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मुरादाबाद की मुनीजा की पहल ने बदली सैंकड़ों महिलाओं की जिन्दगी - self depend women in moradabad

मुरादाबाद जिले के हरथला की रहने वाली मुनीजा ने महिलाओं के लिए मिसाल पेश की है. घर का खर्च चलाने के लिए मुनीजा ने गांव से शहर आकर बांस और मूंज से बनने वाली चीजों का प्रशिक्षण प्राप्त किया. अब मुनीजा सैकड़ों महिलाओं को अपने से जोड़कर आत्मनिर्भर बना रही हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Dec 21, 2020, 7:34 PM IST

मुरादाबाद: जिले के हरथला की रहने वाली मुनीजा ने अपनी हिम्मत और सोच की बदौलत न केवल खुद के लिए एक मुकाम हासिल किया बल्कि सैंकड़ों महिलाओं की जिंदगी भी बदल रही हैं. 50 साल की मुनीजा का सफर आसान नहीं था. मुनीजा की शादी कम उम्र में हो गई थी. पति पेंटर का काम करते थे, जिससे घर का खर्च चलना मुश्किल हो रहा था. ग्रामीण परिवेश में यह संभव न था. लिहाजा मुनीजा गांव से निकलकर शहर में आई. यहां पर उसने राष्ट्रीय रोजगार मिशन के जरिए बांस और मूंज से बनने वाली चीजों का प्रशिक्षण प्राप्त किया.

स्पेशल रिपोर्ट.
मांग बढ़ी तो जुड़ी और महिलाएं
सरकारी सहायता और अपनी मेहनत के जरिए मुनीजा का काम एक मुकाम पर आया. धीरे-धीरे कई महिलाएं इनके साथ जुड़ती चली गईं और आज मुनीजा ने तकरीबन 300 महिलाओं को अपने समूह से जोड़ रखा है, जो डलिया, टोकरी, सजावटी सामान, ऊन के स्वेटर, मास्क और अन्य सिलाई-कढ़ाई के सामान बनाती हैं. साथ ही अपने परिवार को भी संभालती हैं.
सामान बेचने में हुई परेशानी
मुनीजा बताती हैं कि जब हमने अपने प्रोडक्ट को बाजार में बेचना चाहा तो तमाम तरह की समस्याएं आईं. मैंने ऑफिसों के चक्कर लगाने शुरू किए. धीरे-धीरे काम बना. लॉकडाउन हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की सोच को आगे बढ़ाया. आज हम सब महिलाएं आत्मनिर्भर हैं. आज हमारे पास न केवल आर्थिक आजादी है, बल्कि हम अपने जैसे औरों को भी हुनरमंद बना रहे हैं.

आत्मनिर्भर हुईं महिलाएं
वह बताती हैं कि आज हमारा सामान वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट में भी सेलेक्टेड है. मुझसे जो महिलाएं जुड़ी हुई हैं. उन्हें मैं न केवल काम दिलवाती हूं, बल्कि उनके समूह को पैसा भी दिलवाती हूं. मुनीजा का कहना है कि समूह में काम करने का फायदा मिल रहा है. आज उनके पास बाजार है और मांग भी. इसके कारण तमाम महिलाएं अपनी जिंदगी बदल रही हैं.

मुरादाबाद: जिले के हरथला की रहने वाली मुनीजा ने अपनी हिम्मत और सोच की बदौलत न केवल खुद के लिए एक मुकाम हासिल किया बल्कि सैंकड़ों महिलाओं की जिंदगी भी बदल रही हैं. 50 साल की मुनीजा का सफर आसान नहीं था. मुनीजा की शादी कम उम्र में हो गई थी. पति पेंटर का काम करते थे, जिससे घर का खर्च चलना मुश्किल हो रहा था. ग्रामीण परिवेश में यह संभव न था. लिहाजा मुनीजा गांव से निकलकर शहर में आई. यहां पर उसने राष्ट्रीय रोजगार मिशन के जरिए बांस और मूंज से बनने वाली चीजों का प्रशिक्षण प्राप्त किया.

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मांग बढ़ी तो जुड़ी और महिलाएं
सरकारी सहायता और अपनी मेहनत के जरिए मुनीजा का काम एक मुकाम पर आया. धीरे-धीरे कई महिलाएं इनके साथ जुड़ती चली गईं और आज मुनीजा ने तकरीबन 300 महिलाओं को अपने समूह से जोड़ रखा है, जो डलिया, टोकरी, सजावटी सामान, ऊन के स्वेटर, मास्क और अन्य सिलाई-कढ़ाई के सामान बनाती हैं. साथ ही अपने परिवार को भी संभालती हैं.
सामान बेचने में हुई परेशानी
मुनीजा बताती हैं कि जब हमने अपने प्रोडक्ट को बाजार में बेचना चाहा तो तमाम तरह की समस्याएं आईं. मैंने ऑफिसों के चक्कर लगाने शुरू किए. धीरे-धीरे काम बना. लॉकडाउन हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की सोच को आगे बढ़ाया. आज हम सब महिलाएं आत्मनिर्भर हैं. आज हमारे पास न केवल आर्थिक आजादी है, बल्कि हम अपने जैसे औरों को भी हुनरमंद बना रहे हैं.

आत्मनिर्भर हुईं महिलाएं
वह बताती हैं कि आज हमारा सामान वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट में भी सेलेक्टेड है. मुझसे जो महिलाएं जुड़ी हुई हैं. उन्हें मैं न केवल काम दिलवाती हूं, बल्कि उनके समूह को पैसा भी दिलवाती हूं. मुनीजा का कहना है कि समूह में काम करने का फायदा मिल रहा है. आज उनके पास बाजार है और मांग भी. इसके कारण तमाम महिलाएं अपनी जिंदगी बदल रही हैं.

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