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नई पेंशन नीति के खिलाफ शिक्षकों का प्रदर्शन, बताया काला कानून

चंदौली में माध्यमिक शिक्षक संघ की जिला संघ ने गुरुवार को शिक्षकों ने नई पेंशन नीति (एनपीएस) को काला कानून बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया. शिक्षकों ने एनपीएस को अपने लिए घातक बताया है.

काला दिवस के रूप में शिक्षक लामबंद
काला दिवस के रूप में शिक्षक लामबंद
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Published : Apr 2, 2021, 8:33 AM IST

चंदौली: जिले के सकलडीहा इंटर कॉलेज पर गुरुवार को माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षकाें ने प्रदर्शन किया. शिक्षकों ने एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्टम) को काला कानून के रूप में बताया. इस दौरान शिक्षकों ने नई पेंशन स्कीम को शिक्षक हित में घातक भी करार दिया.

एनपीएस को बताया काला कानून
विरोध प्रदर्शन के दौरान माध्यमिक शिक्षक संघ के वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के बाद शिक्षकों के लिए काला कानून बनाकर उनको परेशान करने की साजिश रच रही है. नई पेंशन स्कीम शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए घातक है. इसे शिक्षक एक स्वर से अस्वीकृत करते हैं.

इसे भी पढ़ें : नीति आयोग द्वारा जारी डेल्टा रैंकिंग में चंदौली देश में दूसरे स्थान पर

माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला संयोजक सत्यमूर्ति ओझा ने कहा कि यह स्कीम किसी भी स्तर से लाभकारी नहीं है. इसका विरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि एक अप्रैल को ही इसे उत्तर प्रदेश में लागू किया गया. साथ ही उन्होंने कहा कि यदि ये पेंशन स्कीम इनती ही अच्छी योजना है तो हमारे एमपी, एमएलए पर इसे क्यों नहीं लागू किया जाता.

पुरानी पेंशन को लागू कराने के लिए हम सभी शिक्षक लामबंद हैं. अंतिम सांस तक संघर्ष किया जाएगा. बुढ़ापे के समय एनपीएस से आच्छादित शिक्षक कर्मचारियों के अवकाश ग्रहण करने पर सैलरी 80 हजार रुपये और पेंशन 700 रुपये मासिक मिल रहा है. ऐसी दशा में कैसे जीवन निर्वहन होगा. उन्होंने सरकार से मांग किया कि उन्हें जीपीएफ (जनरल प्रोविडेंट फंड) के दायरे में लाया जाए और उन्हें पुरानी पेंशन दी जाए.

चंदौली: जिले के सकलडीहा इंटर कॉलेज पर गुरुवार को माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षकाें ने प्रदर्शन किया. शिक्षकों ने एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्टम) को काला कानून के रूप में बताया. इस दौरान शिक्षकों ने नई पेंशन स्कीम को शिक्षक हित में घातक भी करार दिया.

एनपीएस को बताया काला कानून
विरोध प्रदर्शन के दौरान माध्यमिक शिक्षक संघ के वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के बाद शिक्षकों के लिए काला कानून बनाकर उनको परेशान करने की साजिश रच रही है. नई पेंशन स्कीम शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए घातक है. इसे शिक्षक एक स्वर से अस्वीकृत करते हैं.

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माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला संयोजक सत्यमूर्ति ओझा ने कहा कि यह स्कीम किसी भी स्तर से लाभकारी नहीं है. इसका विरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि एक अप्रैल को ही इसे उत्तर प्रदेश में लागू किया गया. साथ ही उन्होंने कहा कि यदि ये पेंशन स्कीम इनती ही अच्छी योजना है तो हमारे एमपी, एमएलए पर इसे क्यों नहीं लागू किया जाता.

पुरानी पेंशन को लागू कराने के लिए हम सभी शिक्षक लामबंद हैं. अंतिम सांस तक संघर्ष किया जाएगा. बुढ़ापे के समय एनपीएस से आच्छादित शिक्षक कर्मचारियों के अवकाश ग्रहण करने पर सैलरी 80 हजार रुपये और पेंशन 700 रुपये मासिक मिल रहा है. ऐसी दशा में कैसे जीवन निर्वहन होगा. उन्होंने सरकार से मांग किया कि उन्हें जीपीएफ (जनरल प्रोविडेंट फंड) के दायरे में लाया जाए और उन्हें पुरानी पेंशन दी जाए.

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