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ब्लैक राइस की खेती ने तोड़ी किसानों की कमर, आधे दामों में बेच रहे फसल

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Published : Jun 10, 2020, 8:07 PM IST

यूपी के चन्दौली जिले की पहचान धान के कटोरे के तौर पर की जाती है, यहां ज्यादातर किसान धान की खेती करने में विश्वास रखते हैं. ब्लैक राइस की खेती करने वाले किसानों की मानें तो मार्केटिंग कम होने के चलते फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा है.

ब्लैक राइस.
ब्लैक राइस.

चंदौली: कोरोना वायरस से किसानों को आर्थिक तौर पर काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. किसानों ने आय बढ़ाने के लिए नया प्रयोग करते हुए ब्लैक राइस की खेती करना शुरू कर दिया. अनुकूल वातावरण के लिहाज से पैदावार तो काफी अच्छी हुई, लेकिन इसकी (ब्लैक राइस) मार्केटिंग कम होने के चलते किसानों की उपज औने-पौने दामों पर बेची जा रही है, जिससे किसानों के अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है. किसानों का कहना है कि अब उनका ब्लैक राइस की खेती से मोह भंग हो रहा है. वहीं कृषि विभाग का दावा है कि ब्लैक राइस की खेती से किसानों की आय दोगुनी नहीं बल्कि तीन गुना बढ़ी है.

जानकारी देते किसान.

धान बेचने के लिए चिन्हित है दुकान
धान के कटोरे चन्दौली में कृषि विभाग की तरफ से गठित ब्लैक राइस कृषक समिति की देखरेख में किसानों से ब्लैक राइस धान की खरीद की जा रही है. इसके लिए नवीन मंडी समिति में बाकायदा दुकान नंबर 21 को चिन्हित किया गया, जहां किसानों की उपज 85 रुपये किलो के हिसाब से ली जा रही है.

धान की खेती का बहिष्कार
ब्लैक राइस की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि उन्होंने बेहतर आय की उम्मीद के चलते धान की खेती की थी. उनका अनुमान था कि औषधीय गुणों से युक्त इस चावल को बाजार में उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी (किसानों) आय में बढ़ोतरी होगी और अच्छे दिन आएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और उनकी सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं.

ब्लैक राइस की खेती में लगने वाला खर्च
ब्लैक राइस की खेती करने वाले किसान ने बताया कि जब उन्होंने ब्लैक राइस की खेती की शुरूआत की तो 400 रुपये किलो बीज खरीदना पड़ा. किसानों के मुताबिक ब्लैक राइस की उपज की अनुमानित कीमत 250 से 300 रुपये किलो आंकी गई, लेकिन समिति द्वारा इसे महज 85 रुपये किलो के दाम पर खरीदा जा रहा है. किसानों का आरोप यह भी है कि जब दोबारा फसल की बुआई का समय आ गया, तब खरीद की जा रही है. ऐसे स्थिति में अब हम इसकी खेती नहीं करेंगे.

वहीं अगर कृषि विभाग की मानें तो ब्लैक राइस की कीमत अभी पूर्ण रुप से निर्धारित नहीं हो सकी है. इसकी अनुमानित कीमत 85-100 रुपये किलो बताई जा रही है. देश की बड़ी चावल निर्यातक कंपनी आईआरबीएल और सुखबीर एग्रो की तरफ से ऑर्डर मिला है, जिसकी आपूर्ति के लिए नवीन मंडी समिति में खरीदारी की जा रही है. वहां से मिलने वाली धनराशि को समिति के माध्यम से चेक द्वारा खाते में धनराशि भेजी जाएगी.

ब्लैक राइस मतलब शुगर फ्री चावल
ब्लैक राइस को शुगर फ्री चावल भी कहा जाता है, जो कि औषधीय गुणों से भरपूर है. इस चावल में प्रोटीन और एंटी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. वहीं फैट की मात्रा भी बेहद कम है, जिससे यह मधुमेह, कैंसर, हृदय संबंधी रोगों में फायदेमंद होता है.

ब्लैक राइस की मार्केटिंग कमजोर
किसानों ने बताया कि ब्लैक राइस बाजार में एक नया उत्पाद है. इसकी अभी तक ठीक तरीके से न ही मार्केटिंग हो पाई है और न ही ब्रांडिंग. इससे बाजार में ब्लैक राइस को सही दाम नहीं मिल पा रहा है, लेकिन कृषि विभाग सतत प्रयास करते हुए ब्लैक राइस को मशहूर करने में जुटा है.

चन्दौली को एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट की सूची में शामिल किए जाने के बाद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने ब्लैक राइस की खेती का सुझाव दिया था, जिसे अमल में लाते हुए मणिपुर से ब्लैक राइस की खेती के लिए बीज मंगाए गए और 25 प्रगतिशील किसानों ने ब्लैक राइस की खेती की. फसल की कटाई के समय इंटरनेशनल राइस रिसर्च सेंटर की टीम ने इसका निरीक्षण किया और उत्पाद की सराहना की.

इसे भी पढ़ें- चंदौली: एएसपी प्रेमचंद की जुबानी सुनें प्रवासी मजदूरों का दर्द ...

चंदौली: कोरोना वायरस से किसानों को आर्थिक तौर पर काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. किसानों ने आय बढ़ाने के लिए नया प्रयोग करते हुए ब्लैक राइस की खेती करना शुरू कर दिया. अनुकूल वातावरण के लिहाज से पैदावार तो काफी अच्छी हुई, लेकिन इसकी (ब्लैक राइस) मार्केटिंग कम होने के चलते किसानों की उपज औने-पौने दामों पर बेची जा रही है, जिससे किसानों के अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है. किसानों का कहना है कि अब उनका ब्लैक राइस की खेती से मोह भंग हो रहा है. वहीं कृषि विभाग का दावा है कि ब्लैक राइस की खेती से किसानों की आय दोगुनी नहीं बल्कि तीन गुना बढ़ी है.

जानकारी देते किसान.

धान बेचने के लिए चिन्हित है दुकान
धान के कटोरे चन्दौली में कृषि विभाग की तरफ से गठित ब्लैक राइस कृषक समिति की देखरेख में किसानों से ब्लैक राइस धान की खरीद की जा रही है. इसके लिए नवीन मंडी समिति में बाकायदा दुकान नंबर 21 को चिन्हित किया गया, जहां किसानों की उपज 85 रुपये किलो के हिसाब से ली जा रही है.

धान की खेती का बहिष्कार
ब्लैक राइस की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि उन्होंने बेहतर आय की उम्मीद के चलते धान की खेती की थी. उनका अनुमान था कि औषधीय गुणों से युक्त इस चावल को बाजार में उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी (किसानों) आय में बढ़ोतरी होगी और अच्छे दिन आएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और उनकी सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं.

ब्लैक राइस की खेती में लगने वाला खर्च
ब्लैक राइस की खेती करने वाले किसान ने बताया कि जब उन्होंने ब्लैक राइस की खेती की शुरूआत की तो 400 रुपये किलो बीज खरीदना पड़ा. किसानों के मुताबिक ब्लैक राइस की उपज की अनुमानित कीमत 250 से 300 रुपये किलो आंकी गई, लेकिन समिति द्वारा इसे महज 85 रुपये किलो के दाम पर खरीदा जा रहा है. किसानों का आरोप यह भी है कि जब दोबारा फसल की बुआई का समय आ गया, तब खरीद की जा रही है. ऐसे स्थिति में अब हम इसकी खेती नहीं करेंगे.

वहीं अगर कृषि विभाग की मानें तो ब्लैक राइस की कीमत अभी पूर्ण रुप से निर्धारित नहीं हो सकी है. इसकी अनुमानित कीमत 85-100 रुपये किलो बताई जा रही है. देश की बड़ी चावल निर्यातक कंपनी आईआरबीएल और सुखबीर एग्रो की तरफ से ऑर्डर मिला है, जिसकी आपूर्ति के लिए नवीन मंडी समिति में खरीदारी की जा रही है. वहां से मिलने वाली धनराशि को समिति के माध्यम से चेक द्वारा खाते में धनराशि भेजी जाएगी.

ब्लैक राइस मतलब शुगर फ्री चावल
ब्लैक राइस को शुगर फ्री चावल भी कहा जाता है, जो कि औषधीय गुणों से भरपूर है. इस चावल में प्रोटीन और एंटी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. वहीं फैट की मात्रा भी बेहद कम है, जिससे यह मधुमेह, कैंसर, हृदय संबंधी रोगों में फायदेमंद होता है.

ब्लैक राइस की मार्केटिंग कमजोर
किसानों ने बताया कि ब्लैक राइस बाजार में एक नया उत्पाद है. इसकी अभी तक ठीक तरीके से न ही मार्केटिंग हो पाई है और न ही ब्रांडिंग. इससे बाजार में ब्लैक राइस को सही दाम नहीं मिल पा रहा है, लेकिन कृषि विभाग सतत प्रयास करते हुए ब्लैक राइस को मशहूर करने में जुटा है.

चन्दौली को एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट की सूची में शामिल किए जाने के बाद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने ब्लैक राइस की खेती का सुझाव दिया था, जिसे अमल में लाते हुए मणिपुर से ब्लैक राइस की खेती के लिए बीज मंगाए गए और 25 प्रगतिशील किसानों ने ब्लैक राइस की खेती की. फसल की कटाई के समय इंटरनेशनल राइस रिसर्च सेंटर की टीम ने इसका निरीक्षण किया और उत्पाद की सराहना की.

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