से रीसायकल होकर निकलने वाली पन्नियों के स्क्रेप के साथ प्लास्टिक और रबड़ के जूते चप्पलों के स्क्रेप से जलाया जा रहा है. वहीं कोल्हुओं की चिमनियों से निकलने वाले जहरीले धुंए और पेपर मिलों से निकलने वाली काली राख उड़कर वायुमंडल को प्रदूषित कर रही है.

क्षेत्रवासी वायुमंडल में फैल रहे प्रदूषण से किसी गंभीर बीमारी होने और खेतों में खड़ी फसलों के नष्ट होने को लेकर चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं. कोल्हू मालिक कोल्हू की भट्टियों में जलने वाले गन्ने की खोई, पेपर मिलों में अच्छे दामों पर बिक्री कर मोटा मुनाफा कमाने में लगे हैं. वहीं भट्टियों में प्लास्टिक का कचरा फूंक कर अपना मोटा मुनाफा कमाकर क्षेत्रवासियों को जहरीला वायु प्रदूषण भी परोस रहे हैं. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से निरंतर प्रदूषण फैलाने वाली उद्योग इकाइयों पर शिकंजा कसा जा रहा है और जुर्माने की कार्रवाई भी अमल में लाई जा रही है. मुजफ्फरनगर के वायुमंडल में अब तक की गई प्रदूषण की जांच में तीसरे स्थान पर पाया गया है, जो की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI ) के अनुसार 179 प्रदूषण पाया गया गया है, जो की Moderate की श्रेणी में आता है.

मुजफ्फरनगर में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक.

उत्तर प्रदेश के आगरा, बागपत, बुलंदशहर, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़, मेरठ, मुरादाबाद और वाराणसी समेत अन्य शहरों की आब ओ-हवा अब जहरीली हो चुकी है. मुजफ्फरनगर शहर की वायु गुणवत्ता अच्छी नहीं है. लॉकडाउन हटने के बाद इंडस्ट्री, ट्रांसपोर्ट, कोल्हू इत्यादि सभी व्यवसाय पटरी पर आ चुके हैं, जिसके चलते इंडस्ट्री और कोल्हुओं की चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुंआ आब-ओ-हवा में जहर घोल रहा है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंतरण बोर्ड मुजफ्फरनगर लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उद्योग बंधुओं को मीटिंग कर चेतावनी दे रहा है. किसी भी प्रकार की अनियमतता पाए जाने पर फेक्ट्रियों पर जुर्माने की कार्रवाई करते हुए फेक्ट्रियों को सील कर जुर्माने की रकम भी वसूली जा रही है.

कैसे फैल रहा प्रदूषण

वायुमंडल में प्रदूषण फैलाने के मुख्य रूप से जिम्मेदार पेपर इंडस्ट्री के अलावा जनपद में चल रहे गुड बनाने के लगभग 1600 कोल्हू भी हैं. जनपद के सभी कोल्हुओं की भट्टियों को गन्ने की खोई या लकड़ियों से न जलाकर उन्हें पेपर मिलों के बॉयलर से रीसायकल होकर निकलने वाली पन्नियों के स्क्रेप के साथ प्लास्टिक और रबड़ के जूते चप्पलों के स्क्रेप से जलाया जा रहा है. वहीं पेपर इंडस्ट्री की भट्टियों में भी सुखी पन्नियों और प्लास्टिक के कचरे को चोरी छिपे जलाया जा रहा है. पेपर मिल की भट्टियों से निकलने वाली काली राख को भी ठेकेदारों के माध्यम से खुले स्थानों पर सड़कों के किनारे भण्डारण किया जा रहा है, जो कि तेज हवा चलने के कारण किसान की फसलों के साथ मानव जन जीवन को भयानक बिमारियां परोसकर प्रभावित करती हैं.

स्थानीय किसान प्रेमपाल का कहना है कि राख, चुने वालों ने यहां पर आतंक मचा रखा है. इन फैक्ट्रियों से यही मिल रहा है. यहां के लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. रोजगार कमाने वाले तो दो-चार आदमी हैं. यह लोगों को मारने के चक्कर में लग रहे हैं. यह राख ले जाकर नहर में भी गिरा देते हैं.

सरकारी अस्पताल के चिकित्साधिकारी डॉ. मश्कूर आलम का कहना है कि जिस तरीके से अभी प्रदूषण बढ़ना शुरू हुआ है. सर्दियों के टाइम में और ज्यादा बढ़ जाता है. लोग जो लकड़ी जलाते हैं, कोई भी जहरीली हवा होती है तो उसका फेफड़ों में निगेटिव इफेक्ट आता है. कोरोना में भी फेफड़ों के इफेक्ट आते हैं. इससे ज्यादा गंभीर मरीज आने की संभावना हो सकती है. इस तरीके से प्रदूषण अगर बढ़ता रहा तो कोरोना के भी मरीजों में यह गंभीरता बढ़ती चली जाएगी.

मुजफ्फरनगर में प्रदूषण का स्तर

National Green Tribunal (NGT) के Air Quality Index के मानकों के अनुसार वायु मण्डल में प्रदूषण को 0-50 को GOOD, 51-100 को Satisfactory,101- 200 को Moderate, 201-300 को Poor, 301- 400 को Very Poor और 401- 500 Severe कैटेगरी के माध्यम से आंका जाता है. जनपद के वायु मंडल में AQI 179 पाया गया है, जो कि Moderate की श्रेणी में आता है.

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह का कहना है कि वर्तमान में मुजफ्फरनगर में ज्यादा प्रदूषण की स्थिति नहीं आई है. हमारे यहां मॉनिटरिंग स्टेशन लगा हुआ है जो ऑनलाइन डाटा बताता है कि आज की डेट में मुजफ्फरनगर Moderate कैटेगरी में है, जो कि बाकी जनपदों से कम है. साथ ही मुजफ्फरनगर अभी नॉन एटेनमेंट सिटी में नहीं आया है. हम इसकी निगरानी नियमित रूप से कर रहे हैं. अगले 15 तारीख से हमारे यहां रिस्पांस एक्शन प्लान ग्राफ्ट चालू होगा, जिसमें विभिन्न तरीके की काम कार्य किए जाएंगे.

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए इसमें इंडस्ट्रीज की चिमनियों की मॉनीटरिंग की जाएगी. वायु प्रदूषण उद्योगों की चिमनी की मॉनिटरिंग की जाएगी. नेशनल हाईवे को भी निर्देशित कर दिया गया है. उद्योगों को भी निर्देश दे दिए गए हैं कि किसी भी चिमनी से मानकों से अधिक अगर धुंआ निकलता नजर आएगा तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

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