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अष्टधातु निर्मित दीनदयाल जी की प्रतिमा क्यों है 63 फीट ऊंची, जानिए सनातन परंपरा का जुड़ाव - चंदौली ताजा समाचार

प्रधानमंत्री मोदी आज 16 फरवरी के दिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन का अनावरण करेंगे. स्मृति स्थल में दीनदयाल जी की अष्टधातु से निर्मित 63 फीट ऊंची प्रतिमा के अलावा उनके जीवन व सिद्धांतों के दर्शन को दर्शाने का प्रयास किया गया है.

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन की खास रिपोर्ट.
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Published : Feb 16, 2020, 9:03 AM IST

चंदौली: एकात्मकता के प्रणेता और जन संघ के विचारक रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन को आज 16 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी जनता को समर्पित करेंगे. स्मृति स्थल में दीनदयाल जी की अष्टधातु से निर्मित 63 फीट ऊंची प्रतिमा के अलावा उनके जीवन व सिद्धांतों को दर्शाने का प्रयास किया गया है. साथ ही वैदिक उद्यान, रिसर्च सेंटर व सांस्कृतिक ऑडिटोरियम बनाया गया है. इस स्मृति स्थल को बनाने के लिए किस दर्शन का ख्याल रखा गया. इसको जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने मूर्तिकार संजय भंडारी और स्मृति स्थल के आर्किटेक्चरर आदित्य मित्र से खास बातचीत की.

पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन की खास रिपोर्ट.
63 फीट ऊंची है अष्टधातु निर्मित पं. दीनदयाल जी की मूर्ति
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मूर्तिकार राजेश भंडारी ने बताया कि मूर्ति के निर्माण से पूर्व उनकी जीवनी को स्टडी किया गया, जिससे उनके हाव-भाव और खड़े होने के तौर-तरीकों को परखा गया. इसके बाद एक डिजाइन तैयार किया गया है, जिसे विशेषज्ञों की टीम ने अप्रूव किया. इसके बाद इसे 3D टेक्निक से स्कैन कर परखते हुए 63 फीट की अष्टधातु मूर्ति का निर्माण कराया गया. इस 63 फीट ऊंची मूर्ति बनाने के पीछे भी खास वजह है. वजह यह है कि सनातन परंपरा के अनुसार 9 के अंक को पूर्णांक माना जाता है, जिसके चलते इसकी कुल ऊंचाई 63 फीट रखी गई.

7 करोड़ रुपये की लागत से बनी है मूर्ति
इस मूर्ति का निर्माण जयपुर में हुआ है और इसे बनाने में करीब 6 माह लगे हैं. 20 से ज्यादा मजदूरों के अथक परिश्रम से इस मूर्ति को तैयार किया गया है. इसे लगभग एक दर्जन हिस्सों में राजस्थान से स्मृति स्थल पड़ाव लाया गया. इसके बाद इसके विभिन्न भागों को जोड़कर पूरी मूर्ति की स्थापना शुरू की गई. इस दौरान करीब 2 माह का वक्त लग गया. बता दें कि अष्टधातु की इस मूर्ति को बनाने में कुल 7 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

मूर्ति के पास लगाया गया है फाउंटेन
इस पूरे स्मृति स्थल को डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट आदित्य मित्र ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि इस स्मृति स्थल के निर्माण की परिकल्पना उस वक्त तैयार की गई, जब दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी मनाई जा रही थी. ऐसी मान्यता है कि यहीं पड़ाव के समीप ही उन्होंने अंतिम सांस ली थी. ऐसे में अंतिम पड़ाव के रूप में लेते हुए इसे यहां तैयार किया गया है. इसमें 63 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई गई है और उसके पास ही एक फाउंटेन लगाया गया है, जहां वाटर चैनल के माध्यम से चारों तरफ एक कुंड में पानी गिरता रहेगा, जिसके ऊपर मूर्ति स्थापित की गई है.

800 लोगों की क्षमता वाला है ऑडिटोरियम
इस स्मृति स्थल को कल्चरल सेंटर के रूप में डेवलप किया जाएगा. स्मृति स्थल पर ही सांस्कृतिक ऑडिटोरियम भी बनाया गया है. 800 लोगों की क्षमता वाले इस ऑडिटोरियम में जिले के अलावा पूर्वांचल के कलाकारों को अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच मिलेगा. इसके अलावा यदि नया विष्णु चेतन पर्यावरण संरक्षण व संतुलन की अनुभूति कराएगा. उपवन में वैदिक उद्यान का निर्माण होगा. इस वैदिक उद्यान में सैकड़ों की संख्या में औषधीय पौधे लगाए जाएंगे. इससे समाज से गरीबों को लाभ और आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा यहां स्थानीय पौधों और घास का इस्तेमाल किया गया है, जिससे पानी का कम से कम इस्तेमाल हो. साथ ही पानी के संचयन और साइकिलिंग करने की विधि व्यवस्था की गई है.

पढ़ें-
वाराणसी को 1200 करोड़ की योजनाओं का तोहफा देंगे पीएम मोदी, जानिए क्या होगा खास
लगाया जाएगा सोलर प्लांट
इस स्मृति स्थल के आखिरी फेज में यहां सोलर प्लांट लगाया जाएगा, जिससे इस स्मृति स्थल की बिजली पर निर्भरता घट सके और यह पूरा स्मृति स्थल सोलर लाइट की चकाचौंध से रौशन रहे.

चंदौली: एकात्मकता के प्रणेता और जन संघ के विचारक रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन को आज 16 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी जनता को समर्पित करेंगे. स्मृति स्थल में दीनदयाल जी की अष्टधातु से निर्मित 63 फीट ऊंची प्रतिमा के अलावा उनके जीवन व सिद्धांतों को दर्शाने का प्रयास किया गया है. साथ ही वैदिक उद्यान, रिसर्च सेंटर व सांस्कृतिक ऑडिटोरियम बनाया गया है. इस स्मृति स्थल को बनाने के लिए किस दर्शन का ख्याल रखा गया. इसको जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने मूर्तिकार संजय भंडारी और स्मृति स्थल के आर्किटेक्चरर आदित्य मित्र से खास बातचीत की.

पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन की खास रिपोर्ट.
63 फीट ऊंची है अष्टधातु निर्मित पं. दीनदयाल जी की मूर्ति
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मूर्तिकार राजेश भंडारी ने बताया कि मूर्ति के निर्माण से पूर्व उनकी जीवनी को स्टडी किया गया, जिससे उनके हाव-भाव और खड़े होने के तौर-तरीकों को परखा गया. इसके बाद एक डिजाइन तैयार किया गया है, जिसे विशेषज्ञों की टीम ने अप्रूव किया. इसके बाद इसे 3D टेक्निक से स्कैन कर परखते हुए 63 फीट की अष्टधातु मूर्ति का निर्माण कराया गया. इस 63 फीट ऊंची मूर्ति बनाने के पीछे भी खास वजह है. वजह यह है कि सनातन परंपरा के अनुसार 9 के अंक को पूर्णांक माना जाता है, जिसके चलते इसकी कुल ऊंचाई 63 फीट रखी गई.

7 करोड़ रुपये की लागत से बनी है मूर्ति
इस मूर्ति का निर्माण जयपुर में हुआ है और इसे बनाने में करीब 6 माह लगे हैं. 20 से ज्यादा मजदूरों के अथक परिश्रम से इस मूर्ति को तैयार किया गया है. इसे लगभग एक दर्जन हिस्सों में राजस्थान से स्मृति स्थल पड़ाव लाया गया. इसके बाद इसके विभिन्न भागों को जोड़कर पूरी मूर्ति की स्थापना शुरू की गई. इस दौरान करीब 2 माह का वक्त लग गया. बता दें कि अष्टधातु की इस मूर्ति को बनाने में कुल 7 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

मूर्ति के पास लगाया गया है फाउंटेन
इस पूरे स्मृति स्थल को डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट आदित्य मित्र ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि इस स्मृति स्थल के निर्माण की परिकल्पना उस वक्त तैयार की गई, जब दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी मनाई जा रही थी. ऐसी मान्यता है कि यहीं पड़ाव के समीप ही उन्होंने अंतिम सांस ली थी. ऐसे में अंतिम पड़ाव के रूप में लेते हुए इसे यहां तैयार किया गया है. इसमें 63 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई गई है और उसके पास ही एक फाउंटेन लगाया गया है, जहां वाटर चैनल के माध्यम से चारों तरफ एक कुंड में पानी गिरता रहेगा, जिसके ऊपर मूर्ति स्थापित की गई है.

800 लोगों की क्षमता वाला है ऑडिटोरियम
इस स्मृति स्थल को कल्चरल सेंटर के रूप में डेवलप किया जाएगा. स्मृति स्थल पर ही सांस्कृतिक ऑडिटोरियम भी बनाया गया है. 800 लोगों की क्षमता वाले इस ऑडिटोरियम में जिले के अलावा पूर्वांचल के कलाकारों को अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच मिलेगा. इसके अलावा यदि नया विष्णु चेतन पर्यावरण संरक्षण व संतुलन की अनुभूति कराएगा. उपवन में वैदिक उद्यान का निर्माण होगा. इस वैदिक उद्यान में सैकड़ों की संख्या में औषधीय पौधे लगाए जाएंगे. इससे समाज से गरीबों को लाभ और आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा यहां स्थानीय पौधों और घास का इस्तेमाल किया गया है, जिससे पानी का कम से कम इस्तेमाल हो. साथ ही पानी के संचयन और साइकिलिंग करने की विधि व्यवस्था की गई है.

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लगाया जाएगा सोलर प्लांट
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