मुरादाबाद: जिले में सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा करती हो लेकिन जमीनी हकीकत इसके एकदम उलट नजर आती है. मुरादाबाद मंडल के सबसे बड़े अस्पताल में सुविधाओं और संसाधनों का अभाव है, जिसके चलते मरीजों को परेशानियां उठानी पड़ रहीं है. मरीजों की बढ़ती तादाद के बीच अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में एक बेड पर दो मरीजों को लिटाया गया है.
बदहाल हालत में जिला अस्पताल
- मुरादाबाद मंडल के पांच जनपदों में सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का दर्जा मुरादाबाद जिला अस्पताल को मिला है.
- अस्पताल में पिछले एक सप्ताह में ओपीडी और भर्ती होने वाले मरीज लगातार बढ़ रहे हैं.
- वहीं अस्पताल में आधे डॉक्टरों के पद रिक्त हैं.
- बरसात के बाद वायरल बुखार और त्वचा रोग के चलते मरीजों की संख्या हर रोज ढाई हजार के पार पहुंच रही है.
- लेकिन यहां संसाधनों का अभाव मरीजों के इलाज की आस तोड़ जाता है.
- अस्पताल में इलाज के लिए पर्याप्त डॉक्टर ही मौजूद नहीं हैं.
- 187 बिस्तर वाले जिला अस्पताल में एक बेड पर दो- दो मरीजों को लिटाकर इलाज किया जा रहा है.
- अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में से ज्यादातर को इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया जाता है.
- डॉक्टरों की तैनाती न होने से कई मरीज खुद ही वापस लौट जाते हैं.
- संसाधनों के अभाव की जानकारी जिला अस्पताल प्रशासन द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों को दी जा चुकी है.
- लेकिन सरकारी महकमों के जिम्मेदार अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता.
- अस्पतालों में बीमारों का इलाज शुरू करना चाहिए, जिससे मरीजों को राहत मिल सके.
डॉक्टरों के आधे पद रिक्त हैं जिसके लिए कई बार शासन को अवगत कराया गया है. लेकिन डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं कि गई. मरीजों की संख्या के हिसाब से जिला अस्पताल में बेड की संख्या काफी कम है, लिहाजा वार्डों में एक्स्ट्रा बेड लगाए गए लेकिन अब वह भी कम पड़ रहे हैं. ऐसे में एक बेड पर दो मरीजों का इलाज करना उनकी मजबूरी है.
डॉ. ज्योत्सना पंत, सीएमएसबरसात के बाद वायरल बुखार और त्वचा रोग के चलते मरीजों की संख्या हर रोज ढाई हजार के पार पहुंच रही है. लेकिन अस्पताल में इलाज के लिए पर्याप्त डॉक्टर ही मौजूद नहीं है. 187 बिस्तर वाले जिला अस्पताल में एक बेड पर दो- दो मरीजों को लिटाकर इलाज कराया जा रहा है.
शबीना, परिजन