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चंदौली: आत्मनिर्भरता की मिसाल हैं ये महिला पशुपालक, सालभर में होती है इतनी आमदनी

उत्तर प्रदेश के चंदौली की बेबी यादव स्वावलंबन और आत्मनिर्भर की मिसाल हैं. उन्होंने पशुपालन जैसे कठिन स्वरोजगार को न सिर्फ चुना, बल्कि उसे बखूबी संभाला और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को शिखर तक ले गईं.

स्वावलंबन और आत्मनिर्भर की प्रतिमूर्ति हैं बेबी यादव
स्वावलंबन और आत्मनिर्भर की प्रतिमूर्ति हैं बेबी यादव
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Published : Jul 5, 2020, 9:32 AM IST

Updated : Jul 5, 2020, 11:54 AM IST

चंदौली: वैश्विक महामारी कोरोना के इस दौर में प्रधानमंत्री मोदी जहां स्वावलंबन और आत्मनिर्भर बनने की बात कह रहे हैं. वहीं चंदौली की बेबी यादव इसकी मिसाल हैं. चंदौली के किदवई नगर निवासी बेबी यादव ने पशुपालन जैसे कठिन स्वरोजगार को न सिर्फ चुना बल्कि उसे बखूबी संभाला और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को शिखर तक ले गईं. 2-4 पशुओं से शुरू किए गए इस स्वरोजगार ने देखते ही देखते पंख पसारे और आज 12 से ज्यादा पशु उनके पास हैं. पशुओं के दूध को निकालने और उनके विक्रय का जिम्मा बेबी यादव अकेले निभाती हैं. 1 दिन में 100 लीटर से अधिक दूध अपने घर से ही बेचती हैं. इससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा भी होता है.

बेबी यादव 4 साल से पशुपालन करती हैं.

देश में बदलते समय के साथ महिलाएं तेजी से सशक्त, शिक्षित और स्वावलंबी होती गईं, जिन्होंने कई कीर्तिमान अपने नाम स्थापित किए. ऐसी ही आत्मनिर्भर व स्वावलंबन की मिसाल हैं बेबी यादव. मात्र इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजू यादव से इनका विवाह हो गया, जिसके बाद बेबी किदवई नगर स्थित अपने ससुराल चली आईं. समय बीतने के साथ आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ा. परिवार की खराब आर्थिक स्थिति देख बेबी सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने को मजबूर हुईं. बेबी ने पति की जिम्मेदारी को बांटने का बीड़ा उठाया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

chandauli
1 दिन में 100 लीटर से अधिक दूध की बिक्री हो जाती है.

2017 में पशुपालन की शुरुआत
बेबी यादव ने जुलाई 2017 में पशुपालन का काम शुरू किया. इस काम की शुरुआत में पशुओं के देखरेख का पुराना अनुभव उनके काम आया. 2-4 पशुओं से शुरू किए गए इस स्वरोजगार ने देखते ही देखते पंख पसारे और आज 12 से ज्यादा पशुओं से सुसज्जित डेयरी फार्म का संचालन बेबी अकेले कर रही हैं. रोजाना सुबह उठकर पशुओं को चारा खिलाना, उनकी देखभाल करना, नहलाना-धुलाना, पशुओं से दूध निकालना और उनके विक्रय का जिम्मा वह अकेले ही निभाती चली आ रही हैं. 1 दिन में करीब 100 लीटर से अधिक दूध अपने घर से बेचती हैं, जिससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा भी होता है.

chandauli
बेबी यादव सुबह से ही पशुपालन के काम में लग जाती हैं.

पशुपालक के साथ एक सफल गृहणी भी
दूध की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण ग्राहक सुबह और शाम खुद ही अपने बर्तन और कंटेनर को लेकर बेबी यादव के डेयरी पर पहुंच जाते हैं. ग्राहकों ने बताया कि वे पिछले तीन-चार सालों से यहीं से दूध खरीदते हैं, लेकिन कभी गुणवत्ता की शिकायत नहीं हुई. उन्होंने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बेबी यादव ही यहां का पूरा काम संभालती हैं. एक सफल पशुपालक की पहचान बना चुकीं बेबी यादव एक अच्छी गृहणी भी हैं. सुबह-शाम पशुओं के देखभाल की जिम्मेदारी के साथ ही वह अपनी गृहस्थी को भी अच्छे ढंग से संभालती चली आ रही हैं. बच्चों की पढ़ाई और स्कूल भेजने से लेकर सास-ससुर की सेवा तक की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाती हैं.

लाखों में है सालाना टर्नओवर
हालांकि स्वरोजगार की शुरुआत में बेबी को काफी प्रतिरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने इस रोजगार को करने की ठान ली. 4 जानवरों से डेयरी की शुरुआत की और अब 15 गाय हैं. उनकी मेहनत और तरक्की को देखकर अब उनके पति भी काम में हाथ बंटाने लगे हैं. इस डेयरी का सालाना टर्नओवर लाखों में है. बेबी यादव ने कड़ी मेहनत व लगन के बूते यह साबित किया है कि परिवार की आर्थिक व्यवस्था को संभालने और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उच्च शिक्षा की अनिवार्यता नहीं है.

चंदौली: वैश्विक महामारी कोरोना के इस दौर में प्रधानमंत्री मोदी जहां स्वावलंबन और आत्मनिर्भर बनने की बात कह रहे हैं. वहीं चंदौली की बेबी यादव इसकी मिसाल हैं. चंदौली के किदवई नगर निवासी बेबी यादव ने पशुपालन जैसे कठिन स्वरोजगार को न सिर्फ चुना बल्कि उसे बखूबी संभाला और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को शिखर तक ले गईं. 2-4 पशुओं से शुरू किए गए इस स्वरोजगार ने देखते ही देखते पंख पसारे और आज 12 से ज्यादा पशु उनके पास हैं. पशुओं के दूध को निकालने और उनके विक्रय का जिम्मा बेबी यादव अकेले निभाती हैं. 1 दिन में 100 लीटर से अधिक दूध अपने घर से ही बेचती हैं. इससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा भी होता है.

बेबी यादव 4 साल से पशुपालन करती हैं.

देश में बदलते समय के साथ महिलाएं तेजी से सशक्त, शिक्षित और स्वावलंबी होती गईं, जिन्होंने कई कीर्तिमान अपने नाम स्थापित किए. ऐसी ही आत्मनिर्भर व स्वावलंबन की मिसाल हैं बेबी यादव. मात्र इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजू यादव से इनका विवाह हो गया, जिसके बाद बेबी किदवई नगर स्थित अपने ससुराल चली आईं. समय बीतने के साथ आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ा. परिवार की खराब आर्थिक स्थिति देख बेबी सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने को मजबूर हुईं. बेबी ने पति की जिम्मेदारी को बांटने का बीड़ा उठाया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

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1 दिन में 100 लीटर से अधिक दूध की बिक्री हो जाती है.

2017 में पशुपालन की शुरुआत
बेबी यादव ने जुलाई 2017 में पशुपालन का काम शुरू किया. इस काम की शुरुआत में पशुओं के देखरेख का पुराना अनुभव उनके काम आया. 2-4 पशुओं से शुरू किए गए इस स्वरोजगार ने देखते ही देखते पंख पसारे और आज 12 से ज्यादा पशुओं से सुसज्जित डेयरी फार्म का संचालन बेबी अकेले कर रही हैं. रोजाना सुबह उठकर पशुओं को चारा खिलाना, उनकी देखभाल करना, नहलाना-धुलाना, पशुओं से दूध निकालना और उनके विक्रय का जिम्मा वह अकेले ही निभाती चली आ रही हैं. 1 दिन में करीब 100 लीटर से अधिक दूध अपने घर से बेचती हैं, जिससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा भी होता है.

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बेबी यादव सुबह से ही पशुपालन के काम में लग जाती हैं.

पशुपालक के साथ एक सफल गृहणी भी
दूध की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण ग्राहक सुबह और शाम खुद ही अपने बर्तन और कंटेनर को लेकर बेबी यादव के डेयरी पर पहुंच जाते हैं. ग्राहकों ने बताया कि वे पिछले तीन-चार सालों से यहीं से दूध खरीदते हैं, लेकिन कभी गुणवत्ता की शिकायत नहीं हुई. उन्होंने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बेबी यादव ही यहां का पूरा काम संभालती हैं. एक सफल पशुपालक की पहचान बना चुकीं बेबी यादव एक अच्छी गृहणी भी हैं. सुबह-शाम पशुओं के देखभाल की जिम्मेदारी के साथ ही वह अपनी गृहस्थी को भी अच्छे ढंग से संभालती चली आ रही हैं. बच्चों की पढ़ाई और स्कूल भेजने से लेकर सास-ससुर की सेवा तक की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाती हैं.

लाखों में है सालाना टर्नओवर
हालांकि स्वरोजगार की शुरुआत में बेबी को काफी प्रतिरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने इस रोजगार को करने की ठान ली. 4 जानवरों से डेयरी की शुरुआत की और अब 15 गाय हैं. उनकी मेहनत और तरक्की को देखकर अब उनके पति भी काम में हाथ बंटाने लगे हैं. इस डेयरी का सालाना टर्नओवर लाखों में है. बेबी यादव ने कड़ी मेहनत व लगन के बूते यह साबित किया है कि परिवार की आर्थिक व्यवस्था को संभालने और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उच्च शिक्षा की अनिवार्यता नहीं है.

Last Updated : Jul 5, 2020, 11:54 AM IST
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