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मुरादाबाद: पीतल उद्योग के बुनियादी ढांचे में बढ़ रहा लकड़ी कारोबार, 20 फीसदी सालाना वृद्धि दर - moradabad today latest news

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में पिछले कुछ सालों से पीतल के कारोबार में मंदी आई है. जिसके चलते पीतल उद्योग में हो रहे नुकसान से बचने के लिए पीतल कारोबारियों ने अब लकड़ी के कारोबार में हाथ अजमाया है. जिसमें हर साल बीस फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी जा रहीं है.

लकड़ी के कारोबार की ओर आकर्षित हो रहे पीतल कारोबारी.
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Published : Sep 17, 2019, 8:19 AM IST

मुरादाबाद: जिला मुरादाबाद पूरी दुनिया में पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में पीतल के कारोबार में मंदी आई है. धीरे-धारे पीतल बाजार गायब होता जा रहा है. जिसे देखते हुए पीतल उधोग में हो रहे नुकसान से बचने के लिए पीतल कारोबारियों ने अब लकड़ी के कारोबार में हाथ अजमाया है. जिसमें हर साल बीस फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी जा रही है.

लकड़ी के कारोबार की ओर आकर्षित हो रहे पीतल कारोबारी.


नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकता है कारोबार
शहर के ज्यादातर कारखाने जो पहले पीतल कारोबार से जुड़े थे. आज पीतल को छोड़कर लकड़ी का काम कर रहें हैं. कारोबारियों के मुताबिक मुरादाबाद का बुनियादी उधोग ढांचा आने वाले सालों में लकड़ी कारोबार को नई ऊंचाइयों पर पहुंच सकता है.


इस नए कारोबार से खुश हैं कारीगर
वहीं, जो कारीगर कल तक पीतल के उत्पादों पर नक्काशी करते थे. वो अब लकड़ियों को नया आकार दे रहें है. स्थानीय स्तर पर पीतल उत्पाद निर्यात करने वाली कई एक्सपोर्ट फर्म अब लकड़ी के उत्पादों को निर्यात कर रही है. जिससे कारीगरों को भी रोजगार मिल रहा है. स्थानीय कारीगर इस नए कारोबार से खुश हैं.

यह भी पढ़ें: गंगा के बाद अब वरुणा ने दिखाया रौद्र रूप, पलायन करने को मजबूर हुए लोग

हमें लकड़ी का काम करते हुए तीन साल हो चुके हैं. और काम में अच्छे से बढ़ता जा रहा है.
राजा, कारीगर
लकड़ी के कारोबार को लेकर दिमाक में सिर्फ जोधपुर, जयपुर, सहारनपुर आता था. लेकिन अब इसे लेकर मुरादाबाद ने अलग पहचान बनाई है.
शिवम चौधरी, निर्यातक

मुरादाबाद: जिला मुरादाबाद पूरी दुनिया में पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में पीतल के कारोबार में मंदी आई है. धीरे-धारे पीतल बाजार गायब होता जा रहा है. जिसे देखते हुए पीतल उधोग में हो रहे नुकसान से बचने के लिए पीतल कारोबारियों ने अब लकड़ी के कारोबार में हाथ अजमाया है. जिसमें हर साल बीस फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी जा रही है.

लकड़ी के कारोबार की ओर आकर्षित हो रहे पीतल कारोबारी.


नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकता है कारोबार
शहर के ज्यादातर कारखाने जो पहले पीतल कारोबार से जुड़े थे. आज पीतल को छोड़कर लकड़ी का काम कर रहें हैं. कारोबारियों के मुताबिक मुरादाबाद का बुनियादी उधोग ढांचा आने वाले सालों में लकड़ी कारोबार को नई ऊंचाइयों पर पहुंच सकता है.


इस नए कारोबार से खुश हैं कारीगर
वहीं, जो कारीगर कल तक पीतल के उत्पादों पर नक्काशी करते थे. वो अब लकड़ियों को नया आकार दे रहें है. स्थानीय स्तर पर पीतल उत्पाद निर्यात करने वाली कई एक्सपोर्ट फर्म अब लकड़ी के उत्पादों को निर्यात कर रही है. जिससे कारीगरों को भी रोजगार मिल रहा है. स्थानीय कारीगर इस नए कारोबार से खुश हैं.

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हमें लकड़ी का काम करते हुए तीन साल हो चुके हैं. और काम में अच्छे से बढ़ता जा रहा है.
राजा, कारीगर
लकड़ी के कारोबार को लेकर दिमाक में सिर्फ जोधपुर, जयपुर, सहारनपुर आता था. लेकिन अब इसे लेकर मुरादाबाद ने अलग पहचान बनाई है.
शिवम चौधरी, निर्यातक

Intro:एंकर: मुरादाबाद: मुरादाबाद को पूरी दुनिया में पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है लेकिन पिछले कुछ सालों में कारोबार में आई मंदी के चलते पीतल अब बाजार से गायब होता जा रहा है. पीतल उधोग में हो रहें नुकशान से बचने के लिए अब कारोबारी दूसरे कारोबार में हाथ आजमा रहे है. मुरादाबाद में लकड़ी के उत्पाद बनाने और उन्हें विदेशों में निर्यात करने के काम में हर साल बीस फीसदी की बढोत्तरी देखी जा रहीं है. शहर के ज्यादातर कारखाने जो पहले पीतल कारोबार से जुड़े थे आज पीतल को छोड़ लकड़ी के काम मे इस्तेमाल हो रहें है. कारोबारियों के मुताबिक मुरादाबाद का बुनियादी उधोग ढांचा आने वाले सालों में लकड़ी कारोबार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकता है.


Body:वीओ वन: मुरादाबाद के इन्हें कारखानों में कभी पीतल उत्पाद बनाये और निर्यात किये जाते थे लेकिन बदलते वक्त में जब पीतल घाटे का सौदा साबित होने लगा तो इन कारखानों ने भी अपनी पहचान बदलनी शुरू कर दी. पीतल के इन कारखानों में अब लकड़ी के बने उत्पाद तैयार किये जा रहें है और जो कारीगर कल तक पीतल के उत्पादों पर नक्काशी करते थे वो अब लकड़ियों को नया आकार दे रहें है. स्थानीय स्तर पर पीतल उत्पाद निर्यात करने वाली कई एक्सपोर्ट फर्म अब लकड़ी के उत्पादों को निर्यात कर रही है जिससे कारीगरों को भी रोजगार मिल रहा है. स्थानीय कारीगर इस नए कारोबार से खुश है और अब इस कारोबार में नया रास्ता तलाश रहें है.
बाईट: राजा: कारीगर
वीओ टू: सालों से पीतल कारोबार से जुड़े कारोबारी भी वक्त की नजाकत को देखते हुए खुद को दूसरे उत्पादों के लिए तैयार कर रहें है. विदेशों में लकड़ियों के उत्पादों को लेकर बढ़ती रुचि निर्यातकों को नई राह दिखा रहीं है. मुरादाबाद की ज्यादातर निर्यात फर्मों में लकड़ी से बने उत्पाद तैयार हो रहें है और कारोबारी भी मानते है कि लकड़ी के उत्पाद बनाने की गति सलाना बीस फीसदी की दर से बढ़ रहीं है. सहारनपुर, जयपुर जैसे शहरों के मुकाबले मुरादाबाद को जहां एक और बुनियादी सुविधाओं का फायदा लकड़ी कारोबार में नजर आता है वहीं निर्यात में पारंगत कारोबारी अपने विदेशी बायरों को इन उत्पादों के लिए हर समय तैयार करते रहते है.
बाईट: शिवम चौधरी- निर्यातक


Conclusion:वीओ तीन: पीतल के मुकाबले जहां लकड़ी के उत्पाद ज्यादा सुंदर और कम कीमत के है वहीं इनको आसानी से हर साल बदला जा सकता है. कारोबार के मौजूदा दौर की समझ रखने वाले कारोबारी आने वाले समय को जहां लकड़ी कारोबार के लिए बेहतर बताते है वहीं सालों से चले आ रहें पीतल उधोग को अलविदा कहने की भी तैयारी कर चूके है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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