चन्दौली : पुलवामा आतंकी हमले में 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए हैं. जहां एक ओर पूरा देश घटना से स्तब्ध है तो वहीं कुछ पुराने जख्म भी हरे हो गए हैं. बीते साल पाकिस्तानी गोलाबारी में राजौरी में तैनात चन्दौली के लाल चंदन राय शहीद हो गए थे. जिसके 14 महीने उनके पिता को बेटे की शहादत से फक्र तो है. लेकिन सरकार से नाराजगी भी है.
ये तश्वीर है पाकिस्तानी गोलाबारी में शहीद हुए चंदन राय के परिवार की. जो बेटे के चले जाने के सदमे से आज तक नहीं उबर सका. हाथों में शहीद बेटे की फोटो लेकर नम आंखों से देखती इस मां की आंखे आज भी अपने बेटे के घर आने का इंतजार करती हैं. बहन की शादी से लेकर छोटे भाई की पढ़ाई तक कि पूरी जिम्मेदारी शहीद चंदन के ऊपर थी. देश की रक्षा करने का सपना देखने वाले चंदन कम उम्र में ही सेना में भर्ती हो गए. एक दिन देश की सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हो गए. लेकिन जाने से पहले अपनी मां को भाई की पढ़ाई और बहन के हाथ पीले किये जाने के वादे को पूरा किये बिना ही रुखसत हो गए.
जब शहीद चंदन का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो तमाम जनप्रतिनिधियों ने शहीद के सम्मान से लेकर आर्थिक मदद देने के तमाम वादे किये, लेकिन उस दौरान किये गए वादे आजतक पूरे नहीं हुए. दूसरे बेटे को न तो नौकरी नसीब हुई और न ही सम्मान मिला.
एक बेटे के खोने का दर्द क्या होता है. भला पिता से बेहतर कौन समझ सकता है. शहादत के समय परिवार की मदद के लिए सभी जनप्रतिनिधियों ने तमाम वादे किए थे. लेकिन समय के साथ जनप्रतिनिधियों के वादे भी धूमिल पड़ गए. जब चंदन राय शहीद हुए थे तो सरकार के नुमाइंदे ने वादा किया था.परिवार का एकमात्र सहारा रहे चंदन के भाई को नौकरी मिलेगी. उनके नाम से सैदपुर पुल का नाम रखा जाएगा. चहनियां चौराहे पर का नामकरण समेत प्रतिमा लगाई जाएगी. उनके नाम से मिनी स्टेडियम का नाम रखा जाएगा.
इसके अलावा तमाम वादे, लेकिन अबतक एक भी वादा पूरा नहीं किया जा सका. वहीं पुलवामा में हुई घटना ने एक बार फिर शहीद के पिता के जख्मों को कुरेदने का काम किया है. जब उनसे इस घटना पर ईटीवी ने बात करने का प्रयास किया तो सरकार के ढुलमुल रवैये पर तड़पडाहत साफ तौर देखी जा सकती थी. उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है. पाकिस्तान को उसी के भाषा मे जवाब दिए जाने की जरूरत है.
सरकारी तंत्र की उपेक्षा की वजह से आज यह परिवार गुमनामी का जीवन जीने को मजबूर है. भविष्य को लेकर दिनरात चिंता सताती है. न ही नौकरी मिली न ही अन्य मदद. कैसे चलेगा परिवार का खर्च और कैसे होगी बहन की शादी.कुछ पैसे उस वक्त जरूर मिले थे. लेकिन अब वो भी खत्म हो गए.अब तो जनप्रतिनिधि भी समय नहीं देते है. कई बार प्रयास करने पर दो मिनट का समय मिल पाता है. वो भी सिर्फ आश्वासन की घुट्टी पिलाते है.
जब चंदन राय शहीद हुए थे. तब सीएम योगी ने परिजनों से फोन पर वार्ता कर चन्दौली आने पर घर आने की बात कही थी. शहादत को 14 माह से ज्यादा का वक्त हो चुका है. लेकिन आजतक सीएम योगी घर नहीं आये. उनका कहना है कि विवेक तिवारी हत्याकांड के बाद एक सप्ताह में सरकार ने सभी तरह की कार्रवाई कर नौकरी दिलवा दी. लेकिन शहीदों को 14 माह बाद भी सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. देश के लिए एक शर्मनाक बात है कि जिस परिवार का बेटा देश पर शहीद हो गया आज उसका परिवार इन हालात में है.
सरकार पुलवामा हमले के बाद तमाम दावे और वादे कर रही है. ऐसे में सरकार को अगर शहीदों के प्रति श्रद्धांजली अर्पित करनी है तो अब तक शहीद हुए लोगों की कुर्बानी को याद करें और अपने किये गए वादे को पूरा करें.