चंदौली: जिले के पंडित कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला अस्पताल जब सीटी स्कैन की सुविधा से लैस हुआ तो जनता को बड़ी चिकित्सकीय राहत की उम्मीदें थी. लोग आश्वस्त थे कि अब इस सीटी स्कैन के लिए वाराणसी शहर के भीड़भाड़ व भागदौड़ से निजात मिलेगी. लेकिन हालात ऐसे हैं कि बिजली कटते ही सीटी स्कैन की कार्यवाही को कर्मचारी ठप कर देते हैं. इससे मरीजों का इंतजार कभी-कभी मिनट से कई घंटों तक पहुंच जाता है. हालांकि सीएमएस ने सीटी स्कैन की व्यवस्था को अपनी निगरानी के बाहर का बताया गया है. अब सवाल यह उठता है कि सीटी स्कैन में हो रही फजीहत व दुर्व्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है?
सुविधा शुल्क के खेल का लगा आरोप
यहीं नहीं मरीज के तीमारदार बाबूलाल यादव ने आरोप लगाया कि जिन मरीजों द्वारा सुविधा शुल्क दिया जाता है. उसका सीटी स्कैन पहले कर दिया जाता है. डॉक्टर की ओर से इमरजेंसी से लाई गई मरीज बेहोश पड़ी हैं और उसकी हालत बेहद चिंताजनक है. लेकिन उसका सीटी स्कैन करने में लापरवाही हीलाहवाली बरती जा रही है. लेकिन इन कर्मचारियों पर नकेल कसने वाला कोई नहीं है.
जनरेटर का नहीं करते इस्तेमाल
बताया जाता है कि सीटी स्कैन के लिए कभी भी जनरेटर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है जबकि सरकार डीजल के मद में हर माह बड़ी धनराशि खर्च कर रही है. इन तमाम दुश्वारियों केे कारण सीटी स्कैन कक्ष के बाहर मरीजों की भारी भीड़ पूरे दिन लगी रहती हैं.
निजी संस्था द्वारा किया जाता है सिटी स्कैन
इस संबंध में सीएमएस भूपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि सीटी स्कैन व्यवस्था निजी संस्था द्वारा संचालित की जा रही हैं. वह मेरे नियंत्रण से बाहर है. जबकि सीएमओ डा. वीपी द्विवेदी ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है. सीटी स्कैन व्यवस्था सीएमएस के ही अंडर है. उनसे बात करके समस्या का समाधान किया जाएगा, ताकि मरीजों को मुश्किलों का सामना न करना पड़े.