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लॉकडाउन के समय की फीस लेने पर अड़े निजी स्कूल, अभिभावकों ने किया प्रदर्शन - अभिभावकों ने किया प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में निजी स्कूल लॉकडाउन के समय की भी फीस मांग रहे हैं, जिससे अभिभावक काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि जब बंद स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई नहीं हुई तो किस बात की हम फीस दें. वहीं निजी स्कूलों का कहना है कि अगर फीस जमा नहीं की गई तो बच्चों को एग्जाम में बैठने नहीं दिया जाएगा.

protest over fees in moradabad
मुरादाबाद में अभिभावकों ने किया प्रदर्शन.
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Published : Jan 21, 2021, 6:06 PM IST

मुरादाबाद : कोरोना संक्रमण के कारण केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था. लॉकडाउन के दौरान सब कुछ बंद होने से लोगों की आमदनी पर भी असर पड़ा था. इस दौरान लोगों ने स्कूल बंद होने की वजह से फीस भी जमा नहीं की थी, लेकिन छात्रों की पढ़ाई न रुके, इस कारण बाद में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई थी. अब जब अनलॉक में सब कुछ धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है तो मुरादाबाद के निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल एसोसिएशन ने एक बैठक कर निर्णय लिया है कि अब जो बच्चे वापस स्कूल आ रहे हैं, उन्हें लॉकडाउन के समय की फीस जमा करनी पड़ेगी. तभी उनका एडमिशन लिया जाएगा और उनका प्रमोशन होगा. अगर वह फीस जमा नहीं करते हैं तो उनका प्रमोशन हरगिज नहीं होगा.

अभिभावक कर रहे प्रदर्शन.

अभिभावक परेशान
निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल के निर्णय के बाद अब उन अभिभावकों के सामने समस्या खड़ी हो सकती है, जो लॉकडाउन के दौरान बंद स्कूलों के समय की फीस न जमा होने की बात सोच रहे थे. मुरादाबाद के लगभग सभी निजी इंग्लिश मीडियम स्कूलों ने अपने गेट पर 'नो फीस, नो एग्जाम, नो प्रमोशन' का बैनर लगा दिया है. इसकी जानकारी जब अभिभावकों को हुई तो उन्होंने स्कूल प्रशासन से मुलाकात करनी चाही, लेकिन अवकाश होने की वजह से स्कूल में कोई नहीं मिल सका.

क्या है अभिभावकों की मांग
अभिभावकों की मांग है कि स्कूल प्रशासन उनको फीस में छूट दे और थोड़ा-थोड़ा करके फीस जमा कराई जाए. वहीं निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल एसोसिएशन का साफ कहना है कि अगर स्कूल की पूरी फीस जमा नहीं की गई तो एग्जाम में बैठने नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही बच्चों का आगे प्रमोशन भी नहीं हो पाएगा. इसलिए सभी को फीस जमा करनी होगी. अभिभावकों का तर्क है कि जब पढ़ाई ही नहीं हुई तो कैसी फीस और अगर फीस लेनी भी है तो थोड़ा-थोड़ा करके लिया जाए. न कि बच्चों और हमारे ऊपर इस तरह का दबाव बनाकर. हम एक साथ फीस देने में सक्षम नहीं हैं.

protest over fees in moradabad
गेट पर लगा पोस्टर.
पहले भी हो चुका है प्रदर्शन
मुरादाबाद जिले के तमाम अभिभावक इस विरोध प्रदर्शन से पहले मशाल जुलूस निकाल चुके हैं. इसके साथ ही अभिभावक थाली-ताली बजाकर भी स्कूलों से फीस में छूट देने की मांग कर चुके हैं, वहीं निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल अपनी बात पर अड़े हुए हैं कि अगर उन्हें फीस नहीं दी जाती तो वह बच्चों को आगे प्रमोट नहीं करेंगे. अभिभावकों का कहना है कि इस मामले में कई बार आला अधिकारियों से मुलाकात करके उन्हें अवगत कराया जा चुका है, लेकिन किसी भी अधिकारी ने अभिभावकों की समस्या को गंभीरता से लेकर समाधान नहीं किया. अब वो इस मामले में न्यायालय से मदद की अपील करेंगे.
'फीस नहीं तो प्रभावित होगी बच्चों की पढ़ाई'
जिले के निजी इंग्लिश स्कूल एसोसिएशन ने बैठक कर यह निर्णय लिया है कि लॉकडाउन के दौरान जिन बच्चों की फीस स्कूल में जमा नहीं हुई थी, अब वह अगर स्कूल वापस आएंगे तो उनको पहले परीक्षा देनी होगी और परीक्षा देने के लिए उन्हें अपनी फीस जमा करनी होगी. अगर उन बच्चों के अभिभावक फीस नहीं देते तो उनका प्रमोशन हरगिज नहीं होगा. स्कूल एसोसिएशन का साफ कहना है कि अगर हमें फीस नहीं मिलेगी तो बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी. स्कूल चलाने में बहुत खर्च आता है. पिछले शैक्षणिक सत्र में कोई फीस जमा नहीं हुई. लगभग 50 प्रतिशत बच्चों की फीस न आने से काफी असर पड़ा है. अगर अभी ये अभिभावक फीस नहीं देते हैं तो स्कूल प्रशासन को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

मुरादाबाद : कोरोना संक्रमण के कारण केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था. लॉकडाउन के दौरान सब कुछ बंद होने से लोगों की आमदनी पर भी असर पड़ा था. इस दौरान लोगों ने स्कूल बंद होने की वजह से फीस भी जमा नहीं की थी, लेकिन छात्रों की पढ़ाई न रुके, इस कारण बाद में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई थी. अब जब अनलॉक में सब कुछ धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है तो मुरादाबाद के निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल एसोसिएशन ने एक बैठक कर निर्णय लिया है कि अब जो बच्चे वापस स्कूल आ रहे हैं, उन्हें लॉकडाउन के समय की फीस जमा करनी पड़ेगी. तभी उनका एडमिशन लिया जाएगा और उनका प्रमोशन होगा. अगर वह फीस जमा नहीं करते हैं तो उनका प्रमोशन हरगिज नहीं होगा.

अभिभावक कर रहे प्रदर्शन.

अभिभावक परेशान
निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल के निर्णय के बाद अब उन अभिभावकों के सामने समस्या खड़ी हो सकती है, जो लॉकडाउन के दौरान बंद स्कूलों के समय की फीस न जमा होने की बात सोच रहे थे. मुरादाबाद के लगभग सभी निजी इंग्लिश मीडियम स्कूलों ने अपने गेट पर 'नो फीस, नो एग्जाम, नो प्रमोशन' का बैनर लगा दिया है. इसकी जानकारी जब अभिभावकों को हुई तो उन्होंने स्कूल प्रशासन से मुलाकात करनी चाही, लेकिन अवकाश होने की वजह से स्कूल में कोई नहीं मिल सका.

क्या है अभिभावकों की मांग
अभिभावकों की मांग है कि स्कूल प्रशासन उनको फीस में छूट दे और थोड़ा-थोड़ा करके फीस जमा कराई जाए. वहीं निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल एसोसिएशन का साफ कहना है कि अगर स्कूल की पूरी फीस जमा नहीं की गई तो एग्जाम में बैठने नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही बच्चों का आगे प्रमोशन भी नहीं हो पाएगा. इसलिए सभी को फीस जमा करनी होगी. अभिभावकों का तर्क है कि जब पढ़ाई ही नहीं हुई तो कैसी फीस और अगर फीस लेनी भी है तो थोड़ा-थोड़ा करके लिया जाए. न कि बच्चों और हमारे ऊपर इस तरह का दबाव बनाकर. हम एक साथ फीस देने में सक्षम नहीं हैं.

protest over fees in moradabad
गेट पर लगा पोस्टर.
पहले भी हो चुका है प्रदर्शन
मुरादाबाद जिले के तमाम अभिभावक इस विरोध प्रदर्शन से पहले मशाल जुलूस निकाल चुके हैं. इसके साथ ही अभिभावक थाली-ताली बजाकर भी स्कूलों से फीस में छूट देने की मांग कर चुके हैं, वहीं निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल अपनी बात पर अड़े हुए हैं कि अगर उन्हें फीस नहीं दी जाती तो वह बच्चों को आगे प्रमोट नहीं करेंगे. अभिभावकों का कहना है कि इस मामले में कई बार आला अधिकारियों से मुलाकात करके उन्हें अवगत कराया जा चुका है, लेकिन किसी भी अधिकारी ने अभिभावकों की समस्या को गंभीरता से लेकर समाधान नहीं किया. अब वो इस मामले में न्यायालय से मदद की अपील करेंगे.
'फीस नहीं तो प्रभावित होगी बच्चों की पढ़ाई'
जिले के निजी इंग्लिश स्कूल एसोसिएशन ने बैठक कर यह निर्णय लिया है कि लॉकडाउन के दौरान जिन बच्चों की फीस स्कूल में जमा नहीं हुई थी, अब वह अगर स्कूल वापस आएंगे तो उनको पहले परीक्षा देनी होगी और परीक्षा देने के लिए उन्हें अपनी फीस जमा करनी होगी. अगर उन बच्चों के अभिभावक फीस नहीं देते तो उनका प्रमोशन हरगिज नहीं होगा. स्कूल एसोसिएशन का साफ कहना है कि अगर हमें फीस नहीं मिलेगी तो बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी. स्कूल चलाने में बहुत खर्च आता है. पिछले शैक्षणिक सत्र में कोई फीस जमा नहीं हुई. लगभग 50 प्रतिशत बच्चों की फीस न आने से काफी असर पड़ा है. अगर अभी ये अभिभावक फीस नहीं देते हैं तो स्कूल प्रशासन को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
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