चन्दौली: कोरोना काल में जहां चारों तरफ डॉक्टर इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, तो वहीं कार्बाइट से पकाये हुए आम मार्केट में धड़ल्ले से बिक रहे हैं. इसका सीधा असर इंसान के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. आम को फलों का राजा माना जाता है और इस समय आमों के बिक्री अपने अधिकतम उठान पर है. लेकिन सच्चाई यह है कि बाजार में बिकने वाले आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं. क्योंकि मार्केट में उपलब्ध आम नेचुरली पके हुए न होकर का कार्बाइट से पके हैं.
क्या होता है कार्बाइट
कार्बाइट का पूरा केमिकल नाम कैल्शियम कार्बाइट होता है. इसका उपयोग इंडस्ट्रीयल वेस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट में किया जाता है. वहीं फल व्यापारी इसका उपयोग आम समेत कई फलों को पकाने में कर रहे हैं. यह कच्चे आम में एथिलीन की मात्रा को पूरा कर उसे अप्राकृतिक तरीके से पकाता है. 10 किलो आम को पकाने के लिए मात्र 25 ग्राम कार्बाइट काफी है, जो उसे पांच दिनों में पका देगा.
ऐसे पकाया जाता है आम
कार्बाइट से आमों को पकाने के लिए पेपर की मोटी परत के ऊपर कच्चे आमों को कैरेट में रखकर आमों के बीच-बीच में दो से तीन जगह कार्बाइट का टुकड़ा रखा जाता है. कार्बाइट को पूरी तरह कागज में लपेटकर रखा जाता है, नहीं तो सीधे इसके संपर्क में आने से इसकी गर्मी के चलते आम सड़ जाएगा. इस तरीके से 4-5 दिनों में यह कच्चा आम पूरी तरह पक जाएगा.
सेहत के लिए नुकसानदायक
कृषि वैज्ञानिक डॉ. दिनेश यादव का कहना है कि कैल्शियम कार्बाइड से पके आमों को खाने के बाद काफी ज्यादा प्यास लगती है, क्योंकि कार्बाइट दिमाग की इंद्री हाईपोथेलम्स पर सीधा प्रभाव डालता है. इससे हार्मोन्स का श्रावण बढ़ जाता है और शरीर में पानी की अत्यधिक मात्रा की आवश्यकता महसूस होती है. इसके अलावा मिचली आना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जलन होने समेत कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं. कार्बाइड से पके फलों को अधिक दिनों तक सेवन से पाचन तंत्र में गड़बड़ी के साथ-साथ लिवर, किडनी की बीमारियों के अलावा कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है.
कार्बाइट से पके आमों की है भरमार
आम के थोक व्यापारी अशोक सोनकर ने बताया कि मार्केट में मिलने वाले सभी आम कार्बाइट से पके हैं. यह नेचुरल तरीके पके आमों तुलना में अधिक अच्छे दिखते हैं. इसे यदि दो घण्टे तक पानी में डालकर रखें तो कार्बाइट असर बेहद कम हो जाता है.