मुरादाबाद: प्रधानमंत्री ने साल 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का आह्वान किया है, लेकिन जिले में हर साल हजारों की तादात में टीबी मरीजों को सामने लाना बड़ी चुनौती है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक मुरादाबाद में हर साल दस हजार से ज्यादा टीबी मरीज इलाज के लिए आ रहें है. पीतल कारोबार होने के चलते भट्टियों से निकलने वाला धुंआ और टीबी के पुराने मरीज स्वास्थ्य विभाग के सामने बड़ी चुनौती है.
पीतल कारोबार बना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती
घर घर में होने वाले पीतल कारोबार के चलते टीबी मरीजों की तादात हमेशा से ज्यादा रही है. पीतल गलाने में इस्तेमाल होने वाली भट्टियों से उठने वाला धुंआ कारीगरों को हमेशा से परेशान करता रहा है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक हर साल सरकारी ओर निजी अस्पतालों में टीबी के दस हजार नए मरीज सामने आ रहें है. केंद्र सरकार द्वारा आने वाले पांच सालों में टीबी मुक्त भारत का आह्वान किया गया है.
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स्वास्थ्य विभाग का एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान
इतनी बड़ी तादात में मरीजों के सामने आने के बाद अधिकारी भी इसे बड़ी चुनौती मान रहे हैं. टीबी के मरीजों की पहचान कर उनका इलाज करने के लिए कल से विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार से शुरू हो रहे अभियान के लिए चार लाख लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य रखा है. इसके लिए 175 टीमें और 35 सुपरवाइजर तैनात किए गए हैं.
लोगों की जांच करने वाली टीम में तीन सदस्य रखे गए हैं, जिन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रशिक्षित किया गया है. टीबी रोगियों की पहचान के लिए टीमों को घनी आबादी और मलिन बस्तियों में विशेष तौर पर जाने के निर्देश दिए गए हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीबी मुक्त अभियान के लिए समाजसेवी संस्थाओं का भी सहयोग मांगा गया है, ताकि जल्द से जल्द टीबी को जड़ से समाप्त किया जाय.