मुरादाबाद: सांसद आजम खां और उनके बेटे अब्दुला आजम की मुसीबतें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. मुरादाबाद के एमपी-एमएलए कोर्ट में आजम खां ने अपनी और बेटे की सरेंडर की अर्जी दाखिल की है. 2008 में सड़क जाम करने के मामले में थाना छजलैट में एक मुकदमा दर्ज हुआ था. मामले में जमानत लेने के बाद तारीखों पर नहीं पहुंचने पर कोर्ट ने गैर जमानती वारेंट जारी किए थे.
आजम खां के करीबी और सपा नेता यूसुफ मलिक ने बताया कि सन 2008 में बसपा सरकार में मुरादाबाद के थाना छजलैट में पुलिस ने आजम खां की कार को रोका था. इसके बाद आजम खां अपने समर्थकों के साथ सड़क जाम करके धरने पर बैठ गए थे. उस समय आजम खां राज्यसभा सदस्य थे. यह मामला एमपी-एमएलए कोर्ट इलाहाबाद में चला गया था. इस मामले में उन्होंने जनवरी 2019 में जमानत ले ली थी.
बाद में यह मामला सितंबर 2019 में ही मुरादाबाद की अदालत में ट्रान्सफर कर दिया गया, जिसकी जानकारी नहीं होने की वजह से वह पेशी में कोर्ट नहीं आ सके, जिसकी वजह से कोर्ट ने गैर जमानती वारेंट जारी किए हैं. चूंकि दोनों जेल में हैं तो उन्होंने जेल से बुलाकर अदालत में सरेंडर करने की अर्जी मुरादाबाद एमपी-एमएलए कोर्ट में दाखिल की है.
मुरादाबाद में आजम खां के वकील दिनेश चंद्र पाठक ने बताया कि थाना छजलैट में सड़क जाम करने को लेकर आजम खां और उनके बेटे अब्दुला आजम के खिलाफ 353 और 147 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था. यह मामला इलाहाबाद एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहा था. जनवरी 2019 में इसमें जमानत ले ली थी. उसके बाद यह मामला मुरादाबाद ट्रांसफर कर दिया गया. कोर्ट में तारीखों पर नहीं पहुंचने पर इनके खिलाफ वारेंट जारी कर दिए थे. इस मामले में 12 मार्च को अदालत के समक्ष पेश होना है. इस वक्त आजम खां और अब्दुला आजम जेल में हैं. आजम खां को इस मामले में पहले अपने आपको सरेंडर करना होगा, उसके बाद ही उनको जमानत मिलेगी. इसलिए उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि जेल अफसरों को वारेंट जारी कर सीतापुर से कोर्ट बुलाया जाए.