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मुरादाबाद: महिलाओं के उत्थान के लिए दिया उत्कृष्ट योगदान, काउंसलर बन निपटाती है पति पत्नी के विवाद - समाज सेविका रीता सिंह

पूरे देश में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला समाज के उत्थान के लिए किए गए कामों के लिए महिलाओं को सम्मानित किया जाता है. ऐसी ही एक मुरादाबाद की रहने वाली रीता सिंह जो एक समाज सेविका है. उन्होंने महिला समाज के लिए काफी योगदान दिया है. वे ऑल इंडिया वीमेन कॉन्फ्रेंस की सदस्य भी हैं.

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रीता सिंह काउंसलर बन निपटाती है पति पत्नी के विवाद
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Published : Mar 8, 2020, 1:26 AM IST

मुरादाबाद: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उन महिलाओं को याद किया जाता है जिन्होंने समाज के उत्थान के लिए अपना उत्कृष्ट योगदान दिया हो या अब भी सामाजिक सरोकार से जुड़ी हुई हों. मुरादाबाद में रहने वाली रीता सिंह ने भी अध्यापिका के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद, समाज सेविका के रूप में महिलाओं के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है. नारी उत्थान केंद्र में काउंसल की भूमिका निभाते हुए पति पत्नी के विवादों के कारण उजड़ने वाले परिवारों को एक करने का कार्य कर रही हैं. साथ ही ऑल इंडिया वीमेन कॉन्फ्रेंस की सदस्य भी हैं. अपना ही एक महिला संगठन संचालित करते हुए महिलाओं को बढ़ावा दे रही हैं.

रीता सिंह काउंसलर बन निपटाती है पति पत्नी के विवाद
मुरादाबाद कि नारी उत्थान केंद्र में रीता सिंह काउंसलर के पद पर तैनात हैं. पति-पत्नी में विवाद होने के बाद काउंसलिंग में आने वाले पति पत्नी को अपने बच्चों की तरह समझा कर विवाद का निपटारा करवाती हैं. साथ ही पति पत्नी को अपने कर्तव्यों के बारे में भी बताती हैं. नारी उत्थान केंद्र में रोजाना 5 से 10 मामले आते हैं. जिसमें से 80 प्रतिशत मामलों को नारी उत्थान केंद्र में ही निपटा दिया जाता है.

पिता के नक्शे कदम पर चली रीता सिंह
रीता सिंह का जन्म 14 मार्च 1942 को इटावा शहर में हुआ. पिता शिवराज सिंह पुलिस विभाग में पुलिस अधीक्षक थे. पिता को अपना आदर्श मानकर उनके नक्शे कदम पर चलने का संकल्प लिया.

आगरा विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन पढ़ाई पूरी की. स्पोर्ट्स में जेवलिक थ्रो व डिस्कस में भारतीय खिलाड़ी के रूप में भी भाग ले चुकी है. 1963 में उद्योग विभाग के अधिकारी सुरेश सिंह के साथ विवाह किया.

मलाला अवार्ड से भी सम्मानित है रीता सिंह

1969 में मुरादाबाद के इंटर कॉलेज मैं वरिष्ठ प्रवक्ता एवं प्रभाव प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में 34 वर्ष तक अपनी सेवा दी. सन 2002 में आदर्श शिक्षिका के रूप में पुरस्कृत किया गया. क्रॉसकंट्री रेस की तीन बार राष्ट्रीय अधिकारी बनाया गया. जिला एथलीट स्पोर्ट्स एसोसिएशन मुरादाबाद की सचिव और उपाध्यक्ष पद पर रह चुकी है. सन 2002 में सेवानिवृत्त होने के बाद ऑल इंडिया वूमेंस कॉन्फ्रेंस संस्था स्थापित की जिसमें महासचिव पर नामित हुई. राष्ट्रीय भ्रष्टाचार दमन परिषद महिला नई दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रवक्ता भी रहीं. 2005 में उत्तर प्रदेश महिला आयोग द्वारा एक शक्ति वाहिनी में 3 वर्ष कार्य किया. 2015 में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा मलाला अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके अलावा दर्जनों बार अलग-अलग संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है.

4 हजार से अधिक मामलों पर किया जा चुका निस्तारण
मुरादाबाद पुलिस द्वारा संचालित नारी उत्थान केंद्र प्रभारी संध्या रावत का कहना है कि रीता सिंह अब तक कई परिवारों को जोड़ चुकी हैं. पति पत्नी के विवादों को निपटाने में उनका विशेष सहयोग रहता है. मृदुभाषी रीता सिंह मुरादाबाद के लिए एक मिसाल है. नारी उत्थान केंद्र बनने से क्राइम का ग्राफ भी कम हुआ है. क्योंकि पति-पत्नी के विवाद का नारी उत्थान केंद्र में निस्तारण नहीं होता तो मुकदमे पंजीकृत होते. 2019 में 4000 से भी ज्यादा मामले यहां आए थे जिसमें से मात्र 300 ही मामले पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं. बाकी मामलों का निस्तारण कर दिया गया.

मुरादाबाद: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उन महिलाओं को याद किया जाता है जिन्होंने समाज के उत्थान के लिए अपना उत्कृष्ट योगदान दिया हो या अब भी सामाजिक सरोकार से जुड़ी हुई हों. मुरादाबाद में रहने वाली रीता सिंह ने भी अध्यापिका के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद, समाज सेविका के रूप में महिलाओं के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है. नारी उत्थान केंद्र में काउंसल की भूमिका निभाते हुए पति पत्नी के विवादों के कारण उजड़ने वाले परिवारों को एक करने का कार्य कर रही हैं. साथ ही ऑल इंडिया वीमेन कॉन्फ्रेंस की सदस्य भी हैं. अपना ही एक महिला संगठन संचालित करते हुए महिलाओं को बढ़ावा दे रही हैं.

रीता सिंह काउंसलर बन निपटाती है पति पत्नी के विवाद
मुरादाबाद कि नारी उत्थान केंद्र में रीता सिंह काउंसलर के पद पर तैनात हैं. पति-पत्नी में विवाद होने के बाद काउंसलिंग में आने वाले पति पत्नी को अपने बच्चों की तरह समझा कर विवाद का निपटारा करवाती हैं. साथ ही पति पत्नी को अपने कर्तव्यों के बारे में भी बताती हैं. नारी उत्थान केंद्र में रोजाना 5 से 10 मामले आते हैं. जिसमें से 80 प्रतिशत मामलों को नारी उत्थान केंद्र में ही निपटा दिया जाता है.

पिता के नक्शे कदम पर चली रीता सिंह
रीता सिंह का जन्म 14 मार्च 1942 को इटावा शहर में हुआ. पिता शिवराज सिंह पुलिस विभाग में पुलिस अधीक्षक थे. पिता को अपना आदर्श मानकर उनके नक्शे कदम पर चलने का संकल्प लिया.

आगरा विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन पढ़ाई पूरी की. स्पोर्ट्स में जेवलिक थ्रो व डिस्कस में भारतीय खिलाड़ी के रूप में भी भाग ले चुकी है. 1963 में उद्योग विभाग के अधिकारी सुरेश सिंह के साथ विवाह किया.

मलाला अवार्ड से भी सम्मानित है रीता सिंह

1969 में मुरादाबाद के इंटर कॉलेज मैं वरिष्ठ प्रवक्ता एवं प्रभाव प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में 34 वर्ष तक अपनी सेवा दी. सन 2002 में आदर्श शिक्षिका के रूप में पुरस्कृत किया गया. क्रॉसकंट्री रेस की तीन बार राष्ट्रीय अधिकारी बनाया गया. जिला एथलीट स्पोर्ट्स एसोसिएशन मुरादाबाद की सचिव और उपाध्यक्ष पद पर रह चुकी है. सन 2002 में सेवानिवृत्त होने के बाद ऑल इंडिया वूमेंस कॉन्फ्रेंस संस्था स्थापित की जिसमें महासचिव पर नामित हुई. राष्ट्रीय भ्रष्टाचार दमन परिषद महिला नई दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रवक्ता भी रहीं. 2005 में उत्तर प्रदेश महिला आयोग द्वारा एक शक्ति वाहिनी में 3 वर्ष कार्य किया. 2015 में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा मलाला अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके अलावा दर्जनों बार अलग-अलग संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है.

4 हजार से अधिक मामलों पर किया जा चुका निस्तारण
मुरादाबाद पुलिस द्वारा संचालित नारी उत्थान केंद्र प्रभारी संध्या रावत का कहना है कि रीता सिंह अब तक कई परिवारों को जोड़ चुकी हैं. पति पत्नी के विवादों को निपटाने में उनका विशेष सहयोग रहता है. मृदुभाषी रीता सिंह मुरादाबाद के लिए एक मिसाल है. नारी उत्थान केंद्र बनने से क्राइम का ग्राफ भी कम हुआ है. क्योंकि पति-पत्नी के विवाद का नारी उत्थान केंद्र में निस्तारण नहीं होता तो मुकदमे पंजीकृत होते. 2019 में 4000 से भी ज्यादा मामले यहां आए थे जिसमें से मात्र 300 ही मामले पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं. बाकी मामलों का निस्तारण कर दिया गया.

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