चंदौलीः नाबालिग बच्चों की तस्करी और उनसे बंधुआ मजदूरी कराने का धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है. रविवार को डीडीयू जंक्शन पर आरपीएफ और बचपन बचाओ संस्था के लोगों ने एक मानव तस्कर को पकड़ा, जो वाराणसी और आजमगढ़ के चार नाबालिग बच्चों को नागालैंड लेकर जा रहा था (human trafficking in Chandauli). तस्कर ने बताया कि इस कार्य के लिए उसे प्रति बच्चे दो हजार रुपये मिलते हैं. आरपीएफ ने तस्कर को गिरफ्तार कर जीआरपी को सौंप दिया है.
जानकारी के मुताबिक, हावड़ा-दिल्ली रूट तस्करों के लिए मुफीद साबित हो रहा है. सोना-चांदी, नशीले पदार्थ और मानव तस्करी भी इस रूट के जरिए तेजी से हो रही है. इसी बीच में चाइल्ड लाइन, बचपन बचाओ आंदोलन जैसी संस्थाओं के साथ आरपीएफ और जीआरपी मुहिम चलाकर मानव तस्करों को पकड़ने का काम कर रही है. रविवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर ऐसे ही चार नाबालिगों को तस्कर के चंगुल से छुड़ाया गया.
आरपीएफ निरीक्षक संजीव कुमार ने बताया कि आरपीएफ टीम और बचपन बचाओ आंदोलन के प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर देशराज सिंह स्टेशन पर गश्त कर रहे थे. इसी बीच जनरल टिकट काउंटर के समीप चार नाबालिग बच्चे एक अधेड़ के साथ संदिग्ध हाल में दिखे. संदेह होने पर उनसे पूछताछ करने पर अधेड़ ने अपना नाम गौरीशंकर वर्मा निवासी वाराणसी बताया. किशोरों के बारे में पूछने पर पता चला कि वह इन्हें दीमापुर नागालैंड ले जा रहा है. अधेड़ के साथ मिले नाबालिग आजमगढ़ और वाराणसी के हैं.
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आरपीएफ की पूछताछ में गौरीशंकर ने बताया कि वह बच्चों को दीमापुर के ठेकेदार को देने वाला था. जो सड़क निर्माण में काम दिलाने वाला था. इस कार्य के लिए उसे प्रति बच्चा दो हजार रुपये मिलते. आरपीएफ ने नाबालिगों और तस्कर को जीआरपी के हवाले कर दिया. जीआरपी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई में जुटी है.
28 अगस्त को एक किशोरी बंधुआ मजदूरों के चंगुल से बचकर स्टेशन पर पहुंची थी. यहां रेलवे चाइल्ड लाइन से उसे पकड़कर पूछताछ की तो पता चला कि झारखंड से बड़े पैमाने पर किशोर नई बस्ती में रहते हैं. इसके बाद बचपन बचाओ आंदोलन, आरपीएफ के साथ मुगलसराय पुलिस के सहयोग से नई बस्ती से 34 बच्चों को बरामद किया और बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया था.
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