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मिर्जापुर के कुओं की नक्काशी के सामने महलों की वास्तुकला पड़ जाती है फीकी

यूपी के मिर्जापुर में तीन ऐसे कुएं हैं जो कहने के तो कुआं है, लेकिन बनावट किसी महल से कम नहीं लगता है. मुगल काल के समय सिटी कोतवाली के पास गुदरी का कुआं, छोटी गुदरी का कुआं और पक्की सराय का कुआं का निर्माण कराया गया था. कुछ सालों में कुएं जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हो गए. वहीं अब नगर पालिका ने इन कुओं को पहले जैसा बनाने का बीड़ा उठाया है.

मिर्जापुर का ऐतिहासिक कुआं.
मिर्जापुर का ऐतिहासिक कुआं.
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Published : Sep 14, 2020, 12:50 PM IST

मिर्जापुर: कुएं के बारे में आपने बहुत देखा और सुना होगा. लेकिन क्या कभी आपने ऐसे कुएं देखे है जो पूरा महल जैसा हो. कुएं की बनावट नक्काशी ऐसी की इसके सामने बड़े-बड़े महल की वास्तुकला भी शर्मा जाए. इतनी खूबियों के बाद भी न तो इस कुएं के बारे में कहीं ज्यादा लिखा गया है न ही इस कुएं को सरकारी स्तर पर संरक्षित करने की जरूरत समझी गई. अब इस प्राचीन कुएं की धरोहर को बचाने के लिए नगर पालिका परिषद जीर्णोद्धार करा रहा है. शहर के तीन ऐसे कुएं हैं, जो कहने के तो कुआं है. लेकिन बनावट ऐसी कि किसी महल से कम नहीं लगता है. मुगल काल के समय सिटी कोतवाली के पास गुदरी का कुआं, छोटी गुदरी का कुआं और पक्की सराय का कुआं का निर्माण पानी पीने के अलावा व्यापारियों को ठहरने के उद्देश्य से बनाया गया था.

मिर्जापुर का ऐतिहासिक कुआं.

मिर्जापुर नगर पालिका क्षेत्र में लगभग 150 कुएं हैं
मिर्जापुर कभी कुओं का शहर हुआ करता था. नगर पालिका क्षेत्र में लगभग डेढ़ सौ कुआं है. इसमें तीन कुआं ऐसे हैं, जो पत्थरों की नक्काशी के बेजोड़ नमूने हैं. ऐसे कुएं देखने को नहीं मिलते हैं. सैकड़ों साल पुराने कुएं है. लोहे, कपड़े, बर्तन, कॉटन के व्यापारियों ने ठहरने और पानी पीने के उद्देश्य बनवाया था. तीन ऐसे कुएं जो शहर के मध्य गुदरी का कुआं, छोटी गुदरी का कुआं और पक्की सराय का कुआं है. जब व्यापारी आते थे. शहर में तब इसी कुएं के पास रुककर खाना बनाते और विश्राम करते थे. इन कुओं में कोई गंदगी या बरसात का पानी न जा सके, उसके लिए पत्थरों का नक्काशी से सभी तरफ का छावनी बनाया गया है. मगर कुछ सालों से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हो गया था. अब नगर पालिका ने इन कुओं को पहले जैसा बनाने का बीड़ा उठाया है.

नगर पालिका 8 कुओं का करा रहा जीर्णोद्धार
नगर पालिका शहर के 8 कुएं को जीर्णोद्धार करा रहा है. आगे और कुओं का जीर्णोद्धार किया जाएगा. महलों जैसे कुएं में अब फिर से लोग आकर पानी पीना शुरू कर दिए हैं. साथ ही बैठकर हवा ले रहे हैं. कुएं की साफ सफाई और रंग रोगन के साथ लाइटिंग फुहारा और पंखे लग जाने से शाम के समय का नजारा अलग ही देखने को मिलता है. अब कोई भी इस कुएं के रास्ते से जाता है, तो एक बार जरूर रुक कर देखना चाहता है. सैकड़ों साल से जीर्ण शीर्ण अवस्था में रहे कुएं के बन जाने से स्थानीय लोगों को पानी की जरूरत या घर के बाहर बैठकर हवा लेने में प्रयोग किया जा रहा है.

वहीं इतिहास को जानने वाले सलिल पांडे ने बताया कि यह प्राचीन और सांस्कृतिक नगरी है, ये जो कुएं हैं, मुगल काल के समय के बनाए गए हैं. यहां पर नृत्य संगीत का आयोजन हुआ करता था बादशाह भी आते थे. पेयजल की महत्ता के लिए व्यापारियों ने इसे बनवाया था. इस तरह कुआं कोई शायद ही बनवा पाए और कहीं हो. उस समय व्यापारियों का एक मुख्य केंद्र हुआ करता था. यह शहर के मध्य में पड़ता है. सरकार अब इनका मेंटिनेंस करवा रही है. बहुत अच्छी बात है. यहां पर फिर से सांस्कृतिक संध्या शुरू की जा सकती है.

मिर्जापुर: कुएं के बारे में आपने बहुत देखा और सुना होगा. लेकिन क्या कभी आपने ऐसे कुएं देखे है जो पूरा महल जैसा हो. कुएं की बनावट नक्काशी ऐसी की इसके सामने बड़े-बड़े महल की वास्तुकला भी शर्मा जाए. इतनी खूबियों के बाद भी न तो इस कुएं के बारे में कहीं ज्यादा लिखा गया है न ही इस कुएं को सरकारी स्तर पर संरक्षित करने की जरूरत समझी गई. अब इस प्राचीन कुएं की धरोहर को बचाने के लिए नगर पालिका परिषद जीर्णोद्धार करा रहा है. शहर के तीन ऐसे कुएं हैं, जो कहने के तो कुआं है. लेकिन बनावट ऐसी कि किसी महल से कम नहीं लगता है. मुगल काल के समय सिटी कोतवाली के पास गुदरी का कुआं, छोटी गुदरी का कुआं और पक्की सराय का कुआं का निर्माण पानी पीने के अलावा व्यापारियों को ठहरने के उद्देश्य से बनाया गया था.

मिर्जापुर का ऐतिहासिक कुआं.

मिर्जापुर नगर पालिका क्षेत्र में लगभग 150 कुएं हैं
मिर्जापुर कभी कुओं का शहर हुआ करता था. नगर पालिका क्षेत्र में लगभग डेढ़ सौ कुआं है. इसमें तीन कुआं ऐसे हैं, जो पत्थरों की नक्काशी के बेजोड़ नमूने हैं. ऐसे कुएं देखने को नहीं मिलते हैं. सैकड़ों साल पुराने कुएं है. लोहे, कपड़े, बर्तन, कॉटन के व्यापारियों ने ठहरने और पानी पीने के उद्देश्य बनवाया था. तीन ऐसे कुएं जो शहर के मध्य गुदरी का कुआं, छोटी गुदरी का कुआं और पक्की सराय का कुआं है. जब व्यापारी आते थे. शहर में तब इसी कुएं के पास रुककर खाना बनाते और विश्राम करते थे. इन कुओं में कोई गंदगी या बरसात का पानी न जा सके, उसके लिए पत्थरों का नक्काशी से सभी तरफ का छावनी बनाया गया है. मगर कुछ सालों से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हो गया था. अब नगर पालिका ने इन कुओं को पहले जैसा बनाने का बीड़ा उठाया है.

नगर पालिका 8 कुओं का करा रहा जीर्णोद्धार
नगर पालिका शहर के 8 कुएं को जीर्णोद्धार करा रहा है. आगे और कुओं का जीर्णोद्धार किया जाएगा. महलों जैसे कुएं में अब फिर से लोग आकर पानी पीना शुरू कर दिए हैं. साथ ही बैठकर हवा ले रहे हैं. कुएं की साफ सफाई और रंग रोगन के साथ लाइटिंग फुहारा और पंखे लग जाने से शाम के समय का नजारा अलग ही देखने को मिलता है. अब कोई भी इस कुएं के रास्ते से जाता है, तो एक बार जरूर रुक कर देखना चाहता है. सैकड़ों साल से जीर्ण शीर्ण अवस्था में रहे कुएं के बन जाने से स्थानीय लोगों को पानी की जरूरत या घर के बाहर बैठकर हवा लेने में प्रयोग किया जा रहा है.

वहीं इतिहास को जानने वाले सलिल पांडे ने बताया कि यह प्राचीन और सांस्कृतिक नगरी है, ये जो कुएं हैं, मुगल काल के समय के बनाए गए हैं. यहां पर नृत्य संगीत का आयोजन हुआ करता था बादशाह भी आते थे. पेयजल की महत्ता के लिए व्यापारियों ने इसे बनवाया था. इस तरह कुआं कोई शायद ही बनवा पाए और कहीं हो. उस समय व्यापारियों का एक मुख्य केंद्र हुआ करता था. यह शहर के मध्य में पड़ता है. सरकार अब इनका मेंटिनेंस करवा रही है. बहुत अच्छी बात है. यहां पर फिर से सांस्कृतिक संध्या शुरू की जा सकती है.

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