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मुरादाबाद: पॉलीहाउस में जरबेरा की खेती, महक रही आम आदमी की बगिया

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में जरबेरा की खेती से किसान आत्मनिर्भर हो रहे हैं. जरबेरा की खेती से न सिर्फ फसल से अच्छी आमदनी हो रही है, बल्कि वह गांव में और लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

आत्मनिर्भर होते किसान
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Published : Jan 28, 2021, 2:16 PM IST

मुरादाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना काल की शुरुआत से ही आत्मनिर्भर भारत पर जोर दे रहे हैं. युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए तमाम विभागों के समन्यव के जरिए योजनाओं को मूर्त रूप भी दिया जा रहा है. मुरादाबाद में तमाम विभाग लगातार कोशिश कर रहे हैं कि युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके और उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित करके नौकरी देने वाले लोगों को आगे लाया जा सके.

अब तक तीन पॉलीहाउस का हुआ निर्माण

मुरादाबाद जिले में प्रगतिशील किसानों के लिए उद्यान विभाग की ओर से प्रधानमंत्री औद्योगिक मिशन के माध्यम से फूलों, फलों और सब्जियों की खेती के लिए ग्रीन या पॉलीहाउस का निर्माण करवाया जा रहा है. जिले में अब तक इस योजना के तहत तीन किसानों को लाभान्वित करके पॉलीहाउस का निर्माण करवाया गया है, जहां पर खेती की जा रही है. किसानों को इससे न केवल बेहतर लाभ मिल रहा है, बल्कि वह कई लोगों को ट्रेनिंग और रोजगार भी दे रहे हैं.

जरबेरा की खेती से आत्मनिर्भर बन रहे किसान.

यहां होती है जरबेरा के फूलों की खेती

पेशे से आर्किटेक्ट रहे नीतीश टंडन को जरबेरा के फूलों की सुंदरता ऐसी लगी कि उन्होंने इसकी फसल उगाने की ठान ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरणा लेकर भोजपुर गांव के रहने वाले नितीश टंडन लॉकडाउन के बाद स्वरोजगार की राह पकड़ी. उन्होंने मेरठ की एक कंपनी से तकरीबन 4100 वर्ग मीटर में पालीहाउस तैयार करवाया और जरबेरा के फूलों की खेती आरंभ कर दी.

एक बार लगे पौधों से पांच साल तक होती है कमाई

जरबेरा के पौधों में अच्छी बात यह होती है कि वह जब एक बार लग जाए और उनका देखरेख नियमित तौर पर होता है. तो वह अगले 5 साल तक फूलों की फसल देते हैं, जिन्हें बाजार में बेचकर बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है.

इंजीनियर नीतीश टंडन के पॉलीहाउस में लगे जरबेरा के पौधे अभी 3 माह के ही हुए हैं, लेकिन उन्होंने फूल देना शुरू कर दिया है. धीरे-धीरे जब यह पौधे बड़े हो जाएंगे तो वह इन्हें तकरीबन एक लाख रुपये हर महीने की बचत देने लगेंगे.

नीतीश टंडन के पॉलीहाउस में तैयार हो रहे फूलों को दिल्ली, गाजियाबाद, मुरादाबाद समेत आसपास के जिलों में भेजा जाता है. इसके रखरखाव के लिए इन्होंने गांव के ही तकरीबन एक दर्जन लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवा रखा है.

क्या कहते हैं प्रगतिशील किसान नीतीश

पेशे से आर्किटेक्ट नीतीश टंडन ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि जरबेरा के फूलों की खेती करके उन्हें साल भर में 15 लाख रुपये की कमाई हो सकती है. खर्चा, वगैरा काटकर हर महीने मोटे तौर पर एक लाख रुपये की आमदनी हो सकती है. पॉलीहाउस लगाने के लिए तकरीबन 1 एकड़ जमीन और 50-60 लाख रुपये की जरूरत होती है. इसमें लोन मिल जाता है और सरकार द्वारा सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाती है.

क्या कहते हैं यहां काम करने वाले किसान

यहां काम करने वाले किसानों का कहना है कि हम पहले पारंपरिक तौर पर खेती करते थे, लेकिन जब से यह पॉलीहाउस बना है, तब से यहीं पर काम कर रहे हैं. यहां पर न केवल हम खेती के नए गुर सीख रहे हैं, बल्कि हमारी आमदनी भी अच्छी हो रही है, जो पारंपरिक खेती में संभव नहीं है.

जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार बताते हैं कि इस तरह की खेती को राष्ट्रीय उद्यान व बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत करवाया जाता है. इसमें राज्य और केंद्र सरकार की ओर से योजना के लाभार्थियों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाती है. प्रधानमंत्री औद्योगिक मिशन के तहत भी तमाम तरह की अनुदान युवाओं को दिए जा रहे हैं. नीतीश टंडन के पॉलीहाउस को प्रधानमंत्री औद्योगिक मिशन के तहत बनाया गया है, जिसमें उन्हें 50 फीसद अनुदान केंद्र सरकार की तरफ से उपलब्ध करवाया गया है. इस पॉलीहाउस के निर्माण में तकरीबन 60 लाख रुपये की लागत आई है.

उन्होंने बताया कि पॉलीहाउस में कई तरह के सब्जियों, फलों और फूलों की खेती की जाती है. मुरादाबाद जिले में 3 पॉलीहाउस बन चुके हैं, जहां पर रंगीन शिमला मिर्च, बिना बीज वाले खीरे, ककड़ी, गाजर, हरी गोभी, फल व फूल जैविक तौर पर उपजाए जा रहे हैं. इस तरह की खेती से जुड़कर न केवल युवाओं को बेहतर लाभ मिल रहा है, बल्कि वह उन किसानों के लिए प्रेरणा के स्रोत भी बन रहे हैं, जिनकी आमदनी पारंपरिक खेती करने की वजह से कहीं ना कहीं कम रह गई है.

मुरादाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना काल की शुरुआत से ही आत्मनिर्भर भारत पर जोर दे रहे हैं. युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए तमाम विभागों के समन्यव के जरिए योजनाओं को मूर्त रूप भी दिया जा रहा है. मुरादाबाद में तमाम विभाग लगातार कोशिश कर रहे हैं कि युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके और उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित करके नौकरी देने वाले लोगों को आगे लाया जा सके.

अब तक तीन पॉलीहाउस का हुआ निर्माण

मुरादाबाद जिले में प्रगतिशील किसानों के लिए उद्यान विभाग की ओर से प्रधानमंत्री औद्योगिक मिशन के माध्यम से फूलों, फलों और सब्जियों की खेती के लिए ग्रीन या पॉलीहाउस का निर्माण करवाया जा रहा है. जिले में अब तक इस योजना के तहत तीन किसानों को लाभान्वित करके पॉलीहाउस का निर्माण करवाया गया है, जहां पर खेती की जा रही है. किसानों को इससे न केवल बेहतर लाभ मिल रहा है, बल्कि वह कई लोगों को ट्रेनिंग और रोजगार भी दे रहे हैं.

जरबेरा की खेती से आत्मनिर्भर बन रहे किसान.

यहां होती है जरबेरा के फूलों की खेती

पेशे से आर्किटेक्ट रहे नीतीश टंडन को जरबेरा के फूलों की सुंदरता ऐसी लगी कि उन्होंने इसकी फसल उगाने की ठान ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरणा लेकर भोजपुर गांव के रहने वाले नितीश टंडन लॉकडाउन के बाद स्वरोजगार की राह पकड़ी. उन्होंने मेरठ की एक कंपनी से तकरीबन 4100 वर्ग मीटर में पालीहाउस तैयार करवाया और जरबेरा के फूलों की खेती आरंभ कर दी.

एक बार लगे पौधों से पांच साल तक होती है कमाई

जरबेरा के पौधों में अच्छी बात यह होती है कि वह जब एक बार लग जाए और उनका देखरेख नियमित तौर पर होता है. तो वह अगले 5 साल तक फूलों की फसल देते हैं, जिन्हें बाजार में बेचकर बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है.

इंजीनियर नीतीश टंडन के पॉलीहाउस में लगे जरबेरा के पौधे अभी 3 माह के ही हुए हैं, लेकिन उन्होंने फूल देना शुरू कर दिया है. धीरे-धीरे जब यह पौधे बड़े हो जाएंगे तो वह इन्हें तकरीबन एक लाख रुपये हर महीने की बचत देने लगेंगे.

नीतीश टंडन के पॉलीहाउस में तैयार हो रहे फूलों को दिल्ली, गाजियाबाद, मुरादाबाद समेत आसपास के जिलों में भेजा जाता है. इसके रखरखाव के लिए इन्होंने गांव के ही तकरीबन एक दर्जन लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवा रखा है.

क्या कहते हैं प्रगतिशील किसान नीतीश

पेशे से आर्किटेक्ट नीतीश टंडन ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि जरबेरा के फूलों की खेती करके उन्हें साल भर में 15 लाख रुपये की कमाई हो सकती है. खर्चा, वगैरा काटकर हर महीने मोटे तौर पर एक लाख रुपये की आमदनी हो सकती है. पॉलीहाउस लगाने के लिए तकरीबन 1 एकड़ जमीन और 50-60 लाख रुपये की जरूरत होती है. इसमें लोन मिल जाता है और सरकार द्वारा सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाती है.

क्या कहते हैं यहां काम करने वाले किसान

यहां काम करने वाले किसानों का कहना है कि हम पहले पारंपरिक तौर पर खेती करते थे, लेकिन जब से यह पॉलीहाउस बना है, तब से यहीं पर काम कर रहे हैं. यहां पर न केवल हम खेती के नए गुर सीख रहे हैं, बल्कि हमारी आमदनी भी अच्छी हो रही है, जो पारंपरिक खेती में संभव नहीं है.

जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार बताते हैं कि इस तरह की खेती को राष्ट्रीय उद्यान व बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत करवाया जाता है. इसमें राज्य और केंद्र सरकार की ओर से योजना के लाभार्थियों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाती है. प्रधानमंत्री औद्योगिक मिशन के तहत भी तमाम तरह की अनुदान युवाओं को दिए जा रहे हैं. नीतीश टंडन के पॉलीहाउस को प्रधानमंत्री औद्योगिक मिशन के तहत बनाया गया है, जिसमें उन्हें 50 फीसद अनुदान केंद्र सरकार की तरफ से उपलब्ध करवाया गया है. इस पॉलीहाउस के निर्माण में तकरीबन 60 लाख रुपये की लागत आई है.

उन्होंने बताया कि पॉलीहाउस में कई तरह के सब्जियों, फलों और फूलों की खेती की जाती है. मुरादाबाद जिले में 3 पॉलीहाउस बन चुके हैं, जहां पर रंगीन शिमला मिर्च, बिना बीज वाले खीरे, ककड़ी, गाजर, हरी गोभी, फल व फूल जैविक तौर पर उपजाए जा रहे हैं. इस तरह की खेती से जुड़कर न केवल युवाओं को बेहतर लाभ मिल रहा है, बल्कि वह उन किसानों के लिए प्रेरणा के स्रोत भी बन रहे हैं, जिनकी आमदनी पारंपरिक खेती करने की वजह से कहीं ना कहीं कम रह गई है.

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