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मुरादाबाद: भूख ने पहुंचाया था शहर, लॉकडाउन में लौट रहे गांव

कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों को पेट की खातिर वापस गांव जाने को मजबूर कर दिया है. मुरादाबाद में भी सैकड़ों प्रवासी मजदूर अपने गांव जाने को मजबूर हैं.

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प्रवासी मजदूर
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Published : May 18, 2020, 11:58 AM IST

मुरादाबाद: कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर जैसे-तैसे अपने गांव लौट रहे हैं. कोई पैदल, तो कोई साइकिल से, कोई डीसीएम में सवार होकर भूखे प्यासे अपने गांव लौटने को मजबूर है. लॉकडाउन ने मजदूरों की कमर तोड़ दी, लेकिन इन मजदूरों के हौसले को सलाम, जो बेरोजगार होने के बाद भी भूखे-प्यासे पैदल ही घरों को निकल पड़े हैं.

मुरादाबाद के नेशनल हाईवे 24 के पाकबड़ा पर एक डीसीएम में 30 से 35 मजदूर मिले, जिसमें महिला और छोटे बच्चे भी थे. सभी अपने गांव वापस जा रहे थे. एक जगह कुछ लोग खाना और पानी दे रहे थे तो, कुछ देर के लिए सभी रुके. डीसीएम में बैठे मजदूरों ने बताया कि वह पंजाब से बिहार जा रहे हैं. मेरठ तक पैदल ही आये थे. वहां से यह डीसीएम मिली जो, इनको बरेली छोड़ देगी. उसके बाद आगे का रास्ता पैदल चलकर या साधन मिलने पर पूरा करेंगे.

साइकिल से बिहार के गोपालगंज जाते हुए सात मजदूर दिखे. इनकी भी समस्या लॉकडाउन में काम बंद होने के कारण बेरोजगार होना थी. सभी को खाने-पीने की बहुत समस्या हो रही थी. घर वापस जाने के लिए कई बार ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन कोई सुविधा नहीं मिली. इसके बाद सब सामान छोड़कर सभी साइकिल से घर जाने के लिए निकल पड़े.

रामपुर रोड पर थोड़ा आगे चलने के बाद सड़क पर एक ट्रैक्टर खड़ा दिखाई दिया. ट्रैक्टर में सवार कुछ लोग धूप से बचने के लिए तिरपाल बांध रहे थे. धर्मेंद्र ने बताया कि यह ट्रैक्टर उनका अपना है. सभी कंस्ट्रक्शन कम्पनी में काम करते थे, इस समय कोई काम नहीं है इसलिए सभी गांव वापस जा रहे हैं.

मुरादाबाद: कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर जैसे-तैसे अपने गांव लौट रहे हैं. कोई पैदल, तो कोई साइकिल से, कोई डीसीएम में सवार होकर भूखे प्यासे अपने गांव लौटने को मजबूर है. लॉकडाउन ने मजदूरों की कमर तोड़ दी, लेकिन इन मजदूरों के हौसले को सलाम, जो बेरोजगार होने के बाद भी भूखे-प्यासे पैदल ही घरों को निकल पड़े हैं.

मुरादाबाद के नेशनल हाईवे 24 के पाकबड़ा पर एक डीसीएम में 30 से 35 मजदूर मिले, जिसमें महिला और छोटे बच्चे भी थे. सभी अपने गांव वापस जा रहे थे. एक जगह कुछ लोग खाना और पानी दे रहे थे तो, कुछ देर के लिए सभी रुके. डीसीएम में बैठे मजदूरों ने बताया कि वह पंजाब से बिहार जा रहे हैं. मेरठ तक पैदल ही आये थे. वहां से यह डीसीएम मिली जो, इनको बरेली छोड़ देगी. उसके बाद आगे का रास्ता पैदल चलकर या साधन मिलने पर पूरा करेंगे.

साइकिल से बिहार के गोपालगंज जाते हुए सात मजदूर दिखे. इनकी भी समस्या लॉकडाउन में काम बंद होने के कारण बेरोजगार होना थी. सभी को खाने-पीने की बहुत समस्या हो रही थी. घर वापस जाने के लिए कई बार ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन कोई सुविधा नहीं मिली. इसके बाद सब सामान छोड़कर सभी साइकिल से घर जाने के लिए निकल पड़े.

रामपुर रोड पर थोड़ा आगे चलने के बाद सड़क पर एक ट्रैक्टर खड़ा दिखाई दिया. ट्रैक्टर में सवार कुछ लोग धूप से बचने के लिए तिरपाल बांध रहे थे. धर्मेंद्र ने बताया कि यह ट्रैक्टर उनका अपना है. सभी कंस्ट्रक्शन कम्पनी में काम करते थे, इस समय कोई काम नहीं है इसलिए सभी गांव वापस जा रहे हैं.

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