मिर्जापुर: जिले में बनी नवीन सब्जी मंडी में दुर्व्यवस्था का अंबार देखने को मिल रहा है. पीने के पानी से लेकर साफ सफाई और शौचालय तक की कोई व्यवस्था सही नहीं है. वहीं कागजों पर हजारों रुपये साफ-सफाई के नाम पर खर्च करने के लिए आते हैं. लेकिन मंडी में फैली गंदगी से व्यापारियों और किसानों का रहना मुश्किल है. हर महीने मंडी टैक्स लेने वाले विभाग ने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध रखी है.
सरकार भले ही किसानों और व्यापारियों के लिए अच्छी व्यवस्था देने का दावा करती हो, लेकिन मिर्जापुर की नवीन मंडी में फैली गंदगी से आने वाले व्यापारियों और किसानों का रहना मुश्किल हो गया है. प्रति माह टैक्स के रूप में मोटी रकम वसूल करने वाला मंडी समिति व्यवस्थाओं को देने में पूरी तरीके से फेल नजर आ रहा है. पीने के पानी से लेकर शौचालय तक की व्यवस्था मंडी में नहीं है. प्रतिदिन यहां सैकड़ों की संख्या में आने वाले व्यापारियों और किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पीने के पानी के लिए हैंडपंप लगा है, टंकी भी बनी है पर वह मात्र शोपीस बना हुआ है. मंडी में चारों ओर फैली गंदगी का अंबार और उससे उठती बदबू से सभी परेशान हैं.
15 बीघे में फैले मंडी परिसर के अंदर कई दुकानें व्यापारियों और किसानों ने किराए पर ले रखी है. जिसके लिए बराबर वह शुल्क देते हैं पर मंडी समिति उनसे धन तो ले लेती है पर मंडी में व्यवस्था नहीं करती. मंडी समिति में आने वाले व्यापारियों और किसानों के लिए एक शौचालय बनाया गया है. जिसमें गंदगी का अंबार होने के चलते उपयोग नहीं किया जाता. दुर्व्यवस्था के लिए बार-बार व्यापारियों द्वारा मंडी समिति के अधिकारियों से शिकायत की जाती है पर उनके ऊपर इसका कोई असर नहीं होता.
व्यवस्था को लेकर मंडी सचिव का कहना है कि सफाई के लिए तकरीबन 50 हजार रुपए महीने खर्च किए जाते हैं. जिसका टेंडर अभी चुनाव के कारण नहीं हो सका है, टेंडर की प्रक्रिया चल रही है. जल्द ही इस समस्या से निजात मिल जाएगा. पीने के पानी के लिए बने टैंकर को जल निगम को हैंड ओवर कर दिया गया है. जिससे आने वाले दिनों में पानी मिलने की संभावना जताई जा रही है. जबकि शौचालय का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है और जैसे ही होगा वह प्रयोग में लाया जाएगा.
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