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शिक्षिकाओं की मेहनत से प्राथमिक स्कूल में दीवारें भी दे रहीं ज्ञान - प्राथमिक स्कूल में दीवार से ज्ञान

वर्तमान समय में शिक्षा का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है. सरकारी शिक्षा में खासतौर पर रटने की परंपरा को दरकिनार कर व्यावहारिक शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. मुरादाबाद के एक प्राथमिक स्कूल में तो 'बाला' और टीएलएम के जरिए बच्चों को सीखाने के खूब प्रशंसा हो रही है.

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प्राथमिक स्कूल में ज्ञान की दीवारें
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Published : Jan 28, 2021, 8:23 PM IST

Updated : Jan 28, 2021, 8:46 PM IST

मुरादाबादः प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने की कोशिश लगातार की जा रही है. नई शिक्षा नीति के पहलुओं को लागू करने के साथ-साथ प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन के लिए न केवल शिक्षकों को तैयार किया जा रहा है. बल्कि बच्चों को भी इससे जोड़ा जा रहा है. प्राथमिक विद्यालयों की दिशा और दशा को बदलने के लिए टीचर लर्निंग मटेरियल यानि टीएलएम के जरिए बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. इससे न केवल बच्चे सीख रहे हैं, बल्कि उन्हें इसमें खासी रुचि भी देखने को मिल रही है.

प्राथमिक स्कूल में दीवारों से भी सीख रहे बच्चे
खास है ये प्राथमिक स्कूलमुरादाबाद के कुंदरकी शिक्षा खंड में स्थित फतेहपुर प्राथमिक विद्यालय आज कल लोगों के बीच में चर्चा का विषय है. यहां पर 287 छात्र पढ़ते हैं. जिन्हें पढ़ाने के लिए 10 शिक्षकों का स्टाफ है. इस स्कूल में पढ़ाने का तरीका बिल्कुल अलग है. पढ़ाई के इस तरीके से न केवल बच्चे सीख रहे हैं. बल्कि वो इसे इन्जॉय भी करते हैं. यहां पर प्रधानाध्यापिका और सहायक शिक्षकों के प्रयास से तमाम तरह के मूल-चूल बदलाव देखने को मिल रहे हैं.
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प्राथमिक स्कूल में दीवारों से सीख रहे बच्चे
दीवारों से सीख रहे छात्रविद्यालय की बिल्डिंग बेहतरीन नजर आती है. बिल्डिंग की दीवारों छात्रों को सीखाने का काम किया जा रहा है. बिल्डिंग ऐज, लर्निंग ऐड 'बाला' का काम बच्चों को हर वक्त कुछ ना कुछ सीखने की प्रेरणा देता है. क्लास रूम के अंदर बाला, पुस्तकालय और टीचर लर्निंग मटेरियल यानी टीएलएम के जरिए बच्चों के भविष्य को सवारने की कवायद की जा रही है. यहां बैठने के लिए सीट की व्यवस्था भी दूसरे स्कूलों से बिल्कुल अलग है. इस स्कूल में 184 छात्राएं और 103 छात्र अपना भविष्य संवार रहे हैं.
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शिक्षिकाओं की मेहनत लाई रंग
शिक्षकों की अनूठी पहलफतेहपुर खास गांव के कंपोजिट परिषदीय विद्यालय में शिक्षकों ने पढ़ाई का माहौल बनाने की अनूठी पहल की है. सुधार के लिए सरकारी योजनाओं का इंतजार छोड़कर शिक्षकों ने अपनी जेब से रुपए खर्च करके स्कूल की दीवारों को 'बाला स्कीम' के अनुसार ढाल दिया. सभी की मेहनत का नतीजा है, कि सरकारी स्कूल में शानदार रीडिंग रूम और दीवारें बनकर तैयार हैं. जो बच्चों को खुद सिखाने का काम करती हैं. ये बच्चे आसानी से खेल-खेल में वर्णमाला, गिनती और हिंदी-अंग्रेजी के कठिन से कठिन से शब्दों का ज्ञान सीख रहे हैं.
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स्कूल की शिक्षिकाओं के साथ छात्र
मिशन प्रेरणा से मिली प्रेरणायहां के शिक्षकों ने प्रदेश सरकार से संचालित की जा रही मिशन प्रेरणा का अनुसरण करके कुछ अलग करने की ठानी. पहल शिक्षिका शाजिया इशहाक ने की. उन्होंने कंपोजिट परिषदीय विद्यालय की प्रधानाध्यापिका मालती देवी को अपने साथ जोड़ा. इसी के साथ शिक्षक सचिन शुक्ला, शिक्षिका कैसर जहां, सिंधु रस्तोगी और सिंधु गौतम को भी प्रेरणा मिली. इन सभी ने भी इनका साथ दिया.
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प्राथमिक स्कूल की दीवारों पर पेंटिंग
लॉकडाउन ने दिया मौकाकोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया था. सभी संस्थान और प्रतिष्ठानों में ताला लग गया था. तब शिक्षिकाओं ने स्कूल को सजाना और संवारना शुरू किया. बच्चों के लिए रीडिंग मैटेरियल तैयार करने के साथ-साथ स्कूल की दीवारों पर पेंटिंग का काम शुरू हुआ. बच्चों के लिए मॉडल्स बनाए गए. जिससे बच्चों में लर्निंग क्षमता विकसित की जा सके.

बच्चों में ने जताई खुशी
ईटीवी भारत से बातचीत में छात्र कहते हैं, कि हम दीवारों और टीचर्स लर्निंग मटेरियल के जरिए तेजी से सीख रहे है. जो सीखते हैं वो लंबे समय तक याद रहता है. हमें अब पढ़ाई में भी खूब मजा आता है. इसलिए हम बिना छुट्टी किए स्कूल में आते हैं.

शाजिया ने की बदलाव की पहल
इस बदलाव की पहल करने वाली प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर खास की हेड (अब सहायक शिक्षिका) शाजिया इशहाक कहती हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक विजय किरण आनंद की प्रेरणा से हम लोगों ने यह काम शुरू किया. सरकार के चलाए जा रहे मिशन प्रेरणा से प्रेरित होकर दीवारों पर 'बाला' और टीचर लर्निंग मटेरियल बनाने की शुरुआत की गई. देखते-देखते हम लोगों ने विस्तृत रूप में विद्यालय को सजाया संवारा और दीवारों पर पेंटिंग की.

अपने पैसे से शिक्षिकाओं ने किया काम
अपने पैसे पर विद्यालय में इतना काम करवाने की बात पर शाजिया इशहाक कहती हैं कि जब बच्चे पढ़ लिख कर आगे बढ़ते हैं, तो खुशी मिलती है. हम लोगों ने भी इसी सोच के साथ ही विद्यालय में इन चीजों को करना शुरू किया. थोड़ा समय लगा लेकिन आज हमारा विद्यालय जिले भर के लिए एक प्रेरणा श्रोत है.

सभी की एकजुटता और मेहनत का नतीजा
कंपोजिट विद्यालय फतेहपुर खास की प्रधानाध्यापिका बताती हैं कि आज विद्यालय में जो कुछ भी बदलाव दिख रहा है. उसमें सभी शिक्षकों की अपनी मेहनत है और सभी ने अपना अपना योगदान दिया है. सहायक शिक्षिका शाजिया ने जहां इस बदलाव की शुरुआत की. वहीं, अन्य ने भी इस बदलाव में उनका साथ दिया.

मुरादाबादः प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने की कोशिश लगातार की जा रही है. नई शिक्षा नीति के पहलुओं को लागू करने के साथ-साथ प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन के लिए न केवल शिक्षकों को तैयार किया जा रहा है. बल्कि बच्चों को भी इससे जोड़ा जा रहा है. प्राथमिक विद्यालयों की दिशा और दशा को बदलने के लिए टीचर लर्निंग मटेरियल यानि टीएलएम के जरिए बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. इससे न केवल बच्चे सीख रहे हैं, बल्कि उन्हें इसमें खासी रुचि भी देखने को मिल रही है.

प्राथमिक स्कूल में दीवारों से भी सीख रहे बच्चे
खास है ये प्राथमिक स्कूलमुरादाबाद के कुंदरकी शिक्षा खंड में स्थित फतेहपुर प्राथमिक विद्यालय आज कल लोगों के बीच में चर्चा का विषय है. यहां पर 287 छात्र पढ़ते हैं. जिन्हें पढ़ाने के लिए 10 शिक्षकों का स्टाफ है. इस स्कूल में पढ़ाने का तरीका बिल्कुल अलग है. पढ़ाई के इस तरीके से न केवल बच्चे सीख रहे हैं. बल्कि वो इसे इन्जॉय भी करते हैं. यहां पर प्रधानाध्यापिका और सहायक शिक्षकों के प्रयास से तमाम तरह के मूल-चूल बदलाव देखने को मिल रहे हैं.
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प्राथमिक स्कूल में दीवारों से सीख रहे बच्चे
दीवारों से सीख रहे छात्रविद्यालय की बिल्डिंग बेहतरीन नजर आती है. बिल्डिंग की दीवारों छात्रों को सीखाने का काम किया जा रहा है. बिल्डिंग ऐज, लर्निंग ऐड 'बाला' का काम बच्चों को हर वक्त कुछ ना कुछ सीखने की प्रेरणा देता है. क्लास रूम के अंदर बाला, पुस्तकालय और टीचर लर्निंग मटेरियल यानी टीएलएम के जरिए बच्चों के भविष्य को सवारने की कवायद की जा रही है. यहां बैठने के लिए सीट की व्यवस्था भी दूसरे स्कूलों से बिल्कुल अलग है. इस स्कूल में 184 छात्राएं और 103 छात्र अपना भविष्य संवार रहे हैं.
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शिक्षिकाओं की मेहनत लाई रंग
शिक्षकों की अनूठी पहलफतेहपुर खास गांव के कंपोजिट परिषदीय विद्यालय में शिक्षकों ने पढ़ाई का माहौल बनाने की अनूठी पहल की है. सुधार के लिए सरकारी योजनाओं का इंतजार छोड़कर शिक्षकों ने अपनी जेब से रुपए खर्च करके स्कूल की दीवारों को 'बाला स्कीम' के अनुसार ढाल दिया. सभी की मेहनत का नतीजा है, कि सरकारी स्कूल में शानदार रीडिंग रूम और दीवारें बनकर तैयार हैं. जो बच्चों को खुद सिखाने का काम करती हैं. ये बच्चे आसानी से खेल-खेल में वर्णमाला, गिनती और हिंदी-अंग्रेजी के कठिन से कठिन से शब्दों का ज्ञान सीख रहे हैं.
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स्कूल की शिक्षिकाओं के साथ छात्र
मिशन प्रेरणा से मिली प्रेरणायहां के शिक्षकों ने प्रदेश सरकार से संचालित की जा रही मिशन प्रेरणा का अनुसरण करके कुछ अलग करने की ठानी. पहल शिक्षिका शाजिया इशहाक ने की. उन्होंने कंपोजिट परिषदीय विद्यालय की प्रधानाध्यापिका मालती देवी को अपने साथ जोड़ा. इसी के साथ शिक्षक सचिन शुक्ला, शिक्षिका कैसर जहां, सिंधु रस्तोगी और सिंधु गौतम को भी प्रेरणा मिली. इन सभी ने भी इनका साथ दिया.
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प्राथमिक स्कूल की दीवारों पर पेंटिंग
लॉकडाउन ने दिया मौकाकोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया था. सभी संस्थान और प्रतिष्ठानों में ताला लग गया था. तब शिक्षिकाओं ने स्कूल को सजाना और संवारना शुरू किया. बच्चों के लिए रीडिंग मैटेरियल तैयार करने के साथ-साथ स्कूल की दीवारों पर पेंटिंग का काम शुरू हुआ. बच्चों के लिए मॉडल्स बनाए गए. जिससे बच्चों में लर्निंग क्षमता विकसित की जा सके.

बच्चों में ने जताई खुशी
ईटीवी भारत से बातचीत में छात्र कहते हैं, कि हम दीवारों और टीचर्स लर्निंग मटेरियल के जरिए तेजी से सीख रहे है. जो सीखते हैं वो लंबे समय तक याद रहता है. हमें अब पढ़ाई में भी खूब मजा आता है. इसलिए हम बिना छुट्टी किए स्कूल में आते हैं.

शाजिया ने की बदलाव की पहल
इस बदलाव की पहल करने वाली प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर खास की हेड (अब सहायक शिक्षिका) शाजिया इशहाक कहती हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक विजय किरण आनंद की प्रेरणा से हम लोगों ने यह काम शुरू किया. सरकार के चलाए जा रहे मिशन प्रेरणा से प्रेरित होकर दीवारों पर 'बाला' और टीचर लर्निंग मटेरियल बनाने की शुरुआत की गई. देखते-देखते हम लोगों ने विस्तृत रूप में विद्यालय को सजाया संवारा और दीवारों पर पेंटिंग की.

अपने पैसे से शिक्षिकाओं ने किया काम
अपने पैसे पर विद्यालय में इतना काम करवाने की बात पर शाजिया इशहाक कहती हैं कि जब बच्चे पढ़ लिख कर आगे बढ़ते हैं, तो खुशी मिलती है. हम लोगों ने भी इसी सोच के साथ ही विद्यालय में इन चीजों को करना शुरू किया. थोड़ा समय लगा लेकिन आज हमारा विद्यालय जिले भर के लिए एक प्रेरणा श्रोत है.

सभी की एकजुटता और मेहनत का नतीजा
कंपोजिट विद्यालय फतेहपुर खास की प्रधानाध्यापिका बताती हैं कि आज विद्यालय में जो कुछ भी बदलाव दिख रहा है. उसमें सभी शिक्षकों की अपनी मेहनत है और सभी ने अपना अपना योगदान दिया है. सहायक शिक्षिका शाजिया ने जहां इस बदलाव की शुरुआत की. वहीं, अन्य ने भी इस बदलाव में उनका साथ दिया.

Last Updated : Jan 28, 2021, 8:46 PM IST
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