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चंदौली: जिला अस्पताल में संसाधनों का अभाव, फिजियोथेरेपी विभाग में सुविधाओं का टोटा - फिजियोथेरेपी विभाग में संसाधनों का टोटा

उत्तर प्रदेश में चंदौली जिला अस्पताल संसाधनों के अभाव में चल रहा है. अस्पताल में फिजियोथेरेपी के इलाज के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की नियुक्ति भी की गई है, लेकिन अस्पताल में संसाधन के नाम पर एक स्ट्रेचर भी नहीं है.

फिजियोथेरेपी विभाग में संसाधनों का टोटा.
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Published : Nov 12, 2019, 1:23 PM IST

चंदौली: जिला अस्पताल में एनसीडी के तहत फिजियोथेरेपी विभाग संचालित किया जाता है. जिला अस्पताल में फिजियोथेरेपी के इलाज के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की नियुक्ति भी की गई है. वहीं अस्पताल में संसाधन के नाम पर एक स्ट्रेचर भी नहीं है, जहां मरीज को लेटाकर फिजियोथेरेपी कराई या बताई जा सके.

फिजियोथेरेपी विभाग में संसाधनों का टोटा.

अस्पताल में नहीं है फिजियोथेरेपी की मशीन
कई मरीजों को फिजियोथेरेपी कराने के लिए मशीनों की जरूरत पड़ती है, लेकिन जिला अस्पताल में फिजियोथेरेपी की मशीन नहीं है. मरीजों को मजबूरन या तो प्राइवेट फिजियोथेरेपी सेंटर की तरफ रुख करना पड़ रहा है या फिर वाराणसी में फिजियोथेरेपी सेंटरों की तरफ जाना पड़ता है.

अस्पताल में मरीजों की परेशानी को देखते हुए डॉक्टर खुद अपने संसाधनों के सहारे इलाज कर रहे हैं. तस्वीर में दिख रहा यह बच्चा जन्म से ही पैरालाइज है, जिसे फिजियोथेरेपी की मदद से इलाज देने का प्रयास किया जा रहा है. काफी हद तक डॉक्टर इसमें सफल होते भी दिखाई दे रहे हैं.

नोडल अधिकारी दिग्विजय सिंह का कहना है कि शासन को मशीनों की कमी के बाबत पर प्रस्ताव बनाकर भेजा है. पैसे की पूर्ति होते ही फिजियोथेरेपी के जरूरी सामान की खरीदारी की जाएगी.

चंदौली: जिला अस्पताल में एनसीडी के तहत फिजियोथेरेपी विभाग संचालित किया जाता है. जिला अस्पताल में फिजियोथेरेपी के इलाज के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की नियुक्ति भी की गई है. वहीं अस्पताल में संसाधन के नाम पर एक स्ट्रेचर भी नहीं है, जहां मरीज को लेटाकर फिजियोथेरेपी कराई या बताई जा सके.

फिजियोथेरेपी विभाग में संसाधनों का टोटा.

अस्पताल में नहीं है फिजियोथेरेपी की मशीन
कई मरीजों को फिजियोथेरेपी कराने के लिए मशीनों की जरूरत पड़ती है, लेकिन जिला अस्पताल में फिजियोथेरेपी की मशीन नहीं है. मरीजों को मजबूरन या तो प्राइवेट फिजियोथेरेपी सेंटर की तरफ रुख करना पड़ रहा है या फिर वाराणसी में फिजियोथेरेपी सेंटरों की तरफ जाना पड़ता है.

अस्पताल में मरीजों की परेशानी को देखते हुए डॉक्टर खुद अपने संसाधनों के सहारे इलाज कर रहे हैं. तस्वीर में दिख रहा यह बच्चा जन्म से ही पैरालाइज है, जिसे फिजियोथेरेपी की मदद से इलाज देने का प्रयास किया जा रहा है. काफी हद तक डॉक्टर इसमें सफल होते भी दिखाई दे रहे हैं.

नोडल अधिकारी दिग्विजय सिंह का कहना है कि शासन को मशीनों की कमी के बाबत पर प्रस्ताव बनाकर भेजा है. पैसे की पूर्ति होते ही फिजियोथेरेपी के जरूरी सामान की खरीदारी की जाएगी.

Intro:चंदौली - यूं तो आधुनिक चिकित्सा पद्धति में फिजियोथेरेपी की डिमांड काफी बढ़ गई. प्रमुख वजह है कम खर्च के साथ ही नो साइड इफेक्ट. लेकिन आधुनिकता के इस दौर में भी जिला अस्पताल में स्थित फिजियोथेरेपी विभाग संसाधनों के अभाव में खुद पंगु बना हुआ है. इसके लिए तैनात डॉक्टर मरीजों का वोरल और मैनुअल इलाज ही कर पाते है. जिससे मरीजों का समुचित इलाज भी नहीं हो पाता है. ईटीवी भारत ने इस बीमारू फिजियोथेरेपी विभाग की खबर पहले भी दिखाई दी. लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी हालात नहीं सुधरे. आज भी इस फिजिएथेरेपी विभाग को खुद इलाज की जरूरत है.

Body:यह तश्वीर चन्दौली के जिला अस्पताल की. जहां एनसीडी के तहत फिजिएथेरेपी विभाग संचालित किया जा सकता रहा है. जिसे चलाने के लिये संविदा पर एक फिजिओथेरेपिस्ट की नियुक्ति भी की गई है. लेकिन संसाधन के नाम पर एक अदद स्ट्रेचर भी नहीं है. जहां मरीज को लेटाकर फिजियोथेरेपी कराई या बताई जा सके.

जानकारों की माने तो यह चिकित्सा पद्धति मरीजों को दवाओं से ज्यादा फायदा पहुँचाती है. जिसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता. लेकिन कई मरीजों को फिजियोथेरेपी कराने के लिए मशीनों की जरूरत पड़ती है. बिना उनकी सहायता के उसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता. जिससे मरीजों को मजबूरन या तो प्राइवेट फिजियोथेरेपी सेंटर की तरफ रुख करना पड़ रहा है. या फिर वाराणसी में फिजियोथेरेपी सेंटरों की तरफ.

हालांकि कभी कभी गरीब मरीजों की परेशानी को देखते हुए डॉक्टर खुद अपने संसाधनों के सहारे इलाज कर रहे है. तश्वीर में दिख रहा यह बच्चा जन्म से ही पैरालाइज है. जिसे इलेक्ट्रोथेरेपी की मदद से जनजीवन देने का प्रयास किया जा रहा है. काफी हद तक डॉक्टर इसमें सफल होते भी दिखाई दे रहे है. फिजिएथेरेपी की मदद से बच्चे को सही होता देख उसकी डॉक्टर को भगवान का दर्जा दे रही है.

हालांकि इसके नोडल अधिकारी दिग्विजय सिंह की माने तो उन्होंने शासन को मशीनों की कमी के बाबत प्रस्ताव बनाकर भेजा है. पैसे की पूर्ति होते ही इसके लिए जरूरी सामान की खरीदारी की जाएगी.

बाइट - सत्यकेतु सिंह (फिजियोथेरेपिस्ट)
बाइट - सुनीता देवी (तीमारदार)
बाइट - दिग्विजय सिंह (नोडल अधिकारी)

चंदौली में स्वास्थ्य महकमे का ये हाल तब है, जब केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय यहां से सांसद है, और यह जनपद एस्पेरेशनल डिस्ट्रिक्ट की सूची में शामिल है. और स्वास्थ्य उसके प्रमुख इंडिकेटर्स में है. बावजूद इसके यहां स्वास्थ्य महकमा वेंटिलेटर पर है. जिसे खुद इलाज की जरूरत है.Conclusion:Kamlesh giri
Chandauli
9452845730


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