मुरादाबाद: जैविक खेती के दौर में एक बार फिर किसानों की फसल को हानिकारक कीटों से बचाने के लिए मित्र कीटों की मदद ली जा रही है. जनपद मुरादाबाद के कृषि विभाग की प्रयोगशाला में मित्र कीट ट्राइकोग्रामा को तैयार कर किसानों तक पहुंचाया जा रहा है.
मुरादाबाद के कृषि प्रयोगशाला में बायोपेस्टिसाइड के तहत मित्र कीट का निर्माण जैविक खेती को बढ़ावा देने में किया जा रहा है. मंडल के 5 जनपदों के अलावा बुलंदशहर और हापुड़ के किसानों की जरूरत के तहत प्रयोगशाला में बायोपेस्टिसाइड तैयार किया जाता है. खेती में इस्तेमाल होने के लिए ट्राइकोग्रामा और ट्राइकोडरमा बायो पेस्टीसाइड तैयार किए जा रहे हैं. ट्राइकोग्रामा एक मित्र कीट है. जिसको प्रयोगशाला में सहायक वातावरण देकर इसके अंडों को तैयार किया जाता है. ट्राइकोग्रामा दुश्मन कीटों के अंडों से भ्रूण खाकर इन अंडों के अंदर अपने अंडे देकर अपनी संख्या कई गुना बढ़ा लेता है. अब आईए जानते हैं कृषि लैब में कैसे तैयार होते हैं मित्र कीट-
किसान हो रहे जागरूक
कृषि विभाग में उप निदेशक सीएल यादव का कहना है कि मित्र कीटों को लेकर किसान जागरूक हो रहें है. जनपद मुरादाबाद के किसान जैविक खेती के लिए इन कीटों का इस्तेमाल कर रहे हैं. रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले इनके फायदे ज्यादा हैं, लिहाजा आने वाले समय में इन कीटों की मांग बढ़नी तय है. मित्र कीटों की कई प्रजातियां दुनिया में मौजूद हैं. लेकिन स्थानीय वातावरण के हिसाब से ट्राइकोग्रामा यहां सबसे ज्यादा प्रभावी है.
75 फीसदी सब्सिडी के साथ कराया जा रहा उपलब्ध
उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग की 9 प्रयोगशालाओं में इस तरह के मित्र कीटों और बायोपेस्टिसाइड किसानों को 75 फीसदी सब्सिडी के साथ उपलब्ध कराया जा रहा है. गन्ना बेल्ट होने के चलते गन्ने की फसल को बर्बाद करने वाले कीटों पर ट्राइकोग्रामा काफी प्रभावी है. रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से जमीन को हो रहे नुकसान के बाद किसान धीरे-धीरे जागरूक होकर मित्र कीटों को अपना रहे हैं. जो आने वाले समय में पर्यावरण को भी शुद्ध रखने में मदद करेगा.