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मुरादाबाद में लगने लगी कलाकारों की मंडी, बस सही कीमत का है इंतजार...

मुरादाबाद सामान खरीदने के लिए आपने मंडी का नाम तो कई बार सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी कलाकारों की मंडी देखी है. जी हां अपने अभिनय से हजारों लोगों के चेहरे पर खुशी बिखेरने वाले रंगमंच कलाकारों की बोली लग रही है.

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Published : Sep 14, 2019, 10:50 AM IST

रामलीला कलाकारों की विभिन्न समस्या का करना पड़ रहा सामना.

मुरादाबाद: ऐतिहासिक चरित्रों का सजीव चित्रण करने वाले कलाकार भी अपने हुनर को बेचने के लिए मंडी सजा रहे हैं. ऐसी मंडी मुरादाबाद में हर साल सजती है, जहां देश के कई राज्यों से आए कलाकार, ग्राहकों के इंतजार में खुले आसमां के नीचे खुद की दुकान लगाए बैठे हैं. रामलीला मंचन करने वाले इन कलाकारों को हर दिन आयोजकों के सामने परीक्षा देनी होती है. बदहाली और संसाधनों के अभाव में ग्राहकों का इंतजार कर रहे कलाकारों की भी अपनी व्यथा है.

रामलीला कलाकारों की विभिन्न समस्या का करना पड़ रहा सामना.
रंगमंच कलाकारों का बदहाल रूपरामलीला के मंच पर इन कलाकारों का यह अभिनय दर्शकों को कभी हंसाता है तो कभी रुलाता है. मंच पर पात्रों को जीते हुए यह कलाकार देखने वाले की निगाह में भगवान का रूप होते हैं, लेकिन रामलीला के रंगमंच के पीछे एक और मंच होता है, जहां कलाकार बेबस और लाचार नजर आता है. रामायण का हर पात्र है मौजूदजमीन को बिस्तर और आसमां को छत बनाकर अपनी खुद की मंडी सजाने वाले इन कलाकारों को ग्राहकों का इंतजार है. यहां रामायण के भगवान राम से लेकर लंका के राजा रावण तक का अभिनय करने वाले सभी कलाकार मौजूद हैं, पतिव्रता सीता, कैकयी, राजा दशरथ का अभिनय करने वाले रामायण का हर पात्र इस मंडी में मौजूद है, लेकिन अफसोस इनको ले जाने वाले ग्राहक ही नहीं हैं.बदलते दौर में रामलीला कलाकारों की मुश्किल बदायूं से आई रामलीला टीम की प्रभारी सुंदरी बताती हैं कि रामलीला से पहले उत्तर प्रदेश के साथ कई राज्यों के कलाकार मुरादाबाद में जमा होते हैं और यहां से इनको रामलीला के आयोजनकर्ता चयन कर ले जाते हैं. मझोला क्षेत्र स्थित एक मंदिर के परिसर में लगी इस मंडी में कोई सुविधाएं नहीं है और न ही सर पर कोई छत है. यहां आने वाले कलाकार सालों से अपने हुनर को मंचों पर दिखा रहे हैं, लेकिन बदलते दौर में अब इन कलाकारों के लिए हर दिन मुश्किल होता जा रहा है.

इसे भी पढ़ें:- मुरादाबाद: सड़कों पर उतरी खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम, दूधियों में मचा हड़कंप

रामलीला कमेटियां जितने पैसों में इन्हें रामलीला मंचन के लिए ले जाती हैं, उतने में कलाकारों के खर्चे पूरे नहीं हो पाते. दिन-रात रियाज करने के बाद भी कई कलाकारों को कमेटियां नहीं ले जाती, जिसके बाद उन्हें खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ता है.
-सुंदरी, बदायूं रामलीला टीम की प्रभारी

कलाकारों की इस मंडी से मुरादाबाद और आसपास के जनपदों के लिए टीमों का चयन किया जाता है. रामलीला कमेटियां अपने सामने इन कलाकारों के अभिनय का टेस्ट लेती हैं, जिसके बाद टीम फाइनल की जाती है.
-सुरेंद्र, आयोजनकर्ता

मुरादाबाद: ऐतिहासिक चरित्रों का सजीव चित्रण करने वाले कलाकार भी अपने हुनर को बेचने के लिए मंडी सजा रहे हैं. ऐसी मंडी मुरादाबाद में हर साल सजती है, जहां देश के कई राज्यों से आए कलाकार, ग्राहकों के इंतजार में खुले आसमां के नीचे खुद की दुकान लगाए बैठे हैं. रामलीला मंचन करने वाले इन कलाकारों को हर दिन आयोजकों के सामने परीक्षा देनी होती है. बदहाली और संसाधनों के अभाव में ग्राहकों का इंतजार कर रहे कलाकारों की भी अपनी व्यथा है.

रामलीला कलाकारों की विभिन्न समस्या का करना पड़ रहा सामना.
रंगमंच कलाकारों का बदहाल रूपरामलीला के मंच पर इन कलाकारों का यह अभिनय दर्शकों को कभी हंसाता है तो कभी रुलाता है. मंच पर पात्रों को जीते हुए यह कलाकार देखने वाले की निगाह में भगवान का रूप होते हैं, लेकिन रामलीला के रंगमंच के पीछे एक और मंच होता है, जहां कलाकार बेबस और लाचार नजर आता है. रामायण का हर पात्र है मौजूदजमीन को बिस्तर और आसमां को छत बनाकर अपनी खुद की मंडी सजाने वाले इन कलाकारों को ग्राहकों का इंतजार है. यहां रामायण के भगवान राम से लेकर लंका के राजा रावण तक का अभिनय करने वाले सभी कलाकार मौजूद हैं, पतिव्रता सीता, कैकयी, राजा दशरथ का अभिनय करने वाले रामायण का हर पात्र इस मंडी में मौजूद है, लेकिन अफसोस इनको ले जाने वाले ग्राहक ही नहीं हैं.बदलते दौर में रामलीला कलाकारों की मुश्किल बदायूं से आई रामलीला टीम की प्रभारी सुंदरी बताती हैं कि रामलीला से पहले उत्तर प्रदेश के साथ कई राज्यों के कलाकार मुरादाबाद में जमा होते हैं और यहां से इनको रामलीला के आयोजनकर्ता चयन कर ले जाते हैं. मझोला क्षेत्र स्थित एक मंदिर के परिसर में लगी इस मंडी में कोई सुविधाएं नहीं है और न ही सर पर कोई छत है. यहां आने वाले कलाकार सालों से अपने हुनर को मंचों पर दिखा रहे हैं, लेकिन बदलते दौर में अब इन कलाकारों के लिए हर दिन मुश्किल होता जा रहा है.

इसे भी पढ़ें:- मुरादाबाद: सड़कों पर उतरी खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम, दूधियों में मचा हड़कंप

रामलीला कमेटियां जितने पैसों में इन्हें रामलीला मंचन के लिए ले जाती हैं, उतने में कलाकारों के खर्चे पूरे नहीं हो पाते. दिन-रात रियाज करने के बाद भी कई कलाकारों को कमेटियां नहीं ले जाती, जिसके बाद उन्हें खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ता है.
-सुंदरी, बदायूं रामलीला टीम की प्रभारी

कलाकारों की इस मंडी से मुरादाबाद और आसपास के जनपदों के लिए टीमों का चयन किया जाता है. रामलीला कमेटियां अपने सामने इन कलाकारों के अभिनय का टेस्ट लेती हैं, जिसके बाद टीम फाइनल की जाती है.
-सुरेंद्र, आयोजनकर्ता

Intro:एंकर: मुरादाबाद: सामान खरीदने के लिए आपने मंडी का नाम तो कई बार सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी कलाकारों की मंडी देखी है. जी हां हजारों लोगों के सामने मंच पर अपने अभिनय से ऐतिहासिक चरित्रों का सजीव चित्रण करने वाले कलाकार भी अपने हुनर को बेचने के लिए मंडी सजाते है. ऐसी ही मंडी हर साल सजती है मुरादाबाद में, जहां देश के कई राज्यो से आये कलाकार ग्राहकों के इंतजार में खुले आसमां के नीचे खुद की दुकान लगाए बैठे रहते है. रामलीला मंचन करने वाले इन कलाकारों को हर दिन आयोजकों के सामने परीक्षा देनी होती है. बदहाली और संसाधनो के अभाव में ग्राहकों का इंतजार कर रहें इन कलाकारों की भी अपनी व्यथा है पेश है एक रिपोर्ट-


Body:वीओ वन: रामलीला के मंच पर इन कलाकारों का यह अभिनय दर्शकों को कभी हंसाता है तो कभी रुला जाता है. मंच पर पात्रों को जीते हुए यह कलाकार देखने वाले की निगाह में भगवान का रूप होते है लेकिन रामलीला के रंगीन मंच के पीछे एक और मंच होता है जहां कलाकार सिर्फ एक इंसान नजर आता है. जमीन को बिस्तर और आसमां को छत बनाकर अपनी खुद की मंडी सजाने वाले इन कलाकारों को ग्राहकों का इंतजार है. यहां रामायण के भगवान राम से लेकर लंका के राजा रावण तक का अभिनय करने वाले कलाकार है. पतिव्रता सीता, कैकयी, राजा दशरथ, रामायण का हर पात्र इस मंडी में मौजूद है लेकिन अफसोस ग्राहकों की कमी का रोना यहां भी नजर आता है.
बाईट: राधेश्याम- मथुरा से आये कलाकार
वीओ टू: रामलीला से पहले उत्तर प्रदेश के साथ कई राज्यों के कलाकार मुरादाबाद में जमा होते है और यहां से इनको रामलीला के आयोजनकर्ता चयन कर ले जाते है. मझोला क्षेत्र स्थित एक मंदिर के परिसर में लगी इस मंडी में कोई सुविधाएं नहीं है और न ही सर पर कोई छत है. यहां आने वाले कलाकार सालों से अपने हुनर को मंचों पर दिखा रहें है लेकिन बदलते दौर में अब इन कलाकारों के लिए हर दिन मुश्किल होता जा रहा है. रामलीला कमेटियां जितने पैसों में इन्हें रामलीला मंचन के लिए ले जाती है उतने में कलाकारों के खर्चे पूरे नहीं हो पाते. दिन-रात रियाज करने के बाद भी कई कलाकारों को कमेटियां नहीं ले जाती जिसके बाद उन्हें खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ता है. बदायूं से अपनी टीम के साथ मंडी में आई इस महिला का दर्द आप भी सुनिए.
बाईट: सुंदरी- बदायूं टीम प्रभारी
वीओ तीन: कलाकारों की इस मंडी से मुरादाबाद और आस-पास के जनपदों के लिए टीमों का चयन किया जाता है. रामलीला कमेटियां अपने सामने इन कलाकारों के अभिनय का टेस्ट लेती है जिसके बाद टीम फाइनल की जाती है. टीम चुनना भले ही कमेटियों का काम हो लेकिन अपने पात्र में रंग जाने में ये कलाकार बिल्कुल भी समय नहीं लेते.
बाईट: सुरेंद्र: आयोजनकर्ता


Conclusion:वीओ तीन: रामलीला के मंच पर भले ही इन कलाकारों को भगवान की तरह पूजा जाता हो लेकिन रामलीला के बाद इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं. रंगमंच की दुनिया के ये सितारे भी जानते है जीवन में हर रंग घुला होता है. ऐसे में मंडी में अपनी बारी का इंतजार कर रहें कलाकार भी कहते है मंच मिल गया तो भगवान ही सही और न मिला तो इंसान तो है ही. वैसे भी कहते है ना कर्म करो फल की चिंता नहीं.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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