चंदौली : जिले में लंबे समय से न्यायालय भवन निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने की मांग को लेकर अधिवक्ताओं का प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी संजीव सिंह से मिला. इस दौरान अधिवक्ताओं ने जिला प्रशासन पर टालमटोल रवैया अपनाने का आरोप लगाया. यही नहीं हाईकोर्ट के आदेश की भी अनदेखी की भी बात कही. आक्रोशित अधिवक्ता गुरुवार को सम्पूर्ण न्यायिक कार्य से विरत रहे. वहीं कलक्ट्रेट में प्रदर्शन कर नारेबाजी करने के साथ जिलाधिकारी को इस मामले से अवगत कराते हुए चेताया. कहा यदि जल्द न्यायालय भवन निर्माण के लिए जमीन मुहैया नहीं करायी गई तो आंदोलन को बाध्य होंगे.
23 साल बाद भी नहीं मिल सका न्यायालय भवन
इस दौरान डिस्ट्रिक्ट डेमोक्रेटिक बार एसोसिएशन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद पाठक ने बताया कि जिला बने करीब 23 साल बीत गया है. लेकिन, जिले में न्यायालय भवन का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है. इसको लेकर जिला प्रशासन की ओर से लगातार उपेक्षात्मक रवैया अपनाया जा रहा है. आलम यह है कि न्यायिक अधिकारियों के साथ ही अधिवक्ता और वादकारी तमाम तरह की परेशानियों को झेल रहे हैं. न्याय प्रणाली और विधि व्यवस्था के प्रति जिला प्रशासन की उपेक्षा की निंदा की जाती है.
2014 में दाखिल हुआ था पीआईएल
महामंत्री जन्मेजय सिंह ने बताया कि न्यायालय के भवन निर्माण को लेकर 2014 में पीआईएल दाखिल किया गया था. जिसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण ने जिले की समस्याओं को गंभीरता से लिया था. साथ ही प्रमुख सचिव न्याय से शपथ पत्र मांगा था. उनके दिए गए शपथ पत्र पर संतुष्ट नहीं हुई. इसके अलावा जिला प्रशासन से भी शपथ पत्र दिया. उस समय न्यायालय निर्माण के लिए करीब 75 बीघा जमीन की आवश्यकता थी. इसमें कृषि फार्म की कब्जे वाली जमीन को 11 बीघा जमीन न्यायालय के लिए दे दिया गया. शेष कास्तकारों से दिलाने की बात कही गई थी.
अधिवक्ता आंदोलन को होंगे बाध्य
वर्तमान समय में करीब 35 बीघा ही जमीन चाहिए. लेकिन कृषि विभाग के कब्जे वाली जमीन को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. बल्कि न्यायालय भवन निर्माण को लेकर अड़चन पैदा किया जा रहा है. ऐसे में अधिवक्ता आंदोलन को बाध्य होंगे.
इस मौके पर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल सिंह, महामंत्री जन्मेजय सिंह के अलावा अधिवक्ता शमशुद्दीन, प्रवीण सिंह यादव, अभिनव आनन्द सिंह, अमित तिवारी सहित अन्य अधिवक्ता मौजूद रहे.