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मुरादाबाद के कुम्हारों की खुल गई है किस्मत, जानें पीएम मोदी ने ऐसा क्या किया - प्लास्टिक मुक्त आंदोलन

पीएम मोदी के प्लास्टिक मुक्त घोषणा के बाद से मुरादाबाद जिले के कुम्हारों के अच्छे दिन आ गए हैं. कुम्हारों को अब अपने पुश्तैनी कारोबार की तरफ लौटना पड़ रहा है. जिसकी वजह से उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है.

मुरादाबाद में कुम्हारों की आमदनी में मुनाफा.
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Published : Aug 31, 2019, 2:37 AM IST

मुरादाबाद: प्लास्टिक मुक्त आंदोलन के शुरू होने से पहले ही मुरादाबाद के कुम्हारों की लॉटरी लगना शुरु हो गई है. अभी दो अक्टूबर भी नहीं आया है फिरभी कुम्हारों को कुल्लड़ बनाने के ऑर्डर मिलने शुरु हो गए हैं. मुरादाबाद के कुम्हार पीएम मोदी के शुक्रगुजार हैं, जिनकी वजह से कुम्हारों को अब अपने पुश्तैनी कारोबार की तरफ रुख मोड़ना पड़ रहा है. खाने के होटल, चाय की दुकान और लस्सी की दुकान पर कुल्लड़ रोजाना सप्लाई हो रहे हैं.

कुम्हारों की खुली किस्मत.

जिले की राजो कुम्हार कहती हैं कि पहले काम की स्तिथि बहुत अच्छी थी. चाइना के प्लास्टिक के गिलास आने से काम बहुत खराब हो गया. अगर प्लास्टिक पर प्रतिबंध पूरी तरह लग जाए तो उनका कारोबार दिन-दुगनी और रात-चौगुनी तरक्की करेगा.

जूस बेचने वाले दुकानदारों ने भी प्लास्टिक के गिलास और कटोरी को अलविदा कह दिया है. वहीं ग्राहकों को भी मिट्टी के कुल्हड़ में लस्सी और चाय का स्वाद चखना पड़ रहा है.

दुकानदार सोनू का कहना है कि यह 75 साल पुरानी दुकान है. हम हमेशा मिट्टी के कुल्हड़ में ही लस्सी बेचते हैं. ग्राहक भी मिट्टी के कुल्हड़ में लस्सी पीना पसंद करते हैं. इसमें लस्सी का स्वाद बिल्कुल अलग हो जाता है.

कुम्हारों का कहना है कि इस दुनिया में हमारी बिक्री सिर्फ दीवाली तक ही रह गई थी, लेकिन प्लास्टिक के खिलाफ शुरू होने वाले आंदोलन से हमारे अच्छे दिन आ गए हैं.

कुल्हड़ बनाने वाली दूसरी महिला राममूर्ति का कहना है कि प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना सरकार की बहुत अच्छी पहल है. प्लास्टिक के गिलास और अन्य समान बंद होने से हमारा कारोबार एक बार फिर चल उठेगा. हमारी आमदनी भी ठीक हो जाएगी और परिवार का पालन पोषण भी सही होगा. मैं तो कहती हूं कि एक बार एक ग्लास दूध प्लास्टिक के गिलास में पीकर देखो और एक गिलास मिट्टी के गिलास में फर्क खुद ही पता चल जाएगा.

मुरादाबाद: प्लास्टिक मुक्त आंदोलन के शुरू होने से पहले ही मुरादाबाद के कुम्हारों की लॉटरी लगना शुरु हो गई है. अभी दो अक्टूबर भी नहीं आया है फिरभी कुम्हारों को कुल्लड़ बनाने के ऑर्डर मिलने शुरु हो गए हैं. मुरादाबाद के कुम्हार पीएम मोदी के शुक्रगुजार हैं, जिनकी वजह से कुम्हारों को अब अपने पुश्तैनी कारोबार की तरफ रुख मोड़ना पड़ रहा है. खाने के होटल, चाय की दुकान और लस्सी की दुकान पर कुल्लड़ रोजाना सप्लाई हो रहे हैं.

कुम्हारों की खुली किस्मत.

जिले की राजो कुम्हार कहती हैं कि पहले काम की स्तिथि बहुत अच्छी थी. चाइना के प्लास्टिक के गिलास आने से काम बहुत खराब हो गया. अगर प्लास्टिक पर प्रतिबंध पूरी तरह लग जाए तो उनका कारोबार दिन-दुगनी और रात-चौगुनी तरक्की करेगा.

जूस बेचने वाले दुकानदारों ने भी प्लास्टिक के गिलास और कटोरी को अलविदा कह दिया है. वहीं ग्राहकों को भी मिट्टी के कुल्हड़ में लस्सी और चाय का स्वाद चखना पड़ रहा है.

दुकानदार सोनू का कहना है कि यह 75 साल पुरानी दुकान है. हम हमेशा मिट्टी के कुल्हड़ में ही लस्सी बेचते हैं. ग्राहक भी मिट्टी के कुल्हड़ में लस्सी पीना पसंद करते हैं. इसमें लस्सी का स्वाद बिल्कुल अलग हो जाता है.

कुम्हारों का कहना है कि इस दुनिया में हमारी बिक्री सिर्फ दीवाली तक ही रह गई थी, लेकिन प्लास्टिक के खिलाफ शुरू होने वाले आंदोलन से हमारे अच्छे दिन आ गए हैं.

कुल्हड़ बनाने वाली दूसरी महिला राममूर्ति का कहना है कि प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना सरकार की बहुत अच्छी पहल है. प्लास्टिक के गिलास और अन्य समान बंद होने से हमारा कारोबार एक बार फिर चल उठेगा. हमारी आमदनी भी ठीक हो जाएगी और परिवार का पालन पोषण भी सही होगा. मैं तो कहती हूं कि एक बार एक ग्लास दूध प्लास्टिक के गिलास में पीकर देखो और एक गिलास मिट्टी के गिलास में फर्क खुद ही पता चल जाएगा.

Intro:एंकर:- दो अक्टूबर से पूरे देश प्लास्टिक से मुक्ति के खिलाफ चलने बाले जन आन्दोलन के शुरू होने से पहले ही मुरादाबाद में कुम्हारों के अच्छे दिन आने शुरू हो गए. कुम्हारों को अभी से कुल्लड़ बनाने के बड़े ऑर्डर मिलने लगे है. कुम्हार भी मिले ऑर्डरों को तैयार करने में दिन रात जुट गये है. कुम्हार कहते है कि हमारी पूछ सिर्फ दीवाली तक ही सीमित रह गयी थी. लेकिन सरकार के द्वारा प्लास्टिक से मुक्ति के खिलाफ शुरू होने वाले आंदोलन से उनके अच्छे दिन आ गये है. एक दिन में दो दो हज़ार मिट्टी के कुल्हड़ बना कर सप्लाई कर रहे है.


Body:वीओ:- मुरादाबाद में अपना पुश्तेनी कारोबार छोड़कर दूसरे काम करने वाले कुम्हारों के चेहरे पर एक बार फिर से खुशी दिखाई देने लगी और अपने पुश्तेनी काम पर भी वापस आने लगे है. आज के समय मे कुम्हारों को कुल्हड़ बनाने के लिए अच्छे ऑर्डर मिल रहे है. खाने के होटलों पर चाय की दुकानों पर लस्सी की दुकान से रोज सप्लाई हो रही है. जूस बेचने वाले दुकानदारों ने भी अपनी दुकानों से प्लास्टिक के गिलास कटोरी को अलविदा कह दिया है. वही ग्राहकों को भी मिट्टी के कुल्हड़ में लस्सी चाय का स्वाद दुगना लग रहा है.

वीओ:- राजो कहती है कि पहले काम की स्तिथि बहुत अच्छी थी. जब से चाइना के प्लास्टि के गिलास आये है तब से काम बहुत खराब हो गया. अगर प्लास्टिक पर प्रतिबंध पूरी तरहा लग जाये तो उनका कारोबार दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करेगा.
कुल्हड़ बनाने वाली दूसरी महिला राममूर्ति का कहना है कि सरकार की बहुत अच्छी पहल है कि प्लास्टिक पूरी तरह से बंद हो जाएगी. प्लस्टिक के गिलास व अन्य समान बंद होने से हमारा कारोबार एक बार फिर चल उठेगा. हमारी आमदनी भी ठीक हो जाएगी तो परिवार का पालन पोषण भी सही होगा. में तो कहती हूं कि एक बार एक ग्लास दूध प्लस्टिक के गिलास में पीकर देखो और एक गिलास मिट्टी के गिलास में मिट्टी वाले कुल्हड़ के दूध का स्वाद बढ़ जाएगा.Conclusion:वीओ:- दुकानदार सोनू का कहना है कि 75 साल पुरानी दुकान है हम हमेशा मुट्ठी के कुल्हड़ में ही लस्सी बेचते है. ग्रहक भी मिट्टी के कुल्हड़ में लस्सी पीना पसंद करते है. इसमें लस्सी का स्वाद बिल्कुल अलग हो जाता है.

बाईट :- सोनू - दुकानदार
बाईट :- राजो - परिजन - कुम्हार
बाईट :- राममूर्ति - महिला -कुम्हार

सुशील कुमार सिंह
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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