मुजफ्फरनगर: वैश्विक आपदा कोविड-19 संकट के चलते देश में लॉकडाउन है, वहीं दूसरी ओर बेमौसम बारिश से किसान परेशान हैं. विपरीत हालातों में किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. देश में किसानों की मौजूदा समस्याओं के विषय में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत से ईटीवी भारत संवाददाता ने खास बातचीत की.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या उन किसानों को आ रही है, जो फूलों की खेती करते हैं. फूलों की खेती करने वाले किसानों को लगभग 100 फीसदी का नुकसान हुआ है. इसके अलावा सब्जियों की खेती करने वाले किसानों में भी कुछ खास सब्जियां जैसे पत्ता गोभी का किसान भी 100% नुकसान में है.
उन्होंने कहा कि अन्य सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि किसान अपनी सब्जियों को मंडी तक नहीं पहुंचा पा रहा है. मधुमक्खी पालन कर रहे किसानों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि जो मधुमक्खियां राजस्थान से हिमाचल भेजी जानी थी, उनकी मंजूरी नहीं मिल पाई.
राजस्थान में सरसों की फसल के तुरंत बाद मधुमक्खियों को हिमाचल भेजा जाता है. संबंधित अधिकारी या कर्मचारियों ने इसकी मंजूरी नहीं दी, जिससे काफी संख्या में मधुमक्खियां मर गईं. इसका जिम्मेदार कौन होगा.
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. गन्ना किसान का भुगतान नहीं हो पाया. दूध का कारोबार करने वाले भूमिहीन किसान को भी इस आपदा में काफी नुकसान पहुंचा है. पशुओं का चारा महंगा होने से और लॉकडाउन के चलते दूध को शहरी क्षेत्र तक न पहुंच पाने के कारण काफी घाटा झेलना पड़ा है.
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चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को हो रहे नुकसान को देखते हुए भारतीय किसान यूनियन ने सरकार से किसानों के लिए डेढ़ लाख करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की है. किसान भी इस वैश्विक महामारी में सभी की भूख मिटाने के लिए एक योद्धा की तरह लड़ रहा है. वह लगातार अपने खेतों में काम कर रहा है.
उन्होंने बताया कि भारतीय किसान यूनियन की बातचीत के बाद प्रधानमंत्री जी ने एक कमेटी का गठन किया है. उस कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है.