चंदौली: यूपी के कुख्तात बदमाश अजय सिंह उर्फ विजय ने शुक्रवार को गुपचुप तरीके से चंदौली गैंगेस्टर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस को इस बात की भनक तक नहीं लग सकी. अजय सिंह हत्या और रंगदारी जैसे एक दर्जन से अधिक जघन्य आपराधिक मामलों में वांछित है. विगत मई माह में लखनऊ में एक टीटीई को गोली मार दी गई. इसमें अजय का नाम भी सामने आया. न्यायालय ने इसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. अजय सिंह चंदौली में भी गैंगेस्टर एक्ट के काफी पुराने मामले में वांछित था.
दरअसल, 2 मई को लखनऊ में प्रापर्टी डीलर और टीटीई विजयशंकर सिंह को शराब पीने के दौरान हुए विवाद में गोली मार दी गई थी. विजय शंकर ने अजय सिंह सहित 6 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. इसके पूर्व 13 सितंबर 2007 में पांडेयपुर में सरकारी चिकित्सक डॉ. डीपी सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसमें भी अजय सिंह आरोपी बनाया गया. इसके बाद 2012 में गाजीपुर में सराफा कारोबारी भाईयों को गोली मारकर लाखों की लूट को अंजाम दिया गया. अप्रैल 2013 में अजय को वाराणसी पुलिस ने 9 एमएम की पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया. कुछ माह बाद ही अजय जमानत पर छूट गया. इसके बाद वह कभी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया.
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बदमाश अजय सिंह उर्फ विजय सरकारी एजेंसियों को चकमा देते हुए चंदौली कोर्ट में सरेंडर कर दिया. मूल रूप से फतेहपुर जिला निवासी अजय सिंह उर्फ विजय की गिनती पूर्वांचल के कुख्यात बदमाशों में होती है. पैसे लेकर किसी को मार देना इसके लिए बाएं हाथ का खेल है. अजय चंदौली , वाराणसी , बिहार , रांची समेत कई स्थानों पर ठिकाना बनाए हुए था. इसके खिलाफ वाराणसी , गाजीपुर , चंदौली , लखनऊ में दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं.
अजय बड़े व्यापारी , ठेकेदार और डाक्टरों से रंगदारी भी वसूलता है. हत्या के साथ अपहरण की वारतादों में भी शामिल रहा है. अजय सिंह कभी सन्नी सिंह गिरोह का मुख्य शूटर हुआ करता था. सन्नी सिंह के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद दूसरे गिरोह में शामिल हो गया. इसके अलावा अजय सिंह खुद अपना गिरोह चलाता है.
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