मुजफ्फरनगर: जिला मुख्यालय से 30 किमी. दूर जानसठ तहसील क्षेत्र के गांव संभल हेड़ा में पंचमुखी महादेव मंदिर बना है. यह मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला की यादें संजोए हुए है. संवत् 1514 में बने मंदिर में विश्व का तीसरा पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है. मंदिर पहुंचने पर श्रद्धालुओं को मन की शांति का अहसास होता है. साथ ही भगवान शिव की कृपा मंदिर में धार्मिक आस्था को प्रबल करती है. मनोकामना की सिद्धि के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. कोरोना के चलते विपरीत परिस्थितियों में श्रद्धालु भले ही मंदिर में भगवान के दर्शन न कर पाएं, लेकिन आज भी सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भगवान आशुतोष का जलाभिषेक किया.
मंदिर के पुजारी ने दी जानकारी
मंदिर के मुख्य पुजारी पंकज भारद्वाज ने ईटीवी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि यह मंदिर संवत् 1514 में मुगल काल में मोनी बाबा के सानिध्य में लाला हकूमत राय जी ने कराया था. पंचमुखी शिवलिंग विश्व में सिर्फ तीन स्थानों पर ही स्थापित है. इसमें से एक नेपाल के काठमांडू में प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर, एक मेवाड़ में और तीसरा सम्भलहेड़ा है. उन्होंने बताया कि पंचमुखी शिवलिंग में एक मुख ऊपर की ओर होता है. उनका कहना है कि यहां विशेष रूप से श्रावण मास में रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप, कालसर्प योग के उपाय कराए जाते हैं.
लॉकडाउन में इस बार कावड़ यात्रा की रोक के बाद कावड़ियों के जल चढ़ाने नहीं आए. वहीं आम लोगों ने भी बहुत कम संख्या में उपस्थिति दर्ज कराई है. उन्होंने बताया कि शिवलिंग कसौटी की धातु से निर्मित है जो धातु सोने को परखने में काम आती है. यहां गरुड़ जी की भी मूर्ति स्थापित है, जो विश्व में सिर्फ दूसरी मूर्ति है. इसके अलावा पुष्कर में गरुड़ जी की मूर्ति ब्रह्मा जी के साथ है, जिनका वाहन तक्षक है.