मुरादाबाद: अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले मुरादाबाद के सपा सांसद डॉ. एसटी हसन ने एक बार फिर बेतुका बयान दिया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार ने पिछले 7 सालों में ऐसे कानून बनाए हैं. जिनसे शरीयत के साथ छेड़छाड़ की गई. जिसके चलते ही देश मे दो बार बड़े तूफान आए. कोरोना के चलते लाखों लोग मर गए. जिस तरह की यह सरकार है और उसके हाकिम है. उन्हें लगता है कि आने वाले समय में और भी आसमानी आफत आ सकती है.
देश में हाल ही में आये ताऊते और यास तूफान और कोरोना महामारी को लेकर सांसद एसटी हसन ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी की इस सात की सरकार ने शरीयत के खिलाफ कानून बनाए हैं.इसलिए जब धरती पर रहने वाला इंसान इंसाफ नहीं करता तो ऊपर वाला इंसाफ करता है. बीजेपी की सरकार ने मुसलमानों की नागरिकता, तीन तलाक जैसे कानून बनाए. जिसकी वजह से देश को आसमानी आफत और कोरोना महामारी की वजह से लाखों लोगों की मौत हो गई.
'7 साल में बीजेपी ने सिर्फ पीठ थपथपाई'
केंद्र में बीजेपी भले ही अपने सरकार के 7 साल पूरे होने पर अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन इन 7 सालों में देश की जनता का जो हश्र हुआ है. वह किसी से छुपा हुआ नहीं है. 7 सालों के अंदर जिस तरह से सरकार एक समाज के लिए भेदभाव से काम कर रही है. चाहे वह नागरिकता का मामला हो या तीन तलाक का मामला हो. ये किसी से छुपा नहीं है.
'केंद्र की सरकार ने शरीयत के खिलाफ कानून बनाए'
केंद्र की बीजेपी सरकार ने केवल एक समाज को निशाने पर लेकर शरीयत के खिलाफ जाकर कानून बनाये हैं. जिसमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक समुदाय को कह दिया गया. उनको नागरिकता नहीं मिलेगी यानी के मुसलमान को नागरिकता नहीं मिलेगी जो नाइंसाफी हुई है. शरीयत के खिलाफ जाकर तीन तलाक पर कानून बनाया. जिसकी वजह से देश मे आसमानी आफतें आ रही है.
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के 99 प्रतिशत लोग धार्मिक हैं. हम यह मानते हैं कि दुनिया का चलाने वाला और दुनिया में इंसाफ करने वाला कोई और है. अगर जमीन वाले जब इंसाफ नहीं करते तो आसमान वाला इंसाफ करता है और जब वह इंसाफ करता है तो उसमें किंतु परन्तु कुछ नहीं होता है. आपने देखा नहीं पिछले दिनों क्या हुआ है लाशों की कितनी बेइज्जती हुई है. दरिया में लाशें बहा दी गई, आपने देखा नहीं श्मशान घाट में लकड़ियां तक नहीं थी. यह कौन सी सरकार है. क्या यह सिर्फ बड़े लोगों की सरकार है. गरीब का कोई हक नहीं है.
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