चंदौली: एनजीटी और शासन के निर्देश पर किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों और जिला प्रशासन की संयुक्त बैठक की गई. बैठक में दोनों पक्षों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई. जिला प्रशासन जहां पराली जलाने को रोकने के लिए कटिबद्व है तो वहीं किसान इसे मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं.
एडीएम के नेतृत्व में टास्क फोर्स का गठन
दरअसल दिल्ली एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर काफी बढ़ गया. बढ़ते प्रदूषण के चलते एनजीटी ने चिंता जाहिर करते हुए सभी प्रदेश की सरकारों से इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा था. इसके बाद सूबे की योगी सरकार ने धान की फसल का अपशिष्ट (पराली) जलाने से रोकने के लिए सभी जिलों के डीएम को निर्देश दे दिए. निर्देश का अनुपालन किए जाने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से एडीएम के नेतृत्व में टास्क फोर्स का गठन कर इसके अनुपालन का प्रयास किया जा रहा है.
पराली जलाने पर जिला प्रशासन सख्त
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और शासन के निर्देश के बाद खेतों में फसल के अवशेष (पराली) जलाने वालों पर जिला प्रशासन सख्त है. पराली जलाने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. साथ ही पराली जलाने पर जुर्माने का प्रावधान है.
किसानों ने बैठक को निरर्थक बताते हुए पराली न जलाए जाने की बात मानने से सीधे तौर पर इंकार किया. किसानों का कहना है कि जिला प्रशासन इसके लिए जरूरी अनुदान देकर मदद करें. सिर्फ शासनादेश को किसानों पर थोपने से काम नहीं चलेगा. हम पराली जलाएंगे चाहे जिला प्रशासन जुर्माना करे या फिर जेल भेज दें. किसानों ने एनजीटी के नियमों के अनुपालन किये जाने के क्रम में जिला प्रशासन की ओर से सख्ती दिखाने पर गेंहू की बुआई का बहिष्कार किए जाने की बात कही.