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1192 से गांव वाले नहीं मना रहे दिवाली, मनाते हैं शोक, जाने क्यों - villagers mourn on diwali

दिवाली के दिन हर घर रोशन होता है लेकिन मिर्जापुर में कई गांव ऐसे हैं जहां दिवाली के दिन शोक मनाया जाता है. बताया जाता है कि पृथ्वीराज चौहान के वंशज दिवाली के दिन उत्सव नहीं मनाते हैं.

मिर्जापुर के गांव में नहीं मनाते दिवाली.
मिर्जापुर के गांव में नहीं मनाते दिवाली.
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Published : Nov 12, 2020, 5:26 AM IST

मिर्जापुर: दीपों का त्योहार दिवाली पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन नक्सल प्रभावित जनपद मिर्जापुर के कई गांव ऐसे भी हैं जहां के लोग दिवाली नहीं मनाते हैं. इनके घरों में दीया नहीं जलते हैं न ही घरों को रोशन किया जाता है. उस दिन यह लोग शोक मनाते हैं. चौहान वंशज के लोगों में मान्यता है कि दिवाली के दिन ही उनके वंशज पृथ्वीराज चौहान की हत्या मोहम्मद गोरी ने छल से की थी तब से यह परंपरा चली आ रही है.

पृथ्वीराज चौहान के वंशज दिवाली के दिन मनाते हैं शोक.

दिवाली पर यहां नहीं जलता दीपक
जब देश दिवाली की रोशनी में चकाचौंध हो उठेगा, उस दिन राजगढ़ ब्लॉक के अटारी, मटिहानी, लालपुर गांव के साथ आसपास के इन गांव में अंधेरा ही छाया रहेगा. इस अंधेरे में भी प्राणों की परवाह न करने वाले राजपूत शुरवीर के प्रति श्रद्धांजलि का अखंड दीप हर दिल में जलता दिखेगा. यहां के पृथ्वीराज चौहान के वंशज के लोग दिवाली नहीं मनाते हैं बल्कि एक जगह एकत्रित होकर शोक मनाते हैं. इन गांव में कई पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही है. गांव में न कोई दीप जलता है न ही कोई सजावट होती है.

दिवाली के दिन गांव में पसरा रहता है अंधेरा.
दिवाली के दिन गांव में पसरा रहता है अंधेरा.

पृथ्वीराज चौहान के वंशज को है गम
देश में जहां लोग प्राचीन शुरवीरों को भूलते जा रहे हैं. वहीं मिर्जापुर के ऐसे लोग भी हैं जो उनकी याद में त्योहारों की खुशियां तक कुर्बान करने में पीछे नहीं हैं. पृथ्वीराज चौहान की हत्या मोहम्मद गोरी ने छल से की थी जिसके चलते आज भी इन गांव में मातम छाया रहता है. यह परंपरा 1192 से चली आ रही है दर्जनों गांव के हजारों चौहान वंशज परिवार दिवाली को उत्सव के रूप में नहीं शोक के रूप में मनाते है. बता दें कि दिल्ली पर राज करने वाला अंतिम हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को 16 बार युद्ध के मैदान में धूल चटाई थी.

वंशजों में आज भी नाराजगी
इतिहास के अनुसार जयचंद का साथ पाकर मोहम्मद गोरी ने जिस तरह से पृथ्वीराज चौहान को युद्ध में बंधक बनाकर आंखों में गर्म लोहे की छड़ डालकर मारने का काम किया जिसको लेकर आज भी उनके वंशजों में नाराजगी दिखाई पड़ता है. यहां के लोग अपने राजा और वंशज पृथ्वीराज चौहान की मौत की वजह से दिवाली नहीं मनाते हैं इनका कहना है की इस दिन यहां पर गम का माहौल रहता है. क्योंकि पृथ्वीराज चौहान की मौत हो गई थी यहां पर न कोई दीया जलता है, न कोई साफ सफाई होती है और न कोई जश्न मनाया जाता है. इस दिन पूरा परिवार गम में रहता है. दिवाली की जगह हम लोग एकादशी के दिन को धूमधाम से मनाते हैं.

मिर्जापुर: दीपों का त्योहार दिवाली पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन नक्सल प्रभावित जनपद मिर्जापुर के कई गांव ऐसे भी हैं जहां के लोग दिवाली नहीं मनाते हैं. इनके घरों में दीया नहीं जलते हैं न ही घरों को रोशन किया जाता है. उस दिन यह लोग शोक मनाते हैं. चौहान वंशज के लोगों में मान्यता है कि दिवाली के दिन ही उनके वंशज पृथ्वीराज चौहान की हत्या मोहम्मद गोरी ने छल से की थी तब से यह परंपरा चली आ रही है.

पृथ्वीराज चौहान के वंशज दिवाली के दिन मनाते हैं शोक.

दिवाली पर यहां नहीं जलता दीपक
जब देश दिवाली की रोशनी में चकाचौंध हो उठेगा, उस दिन राजगढ़ ब्लॉक के अटारी, मटिहानी, लालपुर गांव के साथ आसपास के इन गांव में अंधेरा ही छाया रहेगा. इस अंधेरे में भी प्राणों की परवाह न करने वाले राजपूत शुरवीर के प्रति श्रद्धांजलि का अखंड दीप हर दिल में जलता दिखेगा. यहां के पृथ्वीराज चौहान के वंशज के लोग दिवाली नहीं मनाते हैं बल्कि एक जगह एकत्रित होकर शोक मनाते हैं. इन गांव में कई पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही है. गांव में न कोई दीप जलता है न ही कोई सजावट होती है.

दिवाली के दिन गांव में पसरा रहता है अंधेरा.
दिवाली के दिन गांव में पसरा रहता है अंधेरा.

पृथ्वीराज चौहान के वंशज को है गम
देश में जहां लोग प्राचीन शुरवीरों को भूलते जा रहे हैं. वहीं मिर्जापुर के ऐसे लोग भी हैं जो उनकी याद में त्योहारों की खुशियां तक कुर्बान करने में पीछे नहीं हैं. पृथ्वीराज चौहान की हत्या मोहम्मद गोरी ने छल से की थी जिसके चलते आज भी इन गांव में मातम छाया रहता है. यह परंपरा 1192 से चली आ रही है दर्जनों गांव के हजारों चौहान वंशज परिवार दिवाली को उत्सव के रूप में नहीं शोक के रूप में मनाते है. बता दें कि दिल्ली पर राज करने वाला अंतिम हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को 16 बार युद्ध के मैदान में धूल चटाई थी.

वंशजों में आज भी नाराजगी
इतिहास के अनुसार जयचंद का साथ पाकर मोहम्मद गोरी ने जिस तरह से पृथ्वीराज चौहान को युद्ध में बंधक बनाकर आंखों में गर्म लोहे की छड़ डालकर मारने का काम किया जिसको लेकर आज भी उनके वंशजों में नाराजगी दिखाई पड़ता है. यहां के लोग अपने राजा और वंशज पृथ्वीराज चौहान की मौत की वजह से दिवाली नहीं मनाते हैं इनका कहना है की इस दिन यहां पर गम का माहौल रहता है. क्योंकि पृथ्वीराज चौहान की मौत हो गई थी यहां पर न कोई दीया जलता है, न कोई साफ सफाई होती है और न कोई जश्न मनाया जाता है. इस दिन पूरा परिवार गम में रहता है. दिवाली की जगह हम लोग एकादशी के दिन को धूमधाम से मनाते हैं.

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